मधेपुरा सदर से निवर्तमान विधायक प्रो० चंद्रशेखर को टिकट मिलते ही जिले की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली सीट मधेपुरा सदर पर राजद और जदयू में सीधी टक्कर का माहौल बन गया है. जदयू ने इस सीट से प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल को उतारा है. बताते चले कि 2015 के चुनाव में यहाँ राजद और जदयू का गठबंधन था और सामने भाजपा थी. इस बार भाजपा जदयू के साथ एनडीए गठबंधन में है. हालाँकि जिले में एक भी सीट भाजपा को नहीं मिलने से भाजपा के कार्यकर्ताओं में भारी निराशा और आक्रोश है. यहाँ तक कि भाजपा जिलाध्यक्ष ने विज्ञप्ति जारी कर इस चुनाव में जदयू पक्ष में प्रचार न करने की बात कही है. अब देखना है कि रूठे भाजपा कार्यकर्ताओं को जदयू मनाने में कितना कामयाब हो पाती है. यदि जदयू ऐसा करने में सफल नहीं हो पति है तो चुनाव पर इसका असर पड़ना तय मानिए.
हालाँकि सदर सीट से लोजपा और जन अधिकार पार्टी के द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा पर ही लोगों की नजर है जो यहाँ की सीट पर विजय के समीकरण को प्रभावित कर सकती है.
उधर आलमनगर, सिंहेश्वर और बिहारीगंज से जदयू ने तो नामों की घोषणा कर दी है पर राजद तथा अन्य के द्वारा अभी तक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है जिसकी वजह से वोटरों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है.
आलमनगर से जदयू के नरेंद्र नारायण यादव के विरूद्ध राजद के उम्मीदवार पर लोगों की नजर है. बिहारीगंज सीट के लिए एक चर्चा यह भी है कि सीट कॉंग्रेस के खाते में जा सकती है. यदि ऐसा हुआ तो फिलहाल दो नामों की चर्चा तेज है. पहला नाम शरद यादव की पुत्री सुहासिनी का है और दूसरा नाम कॉंग्रेस नेत्री रंजीत रंजन का नाम है. हम बता दें कि ये सिर्फ चर्चा है, अभी तय होना बाकी है और राजनीति में कुछ भी संभव है. दूसरी तरफ युवा नेता श्वेत कमल यादव उर्फ़ बौआ के समर्थन में में भी इस सीट पर युवकों की सक्रियता देखी जा रही है.
सिंहेश्वर से जदयू के डॉ. रमेश ऋषिदेव के विरूद्ध कई नामों की चर्चा है जिसमें अमित भारती, सिकंदर ऋषिदेव तथा सरिता पासवान प्रमुख नाम हैं. अमित भारती पिछले चुनाव में जाप में थे पर फिर राजद में वापसी हो गई थी. पहले जदयू में रहे सिकंदर ऋषिदेव की भी इस बार राजद से दावेदारी हो सकती है जबकि सरिता पासवान पहली बार उभरी है और मजबूत दावेदारी के साथ है.
अब देखना है कि अन्य नामों की विधिवत घोषणा होने के बाद जिले की चारों विधानसभा सीटों पर संघर्ष कौन सा रूख लेता है, पर तय है कि जिले में चुनाव रोचक होने की सम्भावना है.
(वि. सं.)
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