रवि ने आयकर विभाग दिल्ली में इंस्पेक्टर के पद पर 22 नवंबर 2022 की संध्या 3:30 बजे अपना योगदान लिया. उनका शिक्षा काल कितना कठिन रहा इससे जुड़ी घटना बेहद ही रोमांचित करने वाली है. लोगों के लिए एक बड़ा संदेश भी है.
उसके पिता अरविंद मंडल अपनी व्यथा सुनाते सुनाते हुए रूआंसे से हो जाते हैं. वे 1982 में बाहर गए. मेहनत करने के बाद काम किया. प्लास्टिक टांग कर 15 साल जिए. वे जब अपनी पढ़ाई कर रहे थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई. हाई स्कूल की पढ़ाई के पश्चात आगे की पढ़ाई वे नहीं कर पाए. जब शादी हुई तो वे अपने परिवार का भरण पोषण किसी प्रकार मजदूरी के माध्यम से करते रहे. जब उसका बड़ा लड़का रवि जो वर्तमान में आयकर विभाग में कार्यरत हुआ. उसमें पढ़ने की दृढ़ इच्छा थी. बिहारीगंज के सरस्वती शिशु मंदिर में उसका नामांकन करवाया. बच्चे को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे, फिर भी उन्होंने ठाना था कि बेटे को पढ़ाना है. स्कूल फीस भरने का जब समय होता था उस समय 100 रूपये प्रतिमाह कैसे भरें इसके लिए सोचना पड़ता था. बड़े कष्ट से स्कूल फीस वे भर पाते थे. रवि ने मैट्रिक परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से पास किया. इसके पश्चात इंटर भी हंसी मंडल महाविद्यालय बिहारीगंज से प्रथम श्रेणी से पास करने के पश्चात भागलपुर यूनिवर्सिटी चला गया. वहां से बीएससी की परीक्षा पास की. पिताजी को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे फिर भी वह अपने बेटे का एडमिशन बीएड में करवा दिया लेकिन होनहार बिरवान के होत चिकने पात. बेटे ने कहा कि वह बीएड करने की आशा में नहीं रहेगा. उसे जल्द से जल्द नौकरी चाहिए और छः माह कोर्स करने के पश्चात उसे छोड़ कंपटीशन की तैयारी में जुट गया. अपने पिता से कहा कि मुझे इस विभाग में नहीं जाना है. कुछ ऊंचा करना है और इसके पश्चात व एसएससी की तैयारी करने लगा. पहली नौकरी एसएससी इंटर बेसिक पर उसका योगदान भी भागलपुर में हुआ लेकिन स्नातक ग्रेड में पास करने के पश्चात उसकी नौकरी दिल्ली आयकर विभाग में लग गया.
उनके पिता कहते हैं कि जब वह अपने बेटे को बचपन में विद्यालय में पढ़ाते थे तो हर महीने ₹100 फीस भरना पड़ता था. महीने का अंत होते-होते यह सोच में पड़ जाते थे कि आखिर ₹100 कैसे भुगतान करें लेकिन उन्होंने भी ठान लिया था कि बच्चे को पढ़ाना है तो पढ़ाना है. बाद में रवि की मां रसोईया के रूप में स्कूल में बहाल हुई. उसे प्रति बच्चे की दर से पैसे के भुगतान मिलता था. उससे कुछ नहीं हो पाता था.
सरस्वती शिशु मंदिर मैं कार्यरत उस समय के आचार्य नागेश्वर प्रसाद यादव कहते हैं कि वह लड़का शुरू से ही मेधावी था और उनकी शालीनता देखने लायक थी. जब कभी आचार्य बंधु उनके घर जाते थे तो वह भागा भागा फिरता था कि किसी तरह से कुर्सी लाकर सर को बैठने के लिए दें लेकिन उसे जब कुर्सी नहीं मिलती थी तो वह निराश होकर वापस लौट आता था और इस बीच आचार्य बंधु कहते थे कोई बात नहीं वैसे भी मचान पर ही बैठ जाते थे. रवि की गुरु भक्ति देखकर आचारगण भी भावविभोर हो जाते थे. उन्हीं के आशीर्वाद का परिणाम है कि रवि सबों के बीच प्रकाश बनकर फैल गया.
वहीं हंसी मंडल महाविद्यालय बिहारीगंज के प्राचार्य डॉ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि रवि कुमार बेहद शालीन एवं संस्कारी लड़का था. वे अपनी ओर से उनका भरपूर सहयोग करते थे. आगे भी वे जब किसी काम से महाविद्यालय पहुंचेंगे तो वे उनका खुले दिल से स्वागत व समस्याओं का निराकरण करेंगे.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
![विपरीत परिस्थिति में सफलता: रसोई कर्मी का बेटा दिल्ली आयकर विभाग में बना इंस्पेक्टर](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi7thfPxOQheeInBp3isxj_iwXx__plz5CPIxQNujh-dHVOgn-1WvT4O7FSld4Hx8VEjwINzMgLy0B6q9rAVJgbtPJtLR3g-pbmjWsxKNQzYLg_oKSrRe44ddcOAiMrh0tBf9q98EQjKHHXJXHvEmAsqJXhjD4yIqrMSdW56Mn_KaIGwql31KvR3v8T/s72-c/Success%20Madhepura%20Times.jpg)
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