वर्तमान दौर में कन्या भ्रूण हत्या शिक्षित सामाजिक जीवन के लिए एक बड़ा अभिशाप

समाज का एक बड़ा शिक्षित वर्ग भी इस बुराई का हिस्सा बना हुआ है. यदि इसी प्रकार स्त्री पुरूष के अनुपात में अंतर आता रहा तो अनेकों कुरीतियां, व्यभिचार बहुपत्नीवाद व वेश्यावृति के रूप में बढ़ेगी.


मुरलीगंज के.पी. कॉलेज के सामने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस महापूराण ज्ञान यज्ञ का अनुष्ठान किया गया. कथा के प्रारंभ में पूजा के उपरांत भगवान की दिव्य लीलाओं व उनके भीतर छिपे हुए गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग व समधुर भजन संकीर्तन के माध्यम से उजागर किया गया. साध्वी सुश्री कांलिदी भारती ने आज के समाज में व्याप्त सामाजिक बुराई की चर्चा करते हुए बताया कि इसका मूल मानव मन की ही उपज है. मानव मन को वश में करने की प्रक्रिया केवल ब्रहमज्ञान ही है. वर्तमान दौर में कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक जीवन के लिए एक बड़ी व्याधि बन कर खड़ी हो गई है. समाज का एक बड़ा शिक्षित वर्ग भी इस बुराई का हिस्सा बना हुआ है. यदि इसी प्रकार स्त्री पुरूष के अनुपात में अंतर आता रहा तो अनेकों कुरीतियां, व्यभिचार, बहुपत्नीवाद व वेश्यावृति के रूप में बढ़ेगी. जिस प्रकार अंधकार को दूर करने के लिए प्रकाश की जरूरत होती है उसी प्रकार समाज में फैले इस अंधकार को दूर करने हुतु हमें स्वयं प्रकाश बनना होगा. नारी तो स्वयं संवेदना की प्रतिमूर्ति होती है और जिसमें संवेदना ही नहीं वह नारी नहीं अपितु पशु है. पशु नारी कभी समाज के उत्थान में योगदान नहीं दे सकती. भ्रूण हत्या की कुरीति को मिटाने में बाहरी प्रयास असफल सिद्ध हो रहें हैं. आज वर्तमान समाज को ऐसी वैचारिक क्रांति की जरूरत है जो मन के क्षेत्र में मन्थन की प्रक्रिया पैदा कर दे. जिसका आधार मात्र ब्रहमज्ञान है. ब्रहमज्ञान का भव वह ज्ञान जिसके द्वारा मानव अपने घट में ही ईश्ववर के दर्शन करता है और यह ज्ञान पूर्ण गुरू की कृपा से ही मानव प्राप्त करता है. गुरू का भाव है कि जो हमें अज्ञानता के अन्धकार से निकालकर परमात्मा के दिव्य प्रकाश में ले जाने की कला में निष्णात हो. 


दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रस्तुत की जा रही इस भव्य व आलौकिक श्री मद्भभागवत कथा में अध्यात्म के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा व गहन चिंता प्रकट की जा रही है. साध्वी सुश्री कांलिदी भारती ने प्रभु की अलौकिक कथा में निहित गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों के साथ कन्या भ्रूण हत्या जैसी निकृष्ट सामाजिक बुराई पर प्रकाश डालने से पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुगण्रा भाव विभोर हो उठे. साध्वी जी ने आज के समाज से अपील करते हुए कहा कि हमें ऐसे सामाजिक अपराधों को अति शीघ्र बंद करना होगा. प्रतिदिन बड़ी संख्या में उपस्थित भक्त श्रद्धालुगण अध्यात्म विज्ञान व भक्ति रस से ओत-प्रोत इस पावन कथा का आनंद उठा रहे हैं. कथा के आयोजन में पंडाल को सुव्यवस्थित ढंग से सजाया गया है.


वर्तमान दौर में कन्या भ्रूण हत्या शिक्षित सामाजिक जीवन के लिए एक बड़ा अभिशाप वर्तमान दौर में कन्या भ्रूण हत्या शिक्षित सामाजिक जीवन के लिए एक बड़ा अभिशाप Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 26, 2021 Rating: 5

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