जी हाँ, मुरलीगंज शहर में भुजा के शौकीन के बीच खासे लोकप्रिय रहे मोहन जी भुजावाला मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र माल गोदाम के पास वार्ड नंबर 10 निवासी अब नहीं रहे. शनिवार को हृदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया. स्कूली बच्चों से लेकर आम लोगों के बीच अपनी खास पहचान स्थापित करने वाले मोहन जी बीते चार दशक से भी अधिक लंबे समय से पहले खोमचा पर फिर ठेला पर घूम घूम कर भुजा बेचा करते थे. अपनी भुजे की बेहतर क्वालिटी की वजह से उनके ग्राहकों का विशेष वर्ग था, जिनको वह दिन की एक निश्चित समय पर उनके आने का इंतजार रहा करता था. खास यह है कि शहर के विभिन्न स्थानों पर उनके पहुंचने का समय भी निर्धारित था.
स्कूली बच्चों के बीच में भुजा वाले मोहन अंकल के रूप में चर्चित रहे स्कूल में टिफिन के वक्त स्कूल के मुख्य द्वार के बाहर उनकी उपस्थिति रहती थी. भुजा के अलावा नमकीन, मुरब्बा, मूंगफली, सोनपापड़ी आदि भी उनके खोमचा, फिर ठेले पर होते थे जो नास्ते को बहु आयाम प्रदान करता था. हकीकत ही है कि उनके भुजे के प्रेमी आज प्रशासनिक पदाधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, राजनेता तक का सफर पूरा करने वाले हजारों लोगों उन्हें आज भी बातचीत के क्रम में याद किया करते हैं.
चार दशक से अधिक समय तक भुजा के कारोबार में अपनी बादशाहत कायम रखने वाले मोहन जी ने भुजा में प्यार और विश्वसनीयता के साथ-साथ अपनेपन का मसाला भी मिलाया और निश्चित तौर पर वे सफल रहे। यदि आप मुरलीगंज से जुड़े हैं तो आपको इनके बारे में यकीनन याद होगा और जब आज ये नहीं हैं तो शहर में एक रिक्तता का अहसास किया जा सकता है.

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