द ह्यूमन थिंग के फाउंडर आसिफ बताते हैं, ऐसे तो ये संस्था कई सालों से सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती रही है मगर इसकी आधिकारिक तौर पर स्थापना 22/03/2020 को हुई. इसकी स्थापना को लेकर आसिफ बताते हैं पिछले साल जब कोरोना अपने क़हर से दुनिया भर में लोगों को परेशान कर रहा था तो आसिफ घर से दूर अपने कार्यभूमि बैंगलोर में बैठकर लोगों को खुद और अपने फॉउन्डिंग मेम्बर्स शम्स, ज़ाहिद, तंज़ील तथा अपने वोलंटियर्स के साथ मिल कर पूरे देश में ज़रूरी दवाई, डॉक्टर्स कंसल्टेशन, भोजन, आदि आपूर्ति में ज़रुरतमंद लोगों की मदद कर रहे थे.
द ह्यूमन थिंग इंसानों के साथ-साथ लावारिस जानवरों का भी खासा ख्याल रखती आ रही है. अपनी टीम की सफलता पर बात करते हुए आसिफ बताते हैं कि उनकी टीम ने कई प्रवासी मज़दूर जो बैंगलोर, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे शहरों में फंसे थे, उन्हें घर तक पहुंचाने का काम कर, द ह्यूमन थिंग सक्षम व्यक्ति को रोजगार दिलवाने में भी काफी मदद करती आ रही है. आसिफ बताते हैं कि पिछले साल से लेकर अबतक द ह्यूमन थिंग की टीम ने बैंगलोर, दिल्ली, तमिलनाडु, कोलकाता, बिहार के पटना, अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, बेगूसराय, बरौनी और अपने जन्मस्थान मधेपुरा में हर संभव मदद पहुंचने की कोशिश की.
चूँकि शहर के हालत अब ठीक होते नज़र आ रहे तो अब संस्था के फॉउन्डिंग मेम्बर शम्स अपनी टीम के साथ गांव में उतर कर लोगों को जागरूक कर, मास्क, सैनिटाइजर, भोजन जैसी ज़रुरत का सामान उपलब्ध कराने का भी काम कर रही है. संस्था डाइट (DTFC- Diet to fight Covid campaign) तो फाईट अभियान के तहत गांव में सोयाबीन भी बाँट रही है.
संस्था जल्द ही अपना वेबसाइट, सपोर्ट नंबर, ब्लड डोनर्स लिस्ट तथा देश में फैले वोलंटियर्स की एक लिस्ट जारी करने जा रही है. द ह्यूमन थिंग पेज के फाउंडर आसिफ ऐसे सेवा कार्यो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं और अब उन्होंने अपनी देश भर में एक टीम खड़ी कर ली है. आसिफ मधेपुरा के वार्ड संख्या 10 के निवासी क्वाज़ी जमीलूर रहमान के पुत्र हैं जो के बैंगलोर में Quikr डॉट कॉम में प्रबंधक हैं. आसिफ अपने संस्था के तमाम फॉउन्डिंग मेम्बर्स और वोलंटियर्स का धन्यवाद् देते हैं, जिन्होंने इस आपदा में उनका साथ दिया.
(Report: R.K. Singh)
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