कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण ने इसे विश्वविद्यालय के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. उन्होंने कहा कि वे एक कर्तव्यनिष्ठ एवं समर्पित कर्मी थे. वे हमेशा अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते थे और हमेशा विश्वविद्यालय के विकास हेतु तत्पर रहते थे. हाल ही में संपन्न हुए सीनेट के वार्षिक अधिवेशन के आयोजन में भी उनकी महती भूमिका रही. उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वे हेमंत हीरा की आत्मा को शांति प्रदान करे एवं शोकाकुल परिवार को यह विपदा सहन करने की शक्ति दें.
इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह ने कहा कि हेमंत हीरा विश्वविद्यालय के कार्यों के प्रति समर्पित थे. उनके निधन से विश्वविद्यालय परिवार मर्माहत है.
विधान पार्षद डा. संजीव कुमार ने कहा है कि हेमंत कुमार विश्वविद्यालय अधिनियम के अच्छे जानकार थे. उनके निधन से कोसी एवं सीमांचल ने अपना एक हीरा खो दिया है. उनके निधन से जो रिक्तता आई है, उसकी भरपाई आसान नहीं होगी. वे विश्वविद्यालय के एक एसेट थे. उन्होंने स्थापना काल से लेकर आज तक हमेशा विश्वविद्यालय की अहर्निश सेवा की.
कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव ने कहा कि हेमंत हीरा उनके बचपन के मित्र थे और उनके बचपन से लेकर अब तक वे क़रीबी रहे. विश्वविद्यालय के स्थापना काल से ही उन्होंने विश्वविद्यालय की अहर्निश सेवा की. वे बोरा-चट्टी पर बैठकर भी काम किया था. विश्वविद्यालय को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी महती भूमिका रही. उनकी लघुता की महत्ता से हमें सीख लेनी चाहिए.
शोकसभा में कुलसचिव डा. कपिलदेव प्रसाद ने शोक-संदेश पढ़ा.
श्री हेमंत कुमार उर्फ हीरा, सहायक टीपी कॉलेज मधेपुरा संपत्ति प्रभारी निकाय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के आकस्मिक निधन पर विश्वविद्यालय परिवार गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता है हेमंत कुमार एक कर्मठ एवं निष्ठावान कर्मचारी थे. भूपेंद्र ना. मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के संस्थापक क्षेत्र कर्मी के रूप में इनका कार्य सराहनीय रहा. इस विश्वविद्यालय में स्वर्गीय कुमार एक शिक्षकेत्तर कर्मी के रूप में समर्पित भाव से अपने दायित्व का निर्वहन करते थे. वे अपने कर्म स्थल को एक मंदिर के रूप में समझते थे तथा कार्यालय की कार्य अवधि या समय सीमा उनके लिए कोई बाध्यता नहीं थी. दिन-रात एवं अवकाश की अवधि में भी वे विश्वविद्यालय के दायित्व निर्वहन को ही प्राथमिकता देते रहे. उन्होंने काफी लंबे समय तक विश्वविद्यालय के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो सदा स्मरणीय रहेगा.
इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी दास, सीसीडीसी डा. इम्तियाज अंजूम, कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद, रामबाबू महतो, डॉ. ललन प्रसाद अद्री, डा. एम.आई. रहमान, डा. अरूण कुमार, डा. मनोरंजन प्रसाद, जनसंपर्क पदाधिकारी डा. सुधांशु शेखर, पृथ्वीराज यदुवंशी आदि उपस्थित थे.
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