मधेपुरा टाइम्स (MT) के उप-संपादक डॉ. आई. सी. भगत ने कुमार सत्यम से सिंहेश्वर मंदिर पर खास इंटरव्यू किया. प्रस्तुत है इंटरव्यू के कुछ खास अंश.
MT: - सिंहेश्वर महोत्सव में आपका आना बहुत ही कम समय मे फाइनल हुआ, कैसा लगा?
कुमार सत्यम:- यह सच है कि महज चार दिनों में बात फाइनल हुई. सिंहेश्वर आने की तमन्ना बहुत पहले से थी. महज चार दिनों में प्रोग्राम फाइनल हुआ. पहले से तय शिड्यूल को आगे बढ़ाकर यहां आया. यहां के दर्शकों का भरपूर प्यार और सम्मान मिला.
MT:- मनोकामना लिंग सिंहेश्वर स्थान में पूजा कर किसी अनुभूति हुई?
कुमार सत्यम:- मैं अब तक 8 ज्योतिर्लिंगों की पूजा कर चुका हूं. मुझे लगता है कि यह नौवां ज्योतिर्लिंग है। यह त्रयोदश ज्योतिर्लिंग है। हमारे संत शायद इसे लिखना भूल गये हैं । महादेव घर में हो या फिर मंदिर में हों, महादेव तो महादेव हैं. उनसे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है. वह जब, जिसको जहां बुलाना चाहते हैं, आदमी को वहां पहुंचना ही होता है.
MT:-सूफी गायन के क्षेत्र में आपका कैसे आना हुआ?
कुमार सत्यम:- मेरे खानदान में 14-15 पुश्तों से लोग संगीत से जुड़े हुए हैं. मेरे प्रथम गुरु मेरे पिता ललन जी महाराज हैं. दादा महाराज से भी काफी कुछ सीखने को मिला. आप कह सकते हैं कि हमारे खानदान में बच्चा रोने से पहले गाना गाना सीखता है.
MT:- पहली बार आपके गाने का कार्यक्रम कैसे तय हुआ?
कुमार सत्यम:- मैं जब 3 साल का था, उस समय जब हमारे घर पर पिताजी के मित्र आते थे, तो वे कहते थे कि इसकी आवाज बहुत सुरीली है. फिर एक बार अचानक से एक कार्यक्रम तय हुआ और उस कार्यक्रम में मुझे पहली बार गाने का मौका मिला. इसके बाद यह कारवां बढ़ता चला गया.
MT:-क्या मजे हुए गायकों का भी कोई पसंदीदा गाना होता है, जैसा कि आमतौर पर होता है?
कुमार सत्यम:- जी नहीं, आमतौर पर जो गायक शास्त्रीय गायन की शिक्षा- दीक्षा लिए रहते हैं, उनका कोई पसंदीदा गाना नहीं होता है. वह हर हमेशा अपने राग पर फोकस किए रहते हैं. राग-रागिनी, भैरवी में गाना मुझे अच्छा लगता है.
MT:-आजकल सूफी गायन में कम कलाकार आते हैं, इसके पीछे क्या कारण है?
कुमार सत्यम:- संगीत और साहित्य का गहरा जुड़ाव है. बिहार में कवि विद्यापति, भिखारी ठाकुर, रामधारी सिंह दिनकर जैसे बड़े कवि- साहित्यकार हुए हैं. घर में बच्चों को जैसे शिक्षा देंगे, वह उसी को ग्रहण करते हैं. इन दिनों देखा जाता है कि जब आप किसी के के घर जाते हैं तो वे बताते हैं कि उनके बच्चे अच्छा डांस करते हैं. लेकिन जब आप उनसे कुछ गाने और डांस करने को कहते हैं तो वह आधुनिक समय के पॉप संगीत आपको सुनाते हैं.
MT:-आपकी नजर में गजल सम्राट कौन हैं, जिन्हें आप काफी पसंद करते हैं?
कुमार सत्यम:- गजल की दुनिया में कई बड़े नाम हुए. मेहंदी हसन साहब, जगजीत सिंह साहब, गुलाम अली साहब, अनूप जलोटा साहब. इन सब की गायिकी से मैं काफी प्रभावित हूं. लोग मुझे भी बड़ा प्यार दे रहे हैं, लेकिन मैं मेहंदी हसन साहब को काफी सुनता हूं. मैं अपनी गजल गायिकी में मिर्जा गालिब को काफी करीब पाता हूं.आदर्श की बात करूं तो मेरे पिता जी ललन जी महाराज, दादा जी रामाशीष जी महाराज रहे हैं.
MT:-स्टेज पर आप कौन-कौन सा गजल गाना पसंद करते हैं?
कुमार सत्यम:- स्टेज पर मैं अपने दादा जी की हमरी अटरिया पर आजा रे सांवरिया, याद याद याद रह जाती है, खानदानी राइस वाला गाना ज्यादा गाता हूं. इसके अलावा भी कई गीतों की श्रृंखला है, जिसे श्रोता सुनना पसंद करते हैं।
MT:- बॉलीवुड में आप नहीं दिख रहे हैं, क्या कारण है?
कुमार सत्यम:- ऐसा नहीं है. अभी भी मेरे पास कई प्रोजेक्ट हैं. स्टार भारत पर आने वाले सीरियल बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम का टाइटल सॉन्ग गया है. एक और सीरियल है. इसके अलावा आने वाले दिनों में कई गाना है.
Reviewed by Rakesh Singh
on
February 27, 2023
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