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हिन्दू धर्म में महिलाओ के द्वारा अपने पति व परिवार के लिए कई तरह के व्रत और पूजा की जाती है जिस में से एक वटसावित्री पूजा है। आज उसी पूजा को लेकर चौसा प्रखंड परिसर के बरगद के पेड़ और दुर्गा मंदिर परिसर पेड़ के नीचे महिलाओं का सैलाब देखने को मिला, वहीँ पुजारी चक्रधर मेहता द्वारा कथा सुनाते देखा गया। महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर पहना रही मानो सदा सुहागन का आशीर्वाद ले रही हो। वहीँ महिला बरगद के पेड़ के चारो तरफ घूम घूम कर धागे का रक्षा सूत्र बांध रही थी।
पुजारी चक्रधर मेहता ने बताया कि माना जाता है कि आज के दिन ही सत्यवान के प्राण पत्नी सावित्री ने यमराज से वापिस लौटाई थी और साथ ही यमराज ने पति के प्रति प्रेम देख आशीर्वाद दिया था । कुछ लोगों का मानना है कि बरगद के पेड़ की जड़ ब्रह्मा, छाल विष्णु और शाखा शिव से सम्बंधित है। लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती है तथा जेष्ठ अमावश्य के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करने से ब्रह्मा विष्णु और महेश सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। वट वृक्ष अपने आप में आस्था का असीम संसार समेटे यह वृक्ष वृहद औषधीय गुणों वाला भी है। आयुर्वेद में इसे दैवीय उपहार के रूप में माना गया है। इसकी जड़, पत्ता, छाल और रस सभी गुणकारी है। कमर, जोड़ों के दर्द, मधुमेह और मुंह संबंधी तमाम रोगों में रामबाण औषधि है। बरगद की जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं। पत्तियां हवा को शुद्ध करती हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो कफ और पित्त की समस्या को दूर करती है।
पति की लम्बी आयु के लिए महिलाओं ने की वटसावित्री पूजा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 03, 2019
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