प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बिहार राज्य किसान सभा के प्रभारी एवं भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि केंद्र सरकार अपने घोषणा के अनुरूप शीघ्र ही संसद सत्र बुलाकर तीन काले कृषि कानून रद्द करे, एमएसपी लागू करे, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस ले एवं लखीमपुर खीरी के जिम्मेवार केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पर से जनता का विश्वास टूट चुका है, उनके सभी वायदे छलावा साबित हुआ है, यह सरकार पूरी तरह कारपोरेट पक्षी एवं जन विरोधी है. किसान आंदोलन में सात सौ किसानों की मौत के लिए जिम्मेवार है. प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि अगर किसान आंदोलन के साथ धोखा किया गया तो होंगे देशव्यापी उग्र आंदोलन.
अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला संयोजक रामचंद्र दास ने कहा कि किसान आंदोलन में लगभग 700 शहीदों के परिजनों को एक-एक करोड़ रूपया मुआवजा एवं एक-एक सरकारी नौकरी दे सरकार, उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में हुए सभी मुकदमा वापस लिया जाय अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे.
किसान नेता एवं भाकपा के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान की अधिप्राप्ति सुनिश्चित की जाय, बाढ़, वर्षा एवं तूफान से बर्बाद हुए फसलों के मुआवजे का भुगतान शीघ्र किया जाए अन्यथा किसान आंदोलन को तेज किया जाएगा.
किसान नेता वीरेंद्र नारायण सिंह, शंभू शरण भारतीय, मोहम्मद जहांगीर, प्रोफेसर ललन कुमार मंडल, कृत्यानंद रजक, शैलेंद्र कुमार, अनिल भारती, शंकर यादव एवं सीताराम रजक ने कहा कि किसी भी सूरत में किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. केंद्र सरकार होश में आवे एवं किसान आंदोलन की सभी मांगों को पूरी करे, नहीं तो देश भर में व्यापक किसान आंदोलन होंगे.
नौजवान संघ के प्रांतीय नेता शंभू क्रांति, एआईएसएफ के जिला अध्यक्ष वसीम उद्दीन उर्फ नन्हें, मजदूर नेता सुभाष मल्लिक, मोहम्मद नजीर उद्दीन, दिलीप ऋषिदेव एवं राजो ऋषिदेव ने कहा कि अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, किसान आंदोलन के सामने झुकी सरकार परंतु जब तक संसद में कृषि कानून रद्द नहीं होता तब तक संघर्ष जारी रहेगा. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसान और नौजवान शामिल थे.
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