'देश की एकता व अखंडता की रीढ़ है हिंदी': डॉ. मधेपुरी

भारत को समेटकर रखने में हिंदी की अहम भूमिका है. यही कारण है कि हिंदी को एकता व अखंडता की रीढ़ कही जाती है. यदि हिंदी नहीं होती तो भारत एक नहीं होता. 


अब हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनने में देर नहीं लगेगी बशर्ते कि हम भारतीय को अंग्रेजी के प्रति बढ़ रहे मोह-भ्रम को भंग करना होगा. 

उक्त बातें समाजवादी सह साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित निज निवास वृंदावन में हिंदी दिवस के मौके पर आयोजित वर्चुअल संगोष्ठि को संबोधित करते हुए कही. 

डॉ. मधेपुरी ने बताया कि पिछले 70 सालों से हिंदी दिवस कोशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभागार में धूम-धाम से मनाया जाता था लेकिन कोरोना के कारण कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन करना पड़ा. उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है किंतु दु:ख इस बात का है कि भारत में केवल 77 प्रतिशत लोग बोलने में हिंदी का उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया में 65 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं. इस हाल में हमें आज संकल्प लेना चाहिए की हिंदी का अधिकांश उपयोग कर इसे राष्ट्रभाषा बनाने में सहयोग करेंगे. कार्यक्रम में सैकड़ों हिंदी प्रेमियों ने भाग लिया.
(रिपोर्ट: कुमारी मंजू)
'देश की एकता व अखंडता की रीढ़ है हिंदी': डॉ. मधेपुरी 'देश की एकता व अखंडता की रीढ़ है हिंदी': डॉ. मधेपुरी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 14, 2020 Rating: 5

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