सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सृजन दर्पण के उपलब्धि भरे 6 वर्ष पूरे

सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सृजन दर्पण का 6ठा स्थापना दिवस पूर्ण लॉकडाउन लग जाने की वजह से इस बार भी पारम्परिक ढंग से नहीं हो सका, परन्तु पिछले बार की तरह इलेक्ट्रॉनिक साधनों के जरिए ही इस अवसर पर  शुभचिन्तकों की शुभकामनाएँ मिली, जिसका प्रसारण भी एक साथ समय की माँग को देखते हुए सोशल साइट के जरिए किया जाना है.

आयोजन के रूप में सिमित सदस्यों के द्वारा लॉकडउन की शर्तों का पालन करते हुए पौधारोपण किया गया. छ: वर्ष का समय किसी भी संस्था की अवस्था के लिहाज से बहुत छोटा होता है. इस अल्प अवधि में संस्था ने मानवता के संरक्षण एवं सशक्तिकरण के लिए राष्ट्र, राज्य एवं अन्य संगठनों द्वारा किये जा रहे यज्ञ में अनवरत आहुति दी. इसके लिए मानवीय जीवन को संयमित और संवर्द्धित करने वाले सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यक क्षेत्र में अहम योगदान दिया. समाज की समसामयिक समस्या को देखते हुए सांस्कृतिक गतिविधियों का चयनकर प्रभावी प्रस्तुतियाँ दी. ये समस्याएँ बाल मजदूरी, बाल विवाह, दहेज, अंधविश्वास उन्मूलन जैसी पारम्परिक है, तो जल जीवन हरियाली, नशा उन्मूलन जैसी राज्य सरकार प्रायोजित. इसके लिए सृजन दर्पण के रंगकर्मियों ने फुटपाथ से लेकर राजकीय महोत्सव के मंचो से संदेश मूलक पुस्तुति दी. 

कई अवसर आये जब विभिन्न प्रतिष्ठानों, संस्थाओं एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया. विगत वर्ष भी सोशल साइट्स के दुष्परिणाम पर ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में नाटक के जरिये संदेश मूलक प्रस्तुति दी. साथ ही सड़क सुरक्षा माह को लेकर लोगो में जागरूकता अभियान चलाया. वहीं गाँव-गाँव जा कर लोगों के बीच मधुमेह को लेकर जागरूकता- शिविर लगाया, दर्शन-परिषद की राष्ट्रीय संगोष्ठी में लोकसंस्कृति से जुड़ी बहेतरीन प्रस्तुति दी. मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में नशा और अंहकार के दुष्परिणाम पर आधारित सुधारवादी नाटक की मंचन किया. कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सहयोग से सहरसा में आयोजित आदि बिंब महोत्सव में सृजन दर्पण की प्रस्तुति को विभागीय मंत्री ने भी सराहा. विद्यापति जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में सृजन दर्पण के रंगकर्मियों की बेहतरीन प्रस्तुति को लोगों ने काफी पसंद किया. अत्याधुनिकता की दौड़ में भी संस्था ने विद्यापति की रचना, लोकगाथा, लोकनाट्य, लोक संस्कृति के मार्फत संदेशप्रद प्रस्तुति दी.

सृजन दर्पण ने शुरू से ही जिला स्थापना दिवस, बिहार दिवस, बी.पी.मंडल राजकीय जयन्ती समारोह, झूलनोत्सव, विधापति जयंती आदि, बिंब महोत्सव, भास्कर महोत्सव, राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव, राजकीय सिंहेश्वर महोत्सव, विशिष्ट कलाकारों का चयन प्रतियोगिता सहित युवा उत्सव में लगातार नशा उन्मूलन, सड़क सुरक्षा, मतदाता जागरूकता अभियान, जल जीवन और हरियाली से जुड़े स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं लोक संस्कृति का यादगार और संदेश मूलक अभिनय किया. युवाओं एवं आमलोगों में जागृति के लिए समय-समय पर विद्वानों की संगोष्ठी आयोजित की जाती है. सामाजिक समस्याओं के अनुरूप विषय रखा जाता है. विद्वानों के विचारों से लोगों को नयी दृष्टि बनाने में मदद मिलती हैं. जरूरत पड़ने पर संस्था के सदस्य और रंगकर्मियों के द्वारा गाँव-गाँव जाकर कोरोना संकट पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है एवं आवश्यक समानों का वितरण भी किया जा रहा है. 

इससे पहले भी सड़क सुरक्षा, नशा उन्मूलन, जल जीवन और हरियाली के तहत कई अभियान चलाये गये. संस्था की सारी गतिविधियों में समाज के शुभचिंतक प्रज्ञावान पुरुषों एवं सामान्य जन का हर वक्त स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा. उनका आर्थिक और भावनात्मक सहयोग एवं मार्गदर्शन का पाथेय यदि न मिलता तो संस्था यह मुकाम हासिल न कर पाती. खासकर सदस्यों, रंगकर्मियों एवं उनके अभिभावक का संस्था आभारी है.

सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सृजन दर्पण के उपलब्धि भरे 6 वर्ष पूरे सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सृजन दर्पण के उपलब्धि भरे 6 वर्ष पूरे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 05, 2021 Rating: 5

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