त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथदासजी महाराज के दर्शनार्थ मधेपुरा जिले के आलमनगर पहुंचे लघु जल संसाधन व विधि मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने पहुँच कर आशीर्वाद प्राप्त किया ।
इस दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान कण कण में विराजमान हैं उनका नाम लेने से ही मानव का कल्याण हो जाता है।
वहीँ परमपूज्य त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के नेतृत्व में मधेपुरा जिला के आलमनगर प्रखंड में 21फरवरी से 25 फरवरी तक होने वाले श्री विष्णु महायज्ञ के दूसरे दिन लगभग लाखों श्रद्धालु भक्त शामिल हुए। सुबह से ही संतश्री देवराहा शिवनाथ दास जी महाराज के दर्शनार्थ भक्तों की भीड़ उमडी थी।वहीं काशी के आचार्य पंडित भूपेन्द्र पाण्डेय और उनके सहयोगियों द्वारा वेदमंत्रों से पंचांग पूजन किया गया और मंडप प्रवेश के पश्चात वैदिक रीति से अरणी मंथन किया गया।
अरणी मंथन के बाद पूजन-हवन किया गया और साथ ही साथ श्रद्धालुओं के द्वारा यज्ञमंडप की परिक्रमा शुरू हो गई।वहीं संध्या बेला में श्रद्धालुओं के द्वारा संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज की महाआरती की गई। इसके बाद श्रद्धालु भक्तों पर आशीष वर्षण करते हुए त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज ने कहा कि परमात्मा सहज स्वरूप है। परमात्मा को पाने के अनेक मार्ग हैं। परंतु उनमें भक्ति सबसे सहज और सबसे सरल है। प्रारम्भ में भक्ति स्वयं में साध्य होती है और जब यह परमात्मा के चौखट पर साधक को पहुँचा देती है तो भक्ति साधक के लिये साधन हो जाती है। भक्ति का सबसे सहज और सरल विधि हरिनाम संकीर्तन है। हरि का नाम पुकारने में न तो कोई खर्च है और न किसी तरह का विधि-विधान।आप जिस अवस्था में हैं,जहां भी है उसी अवस्था में वहीं से प्रभु को पुकार सकते है। यह बात शत प्रतिशत स्वयं में सत्य है कि प्रभु को पुकारने पर प्रभु सुनते हैं और भक्त के समक्ष प्रगट हो जाते हैं।
संतश्री ने आगे कहा कि संसार की कोई वस्तु व स्थिति किसी को सुख नहीं दे सकती।सुख और दुख दोनो से परे होने में ही कल्याण है।जीव जब तक सुख दुख के बंधन में है तबतक जीव आनन्द की अवस्था में नहीं पहुँच सकता। बन्धन से आजाद होने के लिये हरिनाम सुमिरन ही एकमात्र उपाय है।तुलसी बाबा ने भी कहा है,"बारी मथे होही घृत। सिकता ते बरु तेल।। बिनु हरिभजन न भव तरहिं यह सिद्धांत अपेल।। अर्थात यह मानने वाली बात नहीं है कि समुद्र को मथने से घी निकलेगा या बालू को पेरने से तेल।पर कुछ देर के लिये यह मान भी लिया जाए कि ऐसा सम्भव हो सकता है।पर यह कभी नहीं माना जा सकता कि हरिभजन के बिना कोई संसार के भव-बन्धन से मुक्त हो सकता है।संसार के भव-बन्धन से निकलने का एकमात्र उपाय हरि के किसी भी नाम को बारम्बार लिया जाए और उनके किसी भी सौम्य रूप का ध्यान किया जाय।कहा गया है कि एक घड़ी आधो घड़ी आधो में पुनियाद।तुलसी संगत साधु के कटै कोटि अपराध।।अर्थात यह कोई जरूरी नहीं कि दिन-रात हर घड़ी भजन ही किया जाय।हरि का नाम जितना समय मिले उतना ही लेने से भी कल्याण हो जाता है।
इस दौरान डी ए वी पब्लिक स्कूल के निदेशक इंजीनियर नवीन कुमार, संजीव कुमार सिंह, रामचन्द्र पासवान, प्रभाष पासवान, राजेश पासवान, मनोज यादव, मुन्ना सिंह, शंभु सिंह, चन्द्र देव यादव सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।
(रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)

वहीँ परमपूज्य त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के नेतृत्व में मधेपुरा जिला के आलमनगर प्रखंड में 21फरवरी से 25 फरवरी तक होने वाले श्री विष्णु महायज्ञ के दूसरे दिन लगभग लाखों श्रद्धालु भक्त शामिल हुए। सुबह से ही संतश्री देवराहा शिवनाथ दास जी महाराज के दर्शनार्थ भक्तों की भीड़ उमडी थी।वहीं काशी के आचार्य पंडित भूपेन्द्र पाण्डेय और उनके सहयोगियों द्वारा वेदमंत्रों से पंचांग पूजन किया गया और मंडप प्रवेश के पश्चात वैदिक रीति से अरणी मंथन किया गया।
अरणी मंथन के बाद पूजन-हवन किया गया और साथ ही साथ श्रद्धालुओं के द्वारा यज्ञमंडप की परिक्रमा शुरू हो गई।वहीं संध्या बेला में श्रद्धालुओं के द्वारा संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज की महाआरती की गई। इसके बाद श्रद्धालु भक्तों पर आशीष वर्षण करते हुए त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज ने कहा कि परमात्मा सहज स्वरूप है। परमात्मा को पाने के अनेक मार्ग हैं। परंतु उनमें भक्ति सबसे सहज और सबसे सरल है। प्रारम्भ में भक्ति स्वयं में साध्य होती है और जब यह परमात्मा के चौखट पर साधक को पहुँचा देती है तो भक्ति साधक के लिये साधन हो जाती है। भक्ति का सबसे सहज और सरल विधि हरिनाम संकीर्तन है। हरि का नाम पुकारने में न तो कोई खर्च है और न किसी तरह का विधि-विधान।आप जिस अवस्था में हैं,जहां भी है उसी अवस्था में वहीं से प्रभु को पुकार सकते है। यह बात शत प्रतिशत स्वयं में सत्य है कि प्रभु को पुकारने पर प्रभु सुनते हैं और भक्त के समक्ष प्रगट हो जाते हैं।
संतश्री ने आगे कहा कि संसार की कोई वस्तु व स्थिति किसी को सुख नहीं दे सकती।सुख और दुख दोनो से परे होने में ही कल्याण है।जीव जब तक सुख दुख के बंधन में है तबतक जीव आनन्द की अवस्था में नहीं पहुँच सकता। बन्धन से आजाद होने के लिये हरिनाम सुमिरन ही एकमात्र उपाय है।तुलसी बाबा ने भी कहा है,"बारी मथे होही घृत। सिकता ते बरु तेल।। बिनु हरिभजन न भव तरहिं यह सिद्धांत अपेल।। अर्थात यह मानने वाली बात नहीं है कि समुद्र को मथने से घी निकलेगा या बालू को पेरने से तेल।पर कुछ देर के लिये यह मान भी लिया जाए कि ऐसा सम्भव हो सकता है।पर यह कभी नहीं माना जा सकता कि हरिभजन के बिना कोई संसार के भव-बन्धन से मुक्त हो सकता है।संसार के भव-बन्धन से निकलने का एकमात्र उपाय हरि के किसी भी नाम को बारम्बार लिया जाए और उनके किसी भी सौम्य रूप का ध्यान किया जाय।कहा गया है कि एक घड़ी आधो घड़ी आधो में पुनियाद।तुलसी संगत साधु के कटै कोटि अपराध।।अर्थात यह कोई जरूरी नहीं कि दिन-रात हर घड़ी भजन ही किया जाय।हरि का नाम जितना समय मिले उतना ही लेने से भी कल्याण हो जाता है।
इस दौरान डी ए वी पब्लिक स्कूल के निदेशक इंजीनियर नवीन कुमार, संजीव कुमार सिंह, रामचन्द्र पासवान, प्रभाष पासवान, राजेश पासवान, मनोज यादव, मुन्ना सिंह, शंभु सिंह, चन्द्र देव यादव सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।
(रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)
त्रिकालदर्शी संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के नेतृत्व में श्रीविष्णु महायज्ञ का विराट आयोजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 22, 2020
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