प्रगति क्लासेज के संस्थापक एवं सहरसा जिला कोचिंग संघ के जिलाध्यक्ष नंदन कुमार ने कहा कि संकट की इस घड़ी में प्राइवेट संस्थान ने सरकार के निर्देश पर तुरंत बंद कर निर्देश का स्वागत किया. लेकिन काफी लंबे दिनों तक शिक्षण संस्थान बंद होने कारण बच्चों के शैक्षणिक विकास पर भी असर पड़ रहा है।
बच्चों का पढ़ाई बाधित ना हो इसलिए ऑनलाइन क्लासेस का प्रावधान किया गया लेकिन इसका फायदा बच्चों को बहुत ज्यादा नहीं मिल पाता है और उनके स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए बच्चों के शैक्षणिक विकास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो जल्द से जल्द विशेष दिशा निर्देश दे कर शिक्षण संस्थान को खोल दिया जाना चाहिए जिससे कि बच्चों में आत्मविश्वास जगेगा और बच्चों का शैक्षणिक और मानसिक विकास सही दिशा में हो पाएगा।
नंदन कुमार का यह भी कहना है कि शिक्षा सेक्टर रोजगार सृजन का बहुत बड़ा प्लेटफार्म है. बावजूद सरकार के द्वारा एमएसएमइ में शामिल नहीं करने के कारण बैंक लोन नहीं देना चाहता है जिसके कारण हाल में भारत सरकार के द्वारा जारी राहत पैकेज लाभ इस सेक्टर को नहीं मिल पाया जबकि स्थानीय स्तर पर आर्थिक व्यवस्था को सुढृढ़ करने में प्राइवेट संस्थाओं की अहम योगदान है. तीनों जिला से लगभग पांच हजार छात्र कोटा जाते है. जिससे यहां के लगभग सौ करोड़ रूपये राजस्व वहां जाता है. जबकि सुविधा के अभाव में भी यहां के निजी संस्थान बड़े शहरों की तरह परिणाम दे रहे है. यदि सरकार का कुछ सहयोग मिल जाय तो यहां का राजस्व यहीं रह जायेगा और बच्चों एवं अभिभावकों को आर्थिक और मानसिक परेशानी से बचाया जा सकता है। नंदन कुमार ने मांग किया की सरकार विशेष पैकेज दे ताकि निजी शिक्षण संस्थान को आर्थिक समस्या से निजात मिल सके और बिना रुकावट के समाज के आर्थिक और शैक्षणिक विकास में अपनी भागीदारी निभा सके। (नि. सं.)
बच्चों का पढ़ाई बाधित ना हो इसलिए ऑनलाइन क्लासेस का प्रावधान किया गया लेकिन इसका फायदा बच्चों को बहुत ज्यादा नहीं मिल पाता है और उनके स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए बच्चों के शैक्षणिक विकास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो जल्द से जल्द विशेष दिशा निर्देश दे कर शिक्षण संस्थान को खोल दिया जाना चाहिए जिससे कि बच्चों में आत्मविश्वास जगेगा और बच्चों का शैक्षणिक और मानसिक विकास सही दिशा में हो पाएगा।
नंदन कुमार का यह भी कहना है कि शिक्षा सेक्टर रोजगार सृजन का बहुत बड़ा प्लेटफार्म है. बावजूद सरकार के द्वारा एमएसएमइ में शामिल नहीं करने के कारण बैंक लोन नहीं देना चाहता है जिसके कारण हाल में भारत सरकार के द्वारा जारी राहत पैकेज लाभ इस सेक्टर को नहीं मिल पाया जबकि स्थानीय स्तर पर आर्थिक व्यवस्था को सुढृढ़ करने में प्राइवेट संस्थाओं की अहम योगदान है. तीनों जिला से लगभग पांच हजार छात्र कोटा जाते है. जिससे यहां के लगभग सौ करोड़ रूपये राजस्व वहां जाता है. जबकि सुविधा के अभाव में भी यहां के निजी संस्थान बड़े शहरों की तरह परिणाम दे रहे है. यदि सरकार का कुछ सहयोग मिल जाय तो यहां का राजस्व यहीं रह जायेगा और बच्चों एवं अभिभावकों को आर्थिक और मानसिक परेशानी से बचाया जा सकता है। नंदन कुमार ने मांग किया की सरकार विशेष पैकेज दे ताकि निजी शिक्षण संस्थान को आर्थिक समस्या से निजात मिल सके और बिना रुकावट के समाज के आर्थिक और शैक्षणिक विकास में अपनी भागीदारी निभा सके। (नि. सं.)
'जल्द विशेष दिशा निर्देश दे कर शिक्षण संस्थान को खोल दे सरकार': नंदन कुमार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 04, 2020
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