श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अहले सुबह 3 बजे से ही बाबा भोले का गर्भगृह खोल दिया जाएगा। दिनभर पूजा-पाठ के बाद दोपहर बाद गर्भगृह से पंडा समाज के गांव गौरीपुर तक बाबा भोले की गाजे-बाजे के साथ भव्य बारात निकाली जाएगी। बाबा भोलेनाथ की बारात में शामिल होने के लिए सहरसा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया, खगड़िया, कटिहार, किशनगंज, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, भागलपुर, बांका और नेपाल से श्रद्धालु पहुंचेंगे। इसके अलावा बाबा की बारात में भूत-पिचास का वेश धारण किए हुए लोग भी शामिल होंगे। साथ ही कई स्कूलों के छात्रों की टोली भी रहेगी। मंदिर और मेला की व्यवस्था की तैयारी का जायजा लेने के लिए सदर एसडीएम नीरज कुमार, एसडीपीओ अजय नारायण यादव समेत अन्य पदाधिकारियों ने भ्रमण किया। इस दौरान कमियों को अविलंब दूर करने को कहा गया। सदर एसडीएम नीरज कुमार ने बताया कि प्रमंडलीय आयुक्त को मेला उद्घाटन करने का निमंत्रण दिया गया है। इस दौरान जिलाधिकारी श्याम बिहारी मीणा, एसपी राजेश कुमार समेत पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
महाशिवरात्रि को लेकर श्रद्धालु रखते हैं उपवास
महाशिवरात्रि के दिन वैसे तो बाबा भोले के लाखों भक्त निर्जल व्रत करते हैं। इसमें कई लोग दिनभर उपवास के बाद शाम को या तो नमक खाते हैं या फिर फलाहार करते हैं। इससे इतर सिंहेश्वर मंदिर से जुड़े पंडा समाज की दर्जनों महिला तीन दिन का व्रत करती हैं। यहां की वीना देवी, पार्वती देवी, शकुंतला देवी, विभा देवी, रेणू देवी, रंजू देवी, चंद्रमा देवी, मीरा देवी, चंद्रिका देवी, कुमली देवी, बच्ची देवी और निर्मला देवी का कहना है कि उनके गांव में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। गुरुवार को नहाय खाय किया गया। इसके बाद शुक्रवार को दिनभर उपवास कर रात को खरना का प्रसाद चढ़ाया गया। जबकि महाशिवरात्रि को 24 घंटे निर्जला व्रत करेंगी। इसके बाद रविवार काे पारन करना है। हालांकि कई महिलाएं रविवार को बिना नामक का आहार लेती हैं। इस कारण से इस बार अधिकांश महिलाएं सोमवार को नमक खाएगी।
भोले बाबा की बारात पर होती है पुष्प की वर्षा
बाबा भोलेनाथ की बारात के समय सिंहेश्वरवासियों के द्वारा बारात में शामिल श्रद्धालुओं पर जगह-जगह फूलों की वर्षा की जाती है। स्वागत में बाजार के हर घर के आगे दीप जलाकर कर रखा जाता है। लोग अपने-अपने घर और दुकान के आगे धूप और अगरबत्ती लेकर खड़े रहते हैं। वहीं बारातियों के स्वागत के लिए श्रद्धालुओं के द्वारा जगह-जगह के फल और शर्बत की व्यवस्था की जाती है। इस बार भी मंदिर परिसर के साथ-साथ बाजार क्षेत्र में कई समाजसेवी और संगठनों के द्वारा यह व्यवस्था की गई है।
जलढरी को उमड़ती है लाखों श्रद्धालुओं की भीड़
महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ की बारात में शामिल होने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के उमड़ती है। इस कारण से महाशिवरात्रि के दिन से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू होता है। मंदिर परिसर, धर्मशाला, ठाकुरबाड़ी के साथ-साथ उस दिन सड़क के किनारे भी जहां जगह मिलती है, श्रद्धालु रात बिताते हैं। अहले सुबह से ही श्रद्धालु जलाभिषेक करने उमड़ जाते हैं।
एक माह तक मेले का लुत्फ उठाते हैं श्रद्धालु
यहां आने वाले श्रद्धालु महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाले मेले का आनंद लेते हैं। इस बार मेले की भी रौनक अलग ही छटा बिखेर रही है। मेले में मनोरंजन के लिए झूला, मौत का कुंआ, जादूगर, थियेटर, चित्रहार, तरह-तरह के झूले, टावर झूला, ब्रेक डांस झूला, ड्रैगन, तोरातोरा, नाव झूला और बच्चों के लिए भी कई प्रकार के झूले मेले का आकर्षण केंद्र बन गया है। वहीं डिजनीलैंड में आकर्षक दुकान, सहारनपुर से आए लडकी के आकर्षक सामान की दुकान, दिल्ली से आए क्रोकरी की दुकान मेला की शोभा बढ़ा रही है। दुकान के साथ स्वादिस्ट भोजन के लिए भी दर्जनों स्टॉल लगे हुए हैं।
चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था को 500 पुलिस कर्मी तैनात
मेला में सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चाक चौबंद रखने के लिए 500 से अधिक पुलिस पदाधिकारी और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। थानाध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि इस बार मेला पूरे उत्साह के साथ लगाया जा रहा है। मंदिर, बाजार और मेला में सुरक्षा व्यवस्था के लिए 150-150 पुलिस पदाधिकारी-मजिस्ट्रेट और 300 पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है। मेला में सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक माह के लिए मेला थाना भी बनाया गया है। दारोगा बबलू कुमार को थानाध्यक्ष बनाया गया है। चोर-उच्चकों को रोकने के लिए मेला संवेदक के द्वारा डेढ़ दर्जन जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है।
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