उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि महिलाएं आज शिक्षा प्राप्त कर अलग-अलग क्षेत्रों में अपने माता पिता का नाम रोशन कर रही हैं, लेकिन प्राचीन समय में महिलाओं व दलितों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था. बहुत लंबे समय तक उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया. माता सावित्री बाई फुले ने सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए स्वयं दलितों एवं महिलाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. जब माता सावित्री बाई फुले बेटियों को पढ़ाने के लिए जाती थी, तब अन्य समाज की महिलाएं उन पर गोबर फेंकती थी. इसके बावजूद सावित्री बाई फुले ने हार नहीं मानी और एक साड़ी थैले में रखकर लेकर ले जाने लगी.
आज महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन बहुत ही कम महिलाओं को सावित्री बाई फुले के बारे में जानकारी है. कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता राजेंद्र सिंह ने किया. मौके पर ब्रह्मदेव यादव, अरविंद सरदार, कुंदन कुमार, विनय कुमार, सुभाष कुमार, हरिकृष्ण कुमार, गोपाल साह, तारणी ऋषिदेव, रघुनंदन ऋषिदेव, चंदेश्वरी ऋषिदेव, कौशल कुमार, सुधीर कुमार, शिवकुमार राम, रंजीत ऋषिदेव, विकाश कुमार, रूपलाल ऋषिदेव, सुरेश भारती सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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