किसान पंचायत की अध्यक्षता डॉ जवाहर पासवान ने किया. किसान पंचायत के कार्यवाही का संचालन डॉ सूरज मंडल ने किया.
किसान पंचायत में मुख्य वक्ता आनंद मंडल, सुभाष पासवान, पत्रकार सुमन कुमार, युवा नेता हेमेन्द्र कुमार, राहुल पासवान, प्रशांत कुमार यादव थे. किसान पंचायत में सैकड़ों की संख्या में मुरहो एवं आसपास के ग्रामीण थे. पंचायत में इस बात पर विचार हुआ कि किसान आंदोलन का समर्थन क्यों ज़रूरी है? यह बताया गया कि किसान कानून किसान विरोधी, देश विरोधी, गरीब विरोधी है. मोदी सरकार तीन कृषि कानून को पास किया है, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है.
वक्ताओं ने कहा कि पहला कानून The Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020 (कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) एक्ट, 2020) है. यह कानून मंडी सिस्टम को बायपास करता है, और मंडियों से बाहर कहीं भी उत्पाद बेचने की छूट देता है. इसमें यह भी लिखा है कि बाहर खरीदने-बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा जो मंडियों में लगता है. इस से सभी आढ़ती मंडियों से बाहर खरीदने लगेंगे और धीरे-धीरे मंडी खत्म हो जाएगी. मंडियों के खत्म होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य #MSP भी अपने आप अप्रासंगिक हो जाएगा. हमारी मांग है कि सरकार कानून लाये कि मंडी या मंडी से बाहर MSP से नीचे खरीद गैरकानूनी होगी.
कहा कि दूसरा कानून The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020 (कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार एक्ट, 2020 है. यह कानून कॉन्ट्रेक्ट खेती के लिए लाया गया है. वैसे इसमें अच्छी बात ये है कि किसी भी एग्रीमेंट में प्रॉपर्टी ट्रांसफर नहीं होगी. खराब बात ये है कि ये विवाद के मामले में किसानों को सिविल केस दायर करने से रोकता है. एग्रीमेंट वायलेशन होने पर मामलों की सुनवाई एसडीएम करेगा जिसकी अपील डीएम के पास होगी. किसानों का डर है कि ये एग्रीमेंट फसल बीमा के एग्रीमेंट की तरह हो सकती है, जिसमें बड़ी कंपनियां अफसरों के साथ मिलकर किसान को परेशान करेगी. ये किसान को उसकी जमीन पर बंधुआ भी बना सकता है. उन्होंने कहा कि तीसरा कानून 3. Essential Commodities Amendment Act 2020 (जरूरी वस्तु संसोधन अधिनियम 2020) है. ये तीसरा कानून अनाज, दाल आदि रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी को छूट देता है. इसको किसानों के लिए बताया जा रहा है, जबकि हम सबको पता है कि किसान अभी भी स्टॉक कर सकता था, पर उसकी हालत मजबूरी ऐसी है कि वो स्टॉक कर ही नहीं सकता. इसलिए ये कानून बड़े धन्ना सेठों को जमाखोरी की छूट देगा जिससे वे मार्केट में इन चीजों की कमी करके रेट बढ़ाएंगे और मुनाफा कमाएंगे. इस से हर गरीब और मध्यम वर्ग को नुकसान होगा.
आखिर में तीन कृषि कानून को वापस लिए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. साथ ही. अडानी अम्बानी और उत्पाद को बॉयकॉट करने का भी ग्रामीणों ने शपथ ली.
(वि.)

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