कृषि कानून के खिलाफ भारत बंद का मधेपुरा जिला में व्यापक असर

मधेपुरा में 8 दिसंबर 2020 को कृषि कानून के खिलाफ किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर भारत बंद का आज मधेपुरा जिला में व्यापक असर रहा. जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंड मुख्यालय एवं प्रमुख बाजार बंद रहे. एनएच 106, 107 एवं अन्य सभी प्रमुख मार्ग पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप रही. सड़क जाम के कारण सरकारी, गैर सरकारी कार्यालय भी प्रभावित हुए.

मधेपुरा शहर के सभी मुख्य चौराहे बीपी मंडल चौक, कर्पूरी चौक, कॉलेज चौक को सुबह से ही राजद, भाकपा, माकपा, भाकपा माले एवं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जाम कर दिया. वहीं बाइक जुलूस निकालकर शहर भ्रमण करते बंद समर्थकों के अपील पर पूरा शहर हुआ बंद. इस दौरान महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी. 

इस अवसर पर कर्पूरी चौक पर आम जनों एवं बंद समर्थकों को संबोधित करते हुए स्थानीय राजद विधायक एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि मोदी सरकार का कृषि कानून किसानों को गुलाम बनाने वाला काला कानून है. उन्होंने कहा कि जब सरकार किसानों से उनका फसल खरीद ही नहीं करेगी तो जन वितरण प्रणाली के लिए सरकार के पास अनाज कहां से आएगा. इस परिस्थिति में जन वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी. इसके फलस्वरूप स्टेट फूड कॉर्पोरेशन एवं फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया समाप्त हो जाएगी. जिससे करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे एवं आम लोगों के सामने भयंकर भूखमरी तथा खाद्य संकट उत्पन्न हो जाएगा. उन्होंने कहा की इन नीतियों से कृषि पर कारपोरेट जगत का पूर्णतः कब्जा हो जाएगा. भंडारण की व्यवस्था नहीं रहने के कारण कालाबाजारी और जमाखोरी बढ़ेगी और महंगाई चरम पर होगी. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह किसान विरोधी काला कानून है, इसे वापस ले सरकार अन्यथा होंगे गंभीर परिणाम. चरणबद्ध आंदोलन चलाकर मोदी और नीतीश सरकार का करेंगे नींद हराम. 

उन्होंने आगामी 17 दिसंबर को इस काले कानून के खिलाफ मधेपुरा में विशाल मौन जुलूस आयोजित करने का आह्वान किया. विधायक प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने इस मौन जुलूस में बड़ी संख्या में किसानों से आने की अपील की.                    

इधर सिंहेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल ने कहा कि केंद्र व राज्य की सरकार किसान विरोधी सरकार है. यह जिस तरह से सार्वजनिक क्षेत्र को धड़ल्ले से बेच रही है उसी तरह से खेत और खलिहान को बेचने पर आमदा है. राजद के जिला अध्यक्ष जयकांत यादव ने कहा कि गांव स्तर पर क्रय केंद्र खोलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सालों भर खरीद सुनिश्चित करे सरकार. उन्होंने कहा कि किसानों की अनदेखी नहीं सहेंगे. किसान आंदोलन का दमन बंद करें एवं सम्मानजनक वार्ता करे सरकार.               

सभा की अध्यक्षता कर रहे महागठबंधन के जिला संयोजक एवं भाकपा के नेता प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण खेती व किसानी खतरे में है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार के दायरे में लाए केंद्र सरकार. उन्होंने कहा कि इस देश में कृषि क्षेत्र 67 लाख करोड़ रुपए का आईबीए वाला क्षेत्र है इसलिए इस क्षेत्र को कारपोरेट के हवाले करने को आतुर है मोदी सरकार. उन्होंने कहा कि आज किसान आजादी लेकर रहेंगे. सुन लो मोदी कुछ भी कर लो लेकर रहेंगे आजादी. राजद के प्रदेश महासचिव देव किशोर यादव एवं बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग की तरह कृषि का भी निजीकरण करना चाहती है मोदी सरकार. खेत और फसल दोनों को कारपोरेट के हवाले करने का मतलब किसान हो जाएंगे गुलाम और देश में उत्पन्न हो जाएगा कृषि संकट व आर्थिक संकट. 

कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह यादव ने कहा कि बिजली कानून 2003 की जगह नए बिजली संशोधन बिल 2020 के जरिए बिजली कंपनियों पर से सरकारी नियंत्रण समाप्त हो जाएगी. यानी किसानों और गरीबों को रियायती दर पर बिजली नहीं मिलेगी. मनमाने ढंग से बिजली कंपनी उपभोक्ताओं से बिजली बिल वसूल करेगी. भाकपा माले के जिला सचिव रामचंद्र दास ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे से भाग रही है और कारपोरेट एवं कंपनी राज खेती में स्थापित करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कंपनी राज नहीं सहेंगे. वहीं माकपा के जिला मंत्री मनोरंजन सिंह एवं राज्य कमेटी के सदस्य गणेश मानव ने कहा कि केंद्र सरकार की कारपोरेट परस्त नीतियों के कारण आज बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. वर्तमान समय में किसानों को आय बताने में क्यों असमर्थ है सरकार? 

भाकपा के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया एवं वरीय नेता रमन कुमार ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार वन नेशन वन कमीशन की नीति पर चल रही है. चुनाव में जिन उद्योगपतियों से कमीशन ली भाजपा आज उसके हाथ कृषि को बेचना चाहती है. समाजसेवी डॉ जवाहर पासवान ने कहा कि मोदी सरकार अभी खेत और खलिहान को बेच रही है. आने वाले दिनों में यह देश को बेच लेगी. शिक्षाविद प्रोफेसर सचिंद्र महतो ने कहा कि किसान विरोधी काला कानून वापस ले सरकार. यह देश किसानों का है किसानों की अनदेखी नहीं सहेंगे. लोजद के जिला अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव एवं वरीय नेता गोपाल यादव ने कहा कि किसानों का दमन बंद करे सरकार. किसान संगठनों से वार्ता करें एवं काला बिल वापस ले. राजद के जिला महासचिव नसीरुद्दीन नूरी एवं महागठबंधन के सहायक संयोजक रामकृष्ण यादव ने कहा कि मोदी सरकार हमारे खेत और पेट पर लात मार रही है. हम इसे नहीं सहेंगे. भीम आर्मी के नेता मुन्ना कुमार पासवान ने कहा कि मोदी सरकार न सिर्फ किसान विरोधी है बल्कि यह संविधान विरोधी भी है.  इसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं. 

इस अवसर पर राजद नेता सुरेश कुमार यादव, पंकज यादव उर्फ विधायक जी, प्रमोद यादव, अरविंद यादव, डॉ राजेश रतन मुन्ना, भारत भूषण, जयप्रकाश यादव, प्रकाश कुमार पिंटू, भूषण यादव, अमलेश यादव, राजीव कुमार, मनोज यादव, मुशर्रफ प्रवीण, धीरेंद्र यादव, नित्यानंद यादव, रामकृष्ण पौदार, शिवनारायण सदा, ललित यादव, संजय यादव, पप्पू यादव, मोहम्मद सद्दाम, विकास कुमार, अभिनंदन यादव, भाकपा नेता शैलेंद्र कुमार, दिलीप पटेल, वीरेंद्र नारायण सिंह, शंभू क्रांति, वसीमुद्दीन उर्फ नन्हे, मोहम्मद सिराज, मन्नु कुमार, मोहम्मद जहांगीर, नवीन कुमार, माधो राम, कृष्णा मुखर्जी, मोहम्मद राजू, रामसेवक यादव, विकास कुमार, माकपा नेता सुशील यादव, राजदीप कुमार, माले नेता शंभू शरण भारतीय, सीताराम रजक, अमनदीप कुमार, सुभाष मल्लिक, संजीदा खातून, प्रमिला देवी, कमला देवी, कांग्रेसी नेता शशि भूषण मंडल, कामेश्वर, खोखा सिंह, दिनेश यादव, रमन कुमार, लोजद नेता डॉ विजेंद्र यादव, अनिल यादव, अमरेश यादव, दिनेश ऋषिदेव, मोहम्मद आलम, मोहम्मद नसीम, भवेश यादव, विवेकानंद कुमार आदि बड़ी संख्या में महागठबंधन के कार्यकर्ता शामिल थे.

कृषि कानून के खिलाफ भारत बंद का मधेपुरा जिला में व्यापक असर कृषि कानून के खिलाफ भारत बंद का मधेपुरा जिला में व्यापक असर       Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 08, 2020 Rating: 5

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