इस अवसर पर भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि 92 वर्षीय भाकपा नेता एवं होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ भगत पार्टी के प्रतिबद्ध एवं निष्ठावान नेता थे, वे गरीबों के प्रिय चिकित्सक एवं नेता थे. उनके निधन से पार्टी और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. वे पुरानी पीढ़ी के एक मजबूत स्तंभ थे जिनके मार्गदर्शन में सिंहेश्वर और गम्हरिया प्रखंड में कम्युनिस्ट आंदोलन का विकास हुआ. उन्होंने कहा कि उनके निधन से कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं ने अपना एक कुशल मार्गदर्शक को खो दिया है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके अधूरे कामों को पूरा करके ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है. वहीं प्रभाकर ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की.
मौके पर भाकपा के गम्हरिया अंचल मंत्री प्रोफेसर ललन मंडल ने कहा कि हम अपने एक नेता ही नहीं अभिभावक को खो दिया, उनके नेतृत्व में लगातार 40 वर्षों से कम्युनिस्ट पार्टी में काम करने का मौका मिला और एक से एक बड़े आंदोलन को अंजाम दिया गया. पूर्व मुखिया और मजदूर नेता कृत्यानंद रजक ने कहा कि डॉ राज किशोर भगत मजदूरों और गरीबों के मसीहा थे. नौजवान संघ के प्रांतीय नेता शंभू क्रांति ने कहा कि डॉ राज किशोर भगत के निधन से हम सब आहत हैं. वे कम्युनिस्ट आंदोलन के योद्धा एवं कर्म योगी थे. पार्टी के मुरलीगंज अंचल मंत्री अनिल भारती ने कहा कि डॉ भगत ने ना सिर्फ गम्हरिया बल्कि मधेपुरा जिले के कम्युनिस्ट आंदोलन के चोटी के नेता थे. उनके चले जाने से पूरी पार्टी को क्षति हुई है.
इस अवसर पर महिला नेत्री दुर्गा देवी, किसान नेता भागवत मंडल, चंद्र देव मंडल, रामचंद्र पौदार, धनेश्वर मेहता, राम सागर मेहता, भुनेश्वर यादव, दिनेश यादव आदि ने कहा कि कामरेड राज किशोर भगत कम्युनिस्ट आंदोलन के पुरोधा थे. हम सबों के अभिभावक थे और सर्वहारा वर्ग के एक मजबूत स्तंभ थे. उनके निधन से गम्हरिया प्रखंड के शोषित और गरीबों को गहरा धक्का लगा है.
मौके पर अर्जुन सुतिहार, डॉ सच्चिदानंद मेहता, पवन कुमार भगत, मनोज कुमार, पिंटू कुमार, सिंटू कुमार, संतोष कुमार, गणेश भगत, नवीन कुमार, संजय कुमार, क्रांति कुमार आदि उपस्थित थे. इन तमाम लोगों ने डॉ राज किशोर भगत को एक प्रखर समाजसेवी एवं जुझारू कम्युनिस्ट नेता बताया. इस अवसर पर तमाम पार्टी कार्यकर्ता एवं ग्रामीणों ने डॉ राजकिशोर भगत अमर रहे उनके अरमानों को मंजिल तक पहुंचाएंगे आदि नारे लगाते रहे.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 18, 2021
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