कार्यक्रम में मुख्य रूप से भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) आर.के.पी. रमण, पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी, समाजशास्त्री डॉ आलोक कुमार, प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार, अवकाश प्राप्त शिक्षक डॉ.वीरेंद्र प्रसाद यादव, सिंडिकेट सदस्य कैप्टन डॉ. गौतम कुमार, संस्था के पदाधिकारी एवं सदस्य ने उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित एवं पौधारोपण कर मनाया. पुण्यतिथि का उद्देश्य पूर्वजों को याद करके अपने जड़ों से जुड़े रहना है. यादों के झरोखे से मूल्यवान परंपराएं एवं व्यक्तित्व हमे संस्कार तथा नई ऊर्जा देते हैं.
उक्त बातें माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) आर.के.पी. रमण शिक्षक बालकृष्ण यादव के पुण्यतिथि के अवसर पर बोल रहे थे. आगे उन्होंने कहा आज के संदर्भ में वृक्षारोपण एक उत्तम संस्कार है. इसमें हम और हमारा जैव समाज लाभान्वित होता है. डॉ. मधेपुरी ने कहा शिक्षक अन्य किसी भी पद से बड़ा होता है. बालकृष्ण बाबू एक कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक के साथ सरल एवं सहज व्यक्ति के धनी थे. आगे उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण एक सामाजिक परोपकार का काम है क्योंकि एक पौधा पूरे जीवन काल में दस लाख का प्राणवायु प्रदान करता है. डॉ आलोक कुमार ने कहा कि शिक्षक बालकृष्ण बाबू शिक्षा की अलख जगाने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. साथ ही उनके नेतृत्व में बच्चों ने खेल के क्षेत्र में जिला से लेकर राज्य स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उनका रुचि पर्यावरण से बहुत ज्यादा था.
डॉ अशोक कुमार ने कहा कि विगत 5-6 वर्षों से रंगकर्मी विकास के नेतृत्व में सृजन दर्पण विभिन्न सामाजिक सरोकारों को लेकर सराहनीय कार्य कर रही है. इसी कड़ी में एक कर्तव्य परायण शिक्षक बालकृष्ण बाबू की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. आगे उन्होंने कहा कि विश्व पर मंडरा रहे तृतीय युद्ध से पर्यावरण संकट और गहरा गया है. ऐसी स्थिति में समय रहते अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए. जिनसे आने वाली पीढ़ी को अनुकूल माहौल मिल सके.
मौके पर संस्था के रंगकर्मी सत्यम कुमार, सदस्य राणा यादव, गायक आलोक कुमार, आकांक्षा प्रिया, तनु प्रिया, राजनंदनी सहित कॉलेज के प्रोफेसर सच्चिदानंद सचिव, प्रोफेसर चन्देश्वरी यादव, प्रोफेसर अभय कुमार, प्रोफेसर मंटू कुमार, प्रोफेसर रूपा कुमारी, प्रोफेसर किरण कुमारी, प्रोफेसर रीना कुमारी, प्रोफेसर वंदना कुमारी, कमल किशोर यादव, सुनिल कुमार, तरुण कुमार, सौरव सिंह, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर सौरव आलम आदि मौजूद थे.
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