लटकी हुई बीरपुर -बिहपुर राष्ट्रीय उच्च पथ के कॉन्ट्रेक्टर से छीना जा सकता है काम: उच्च न्यायालय की भी भृकुटि तनी
बीरपुर से बिहपुर राष्ट्रीय उच्च पथ 106 का पुनर्निर्माण पूरे ताम झाम से शुरू हुआ । लेकिन फिर निर्माणकर्ता आई एल एंड एफ़ एस कंपनी का ही भट्ठा बैठ गया।
दिवालिया हो रही इस कंपनी को स्थिति यह है कि इसके लिए काफी बड़ी रकम चाहिए। दरअसल यह सरकारी उपक्रम फाइनेंसियल कार्य भी करती थी और कई कम्पनियों ने इससे कर्ज़ लेकर लौटने से असमर्थता व्यक्त कर दी तो फिर यह स्थिति आनी ही थी।
बहरहाल अब इस मुताल्लिक नई बात यह सामने आ रही है कि अब केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च पथ मंत्रालय ने भी इस निर्माणकर्ता कंपनी को कांट्रेक्ट की विभिन्न शर्तों के उल्लंघन सहित समय पर काम पूरा नही होने के कारण कांट्रेक्ट तोड़ देने का अल्टीमेटम दे दिया है। 14 अगस्त को जारी आई एल एंड एफ़ एस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड, हैदराबाद के नाम जारी एक अल्टीमेटम में कहा गया है कि आपकी कंपनी ने संविदा की शर्तों को लगातार तोड़ने का काम किया है। इस सड़क के निर्माण कार्य को 36 माह में पूरा करने की शर्त थी । लेकिन 22 अक्टूबर 2018 तक 60 प्रतिशत कार्य पूरा करने की शर्त के विरुद्ध आपकी कंपनी मात्र 14.42 प्रतिशत ही कार्य कर पाई है।पटना उच्च न्यायालय के समक्ष आपकी कंपनी ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि अब छोटे छोटे सह संवेदकों को रख कर अक्टूबर 2020 तक कार्य पूरा कर लेंगे।लेकिन अभी तक किसी सह संवेदक को मुकर्रर नही किया जा सका है।
लिहाजा इस अल्टीमेटम पत्र के जारी होने के पंद्रह दिन के अंदर उपयुक्त जवाब दें । पंद्रह दिन में जवाब नही देने पर स्वतः आपके साथ हुई संविदा रद्द हो जाएगी।
बीरपुर से बिहपुर तक राष्ट्रीय उच्च पथ 106 को अटल जी के प्रधान मंत्रित्व काल में तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे शरद यादव के प्रयास से उच्च पथ की शुमार में शामिल करवाया गया था। लेकिन फिर कांग्रेस सरकार में इस पथ की लगातार उपेक्षा होती रही। मोदी सरकार के प्रथम सत्र में जब इसे 2/2 लेन पेवेट के साथ बनाने का निर्णय लेकर कार्य शुरू कराया गया तो अब निर्माणकर्ता कंपनी के भविष्य पर ही ग्रहण लगता नज़र आ रहा है।
दूसरी ओर, इस उच्च पथ के बदतर स्थिति को ले पटना उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है और नई खबर यह है कि उच्च न्यायालय में यह कंपनी कार्य शीघ्र पूरा करने के लिए बस वायदे करती नज़र आ रही है।
दिवालिया हो रही इस कंपनी को स्थिति यह है कि इसके लिए काफी बड़ी रकम चाहिए। दरअसल यह सरकारी उपक्रम फाइनेंसियल कार्य भी करती थी और कई कम्पनियों ने इससे कर्ज़ लेकर लौटने से असमर्थता व्यक्त कर दी तो फिर यह स्थिति आनी ही थी।
बहरहाल अब इस मुताल्लिक नई बात यह सामने आ रही है कि अब केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च पथ मंत्रालय ने भी इस निर्माणकर्ता कंपनी को कांट्रेक्ट की विभिन्न शर्तों के उल्लंघन सहित समय पर काम पूरा नही होने के कारण कांट्रेक्ट तोड़ देने का अल्टीमेटम दे दिया है। 14 अगस्त को जारी आई एल एंड एफ़ एस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड, हैदराबाद के नाम जारी एक अल्टीमेटम में कहा गया है कि आपकी कंपनी ने संविदा की शर्तों को लगातार तोड़ने का काम किया है। इस सड़क के निर्माण कार्य को 36 माह में पूरा करने की शर्त थी । लेकिन 22 अक्टूबर 2018 तक 60 प्रतिशत कार्य पूरा करने की शर्त के विरुद्ध आपकी कंपनी मात्र 14.42 प्रतिशत ही कार्य कर पाई है।पटना उच्च न्यायालय के समक्ष आपकी कंपनी ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि अब छोटे छोटे सह संवेदकों को रख कर अक्टूबर 2020 तक कार्य पूरा कर लेंगे।लेकिन अभी तक किसी सह संवेदक को मुकर्रर नही किया जा सका है।
लिहाजा इस अल्टीमेटम पत्र के जारी होने के पंद्रह दिन के अंदर उपयुक्त जवाब दें । पंद्रह दिन में जवाब नही देने पर स्वतः आपके साथ हुई संविदा रद्द हो जाएगी।
बीरपुर से बिहपुर तक राष्ट्रीय उच्च पथ 106 को अटल जी के प्रधान मंत्रित्व काल में तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे शरद यादव के प्रयास से उच्च पथ की शुमार में शामिल करवाया गया था। लेकिन फिर कांग्रेस सरकार में इस पथ की लगातार उपेक्षा होती रही। मोदी सरकार के प्रथम सत्र में जब इसे 2/2 लेन पेवेट के साथ बनाने का निर्णय लेकर कार्य शुरू कराया गया तो अब निर्माणकर्ता कंपनी के भविष्य पर ही ग्रहण लगता नज़र आ रहा है।
दूसरी ओर, इस उच्च पथ के बदतर स्थिति को ले पटना उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है और नई खबर यह है कि उच्च न्यायालय में यह कंपनी कार्य शीघ्र पूरा करने के लिए बस वायदे करती नज़र आ रही है।
लटकी हुई बीरपुर -बिहपुर राष्ट्रीय उच्च पथ के कॉन्ट्रेक्टर से छीना जा सकता है काम: उच्च न्यायालय की भी भृकुटि तनी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 19, 2019
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