'क्या करूँ, मौत भी तो आती नहीं है...': पर अब नहीं रहे अधिवक्ता रमेश ठाकुर

'जो भी जान बची है वो भी किसी किसी के नज़रों में दर्द का कारण है, क्या करूँ मौत भी तो नहीं आती है.'


मधेपुरा के जाने-माने और बेहद मिलनसार व्यक्तित्व के सेल टैक्स और इनकम टैक्स अधिवक्ता रमेश कुमार ठाकुर ने अपने फेसबुक पोस्ट पर 16 दिसंबर 2015 को तब लिखी थी जब उनकी तस्वीर पर उनके एक मित्र ने उनकी तस्वीर पर लिखा था, "अभी बहुत जान बाकी है." पोस्ट के साथ की तस्वीर इस खबर के साथ भी है. 


रविवार को पटना के एक निजी अस्पताल में रमेश कुमार ठाकुर (करीब 62 वर्ष) की साँसें क्या उखड़ी, मधेपुरा में उनके जानने वालों में सन्नाटा सा छा गया. लोगों को सहसा विश्वास नहीं हुआ और कई ने सोशल मीडिया पर लिखा कि काश, ये खबर झूठी हो. एक बेहद आकर्षक व्यक्तित्व का इस तरह अचानक जाना भले ही लोगों को गमगीन कर गया, पर अपनी मौत का एहसास शायद उन्हें पहले ही हो गया था. 


पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिन-रात मेहनत कर अपने बूते सेल टैक्स तथा इनकम टैक्स अधिवक्ता के रूप में सफलता के नए मुकाम को छूने वाले रमेश ठाकुर कुछ साल पहले अपनी धर्मपत्नी के गुजर जाने के बाद से ही सदमे में थे और करीब एक साल से लीवर की बीमारी से ग्रसित थे. इसी 07 जुलाई को उन्होंने अपने बेटे की शादी की थी, और बेटे से छोटी दो बेटियां भी बाहर ही रहकर पढ़ाई करती थी. मधेपुरा के कॉमर्स कॉलेज के पास वे अपने मकान में अकेले रहते थे. संभवत: पत्नी का साथ छूटना और अकेलेपन की वजह से खुद का ख्याल रख पाना उनके लिए संभव नहीं हुआ. एक बेहद भावुक और दूसरों के दर्द में भागीदार बनने वाले शख्स ने अचानक इस दुनिया को अलविदा कह दिया.


निधन के बाद उनके शव को पटना से मधेपुरा लाया गया जहाँ आज उनका अंतिम संस्कार किया गया है. मधेपुरा टाइम्स परिवार की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि.

(नि. सं.)

'क्या करूँ, मौत भी तो आती नहीं है...': पर अब नहीं रहे अधिवक्ता रमेश ठाकुर 'क्या करूँ, मौत भी तो आती नहीं है...': पर अब नहीं रहे अधिवक्ता रमेश ठाकुर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 26, 2021 Rating: 5

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