आंकड़े क्या कहते हैं?
यहां पिछले 24 घंटे में हालांकि एक मौत हुई, लेकिन कई-कई दिन 7, 8 या फिर 9 मरीजों की मौत हुई है. आंकड़े बताते हैं कि 102 बेड के मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना काल में विभिन्न जिले के 750 कोरोना मरीज भर्ती लिए गए. इनमें से 630 मरीजों को ऑक्सीजन पर रखा गया. जिसमें यहां से डिस्चार्ज होकर 433 मरीज गए. जबकि 128 मरीज रेफर किए गए. साथ ही 186 मरीजों की मौत हुई. अर्थात अबतक भर्ती कुल मरीज का 57.73 फीसदी मरीज रिकवर हुए हैं. साथ ही 24.8 फीसदी मरीजों की मौत हुई है. पिछले माह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज को 500 बेड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल घोषित किया था. हालांकि अभी तक यहां पहले से बने 102 बेड भी कभी फुल नहीं हो पाया.
सिटी स्कैन को जा रहे भर्ती मरीज के साथ हुई अनहोनी
मेडिकल कॉलेज में बुधवार को अररिया जिले के एक मरीज के साथ अनहोनी घटना हो गई. दरअसल, मरीज ऑक्सीजन पर था, उसका सिटी स्कैन होना था तो उसे ट्रॉली सिलेंडर पर भेज जा रहा था लेकिन परिजन रास्ते से लौट गए. उनका कहना था कि सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं था. इसके बाद वे लोग मरीज को लेकर वापस कमरे में आ गए और खुद ही सेंट्रलाइज सिस्टम से पिता को ऑक्सीजन लगाया. इसके कुछ देर के बाद मेल नर्स ने आकर दूसरा सिलेंडर लगाया. मेल नर्स ने बताया कि जिस समय उसने सिलेंडर लगाया था, उस समय सिलेंडर में ऑक्सीजन था, मीटर भी शो कर रहा था.
यहां बहुत कुछ है, केयर और कॉउंसलिंग की जरूरत
मेडिकल कॉलेज में ही परिजन का इलाज कराने अररिया से आए वृद्ध ने बताया कि यहां सब कुछ है लेकिन चिकित्सकों में सेवा भाव नहीं है. कर्मियों में भी लापरवाही है. उन्होंने कहा कि मेडिकल में कई तरह की टेस्ट की सुविधा अभी नहीं है. जिसके अभाव में कई मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञ और डॉक्टर का होना जरूरी है. मरीजों का यहां केअर और कॉउंसलिंग होने लगे तो यहां की तस्वीर ही बदल जाएगी.
व्यवस्था में हुआ है सुधार
वहीं जेएनकेटीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. बैद्यनाथ ठाकुर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था में लगातार सुधार की जा रही है. इसी का नतीजा है कि पिछले 24 घंटे में मात्र एक मरीज की मौत हुई है. बेहतर परिणाम की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है.
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