'जिला प्रशासन द्वारा निर्णय के चार माह बाद भी इंटर, मैट्रिक के टॉपर्स का सम्मान नहीं होना दुखद': राठौर
जबकि जिला स्थापना दिवस पर उन्हें सम्मानित नहीं किया गया. बी.पी. मंडल जयंती पर भी इन्हें भुला दिया गया. न ही कोई विशेष समारोह इनके सम्मान में आयोजित हो सका. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन ने दलील दी कि कतिपय तैयारी के अभाव में स्थापना दिवस पर इन प्रतिभाओं का सम्मान हो पाना सम्भव नहीं हो सका. उक्त बैठक व निर्णय के साढ़े चार माह गुजर जाने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा उन विलक्षण प्रतिभाओं को सम्मानित नहीं किए जाने पर एआईएसएफ ने डीएम को पत्र लिख इसे दुखद बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई है और कहा है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी बनी कि जिला प्रशासन स्टेट के टॉप टेन में शामिल तीन छात्रों को सम्मानित करने में भी खुद को सक्षम नहीं पा रही.
एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि दुखद है कि विगत कुछ वर्षों में जिला प्रशासन की नीति इतनी ढुलमुल हो गई है कि स्मारिका प्रकाशन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद की उत्सवी व सामाजिक बंधनों को मजबूत करने वाली परम्परा खत्म होने के कगार पर है. अब आलम यह होने लगा कि जिला बनने के चालीस साल के इतिहास में पहली बार टॉप टेन में तीन छात्रों के जगह बनाने के बाद भी जिला प्रशासन उन्हें सम्मानित करने में मुस्तैदी नहीं दिखा पा रहा. राठौर ने कहा कि दीपिका जहां मैट्रिक में जिले में पहले स्थान पर रही, वहीं रितिका ने इंटर में राज्य स्तर पर टॉप 3 में जगह बनाकर मधेपुरा का गौरव बढ़ाया. साथ ही दो अन्य छात्रों ने भी टॉप टेन में जगह बनाई. ऐसी प्रतिभाओं का वृहद स्तर पर सम्मान समारोह होना चाहिए था, जिससे अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलती.
राठौर ने जिला प्रशासन की नीति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि धीरे-धीरे पदाधिकारियों के आगे पीछे करने वालों के पीठ पोछने की परम्परा बढ़ने लगी है और विगत कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में जिले को गौरवान्वित करने वालों को नजरंदाज किया जा रहा है. एआईएसएफ उसे कतई बर्दास्त नहीं करेगा. जिला प्रशासन को एक सप्ताह का समय देते हुए राठौर ने कहा कि अगर जिला प्रशासन ने सम्मानपूर्वक उक्त सफल छात्रों को बुलाकर सम्मान समारोह आयोजित करते हुए सम्मानित नहीं किया तो एआईएसएफ एक वृहद कार्यक्रम आयोजित कर उनकी सराहनीय उपलब्धि को सलाम करते हुए उन्हें सम्मानित करेगा.
(नि. सं.)

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