आज सुबह उनके पार्थिव शरीर को उनके मधेपुरा स्थित आवास पर लाया गया, जहाँ उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की बड़ी भीड़ उमड़ी. फिर उन्हें उनके गाँव शकरपुरा ले जाया गया, जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया है.
बताते चलें कि सिविल कोर्ट के प्रसिद्ध वरीय अधिवक्ता रणधीर प्रसाद सिंह सिविल और आपराधिक मामलों के दिग्गज अधिवक्ता में गिने जाते थे. उनका जन्म 03 जुलाई 1949 को हुआ था. बचपन से ही मेधावी छात्र रहे रणधीर प्रसाद सिंह ने वर्ष 1964 में मैट्रिक मधेपुरा से की तथा उन्होंने ग्रैजुएशन की डिग्री लंगट सिंह कॉलेज मुजफ्फरपुर से की. मुजफ्फरपुर से ही वर्ष 1974-75 में लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद 19 जून 1975 से उन्होंने वकालत की प्रैक्टिश शुरू की.
मधेपुरा जिला अधिवक्ता संघ के सचिव संजीव कुमार बताते हैं उनसे जुड़ी यादों का एक लम्बा सिलसिला है. अपने साढ़े चार दशक से अधिक के वकालत के शानदार सफ़र में उन्होंने भरपूर ख्याति अर्जित की. मधेपुरा व्यवहार न्यायालय में उन्होंने अपर लोक अभियोजक, स्थाई लोक अदालत के गैर-न्यायिक सदस्य और विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी सुशोभित किया. आत्मविश्वास से भरे बेहद आकर्षक शख्सियत के स्मृतिशेष रणधीर बाबू का व्यवहार अपने कनीय अधिवक्ताओं के प्रति भी बेहद सहयोगात्मक रहा और वे उन्हें कानून की बारीकियाँ भी सिखाने में भरोसा रखते थे.
वे अपने पीछे धर्मपत्नी लीला सिंह, दो पुत्र धीरज कुमार सिंह, धेरेश कुमार सिंह व एक पुत्री शिल्पी सिंह समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
उनके निधन पर अधिवक्ता संघ मधेपुरा और उदाकिशुनगंज में अधिवक्ताओं ने शोक सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

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