पुरानी पेंशन की बहाली हेतु आंदोलनरत नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) की बिहार इकाई द्वारा 06 फरवरी 2022 को प्रदेश अध्यक्ष वरुण पाण्डेय की अध्यक्षता में संगठन विस्तार हेतु गूगल मीट के जरिये वर्चुअल बैठक आयोजित किया गया. बैठक का संचालन करते हुए वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिरुद्ध कुमार ने पटना, मगध, कोसी एवं मुंगेर प्रमंडल के जिलों में पदाधिकारियों की घोषणा की, जिसका सभी ने स्वागत किया. इसी सन्दर्भ में मधेपुरा जिला स्तर इकाई के अध्यक्ष पद के लिए प्रो. सुशांत कुमार सिंह, उपाध्यक्ष पद के लिए प्रो. चन्द्रशेखर आज़ाद, सचिव पद पर मृत्युंजय कुमार, कोषाध्यक्ष के लिए प्रो. रविन्द्र कुमार और संयोजक के रूप में प्रो. सुधांशु शेखर का चयन सर्वसम्मति से किया गया.
बिहार राज्य के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिरुद्ध प्रसाद ने घोषणा करते हुए नवनियुक्त पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि बिहार के अन्य जिलों की तरह शीघ्र संतुलित व सशक्त कार्यकारिणी का गठन जल्द से जल्द किया जाये और आपस में समन्वय बैठाया जाये. पेंशन के बिना बुढ़ापा रीढ़विहीन शरीर के समान होगा, इसलिए हम युवा कर्मचारियों को अभी से जग जाना होगा. हम सभी कर्मचारी संकल्पित हो जाएं तो उन्हीं की बनेगी सरकार जो सुनेंगे हमारी पुकार.
अध्यक्षीय सम्बोधन में वरुण पाण्डेय ने बताया कि यह लड़ाई हर परिवार की लड़ाई है. आज नहीं तो कल सभी को एहसास हो जाएगा कि एक कर्मचारी के बुढ़ापे में पेंशन की क्या अहमियत है. पुरानी पेंशन की माँग आज राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है और बिहार के लोगों का इतिहास रहा है कि हर आंदोलन में बहादुरी के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार बिहार के सभी जिलों के लगभग सभी विभागों से एनएमओपीएस को समर्थन तथा सहयोग मिल रहा है, उससे साफ जाहिर होता है कि पुरानी पेंशन की लड़ाई 2022 में पूरे बिहार में विकराल रूप धारण कर लेगी. पुरानी पेंशन हम खैरात में नहीं मांगा रहे हैं, यह हमारा मौलिक अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे.
एनएमओपीएस मधेपुरा इकाई के अध्यक्ष प्रो. सुशांत कुमार सिंह अपनी बात रखते हुए कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम के ख़त्म होने से सबसे ज्यादा धक्का सीमांत वर्ग खासकर दलित – पिछड़े समाज से आने वाले कर्मचारियों को लगा है. इनके पास न कोई जमीन जायदाद होती है न ही पर्याप्त धन जिससे कि सेवानिवृति के बाद भी सम्मानजनक आय का श्रोत बन सके. सीमांत वर्ग से सरकारी नौकरी में आने वाले लोगों का पूरा जीवन यापन बस सरकारी वेतन पर ही टिका रहता है और बच्चों के पालन पोषण, उनकी शिक्षा और परिवार के स्वास्थ्य में ही सारा वेतन खर्च हो जाता है. निवृति के बाद कुछ हाथ में नहीं बचता. इसलिए पुरानी पेंशन को बहाल करने का संघर्ष महत्वपूर्ण बन जाता है और इस संघर्ष को सफल बनाने का सवाल हमारे लिए जीने मरने का सवाल बन जाता है. इसलिए अब प्रत्येक विभाग में बैठक करके सभी लोगों को जोड़ते हुए अगले 15 फरवरी तक प्रत्येक प्रखंड में प्रखंड अध्यक्ष बना दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि आगामी चुनावों में जो हमारी सुनेंगे, हम उन्हीं को चुनेंगे.
मौके पर संजीव तिवारी, सोनल, राज कुमार, नीलाम्बर कुमार, दीपक कुमार, अविनाशी सद्गुरु, डॉ. विजेंद्र झा आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए संगठन के विस्तार में हर संभव सहयोग करने की बात कही. बिहार से लगभग सात दर्जन एनएमओपीएस पदाधिकारी और डेढ़ सौ साथी वर्चुअल बैठक में जुड़े रहे.
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