कुणाल के घर पहुँचने पर उनके परिवार वालों के साथ गांव वाले भी उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे. परिजनों एवं बड़े बुजुर्गों ने मिठाई खिलाकर आशीर्वाद दिया. कुणाल ने अपनी इस सफलता के लिए माता पिता के अहम योगदान को बताया है. कहा कि विषम परिस्थितियों में भी माता पिता उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे. कुणाल गोस्वामी के पिता कुशल कृषक हैं.
दूसरी बीपीएससी में सफल के बाद कुणाल को सब रजिस्ट्रार का पद मिला है. वहीं उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य यूपीएससी है. कुणाल की सफलता पर उसके पिता भी काफी खुश हैं. पिता बिरेंद्र बताते हैं कि हम इतने ज्यादा खुश हैं कि हम अपने शब्दों में अपनी खुशी बयां नहीं कर सकते. आज मेरे बेटे ने जो कार्य किया है उस से हमारे आने वाली पीढ़ी को एक सही दिशा मिलेगी. वहीं कुणाल की मां ने बताया कि ये बचपन से ही नटखट स्वभाव का रहा लेकिन बचपन में ही इसे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया गया जिसके बाद इनका नटखटपाना भले ही खत्म हो गया लेकिन आज भी जब ये घर आता है तो बच्चे के जैसे ही करता है. लेकिन जब ये छोटा था और स्कूल से घर आता था तो किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था. अकेले रखकर किताबों के बीच पढ़ाई करने में इसे ज्यादा आनंद आता था.
जाहिर है कुणाल की सफलता दर्शाती है कि सच्ची लगन से किये गए हर कार्य में सफलता मिलती है, भले थोड़ी देर ही सही.
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