‘भारत में मानवाधिकार के रास्ते में कई समस्याएं हैं जिनमें जातिवाद भी अहम है’: देबोलिना घोष

लन्दन के अति सम्मानित क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल कर फिर अपने देश में सिविल राइट्स के लिए काम करने वाली मधेपुरा की देबोलिना घोष का कहना है कि जीवन में कभी भी चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए. आप चाहें या नहीं, चुनौती जीवन में आती ही रहेंगी. 


जाहिर है, इस बदल रहे समय में एक छोटे से जगह से भी मिहनत के बल पर खुद निखार कर उस मुकाम को हासिल किया जा सकता है, जिसे पाना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है. 03 जनवरी 1987 को जन्मी देबोलिना घोष की भी प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत मधेपुरा जैसे छोटे कस्बाई शहर से ही हुई. मॉडर्न चिल्ड्रेन स्कूल, मधेपुरा से यू.के.जी. करने के बाद भले ही पांचवीं तक की पढ़ाई देबोलिना ने कुर्सियांग (पश्चिम बंगाल) के Belle Vue Boarding School से की थी, पर पाँचवी के बाद फिर उसकी पढ़ाई मधेपुरा के St. John Public School से हुई, जहाँ से सातवीं के बाद आठवीं की पढ़ाई मधेपुरा के राजकीय कन्या स्कूल से पूरी करने के बाद वह फिर दसवीं की पढ़ाई के लिए Belle Vue Boarding School गयी और 60% अंकों से मैट्रिक की परीक्षा पास की. पश्चिम बंगाल से ही 65 % अंकों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा में पाँचवां स्थान प्राप्त किया. 

West Bengal Universitiy of Technology से वर्ष 2007 में 78% अंकों से BBA (Bachelor in Business Administration and Finance) उतीर्ण करने के बाद तीन वर्ष उसने विभिन्न बैंकों और फाइनेंस सेक्टर में अनुभव प्राप्त किया और फिर वर्ष 2013 में एलएलबी की परीक्षा पास की. इसके बाद उसने आईआईएम कलकत्ता से Executive Programme in Human Resource Management  का कोर्स किया. अगले डेढ़ साल तक उसने दिल्ली हाई कोर्ट में क्रिमिनल प्रैक्टिस किया.  इसके बाद देबोलिना उच्चतर शिक्षा के लिए लन्दन चली गयी जहाँ कैंब्रिज और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के बाद यूनाइटेड किंगडम के तीसरे सबसे बड़े क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से उसने एलएलएम की सम्मानित डिग्री हासिल की. यहाँ उसके थीसिस का विषय था- Human Rights for Prostitutes of South Asia.  जिसके तहत उसने भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल देशों में वेश्याओं की वर्तमान स्थिति तथा उनके मानव अधिकार पर अध्ययन किया. फिर वापस दिल्ली उच्च न्यायालय तथा सेशंस कोर्ट में फिर से प्रैक्टिस शुरू की. 

मधेपुरा टाइम्स से विशेष बातचीत में देबोलिना ने बताया कि अब वो भारत में महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए काम करेंगी और जहाँ सिविल और लीगल राइट्स में कमियाँ हैं, उनके लिए वो संघर्ष करेंगी. देबोलिना का मानना है कि भारत में मानवाधिकार के रास्ते में कई समस्याएं हैं जिनमें जातिवाद या पैसों के आधार पर किसी को नीचा देखना आदि भी शामिल हैं. इनपर बहुत सारे काम करने की आवश्यकता है. 

मधेपुरा टाइम्स स्टूडियो में ख़ास बातचीत में देबोलिना घोष में इस इलाके के लोगों को जागरूक करने के लिए मधेपुरा टाइम्स में नियमित रूप से आर्टिकल लिखने पर अपनी सहमति जताई है.

मधेपुरा टाइम्स के साथ देबोलिना घोष का इंटरव्यू सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
(Report: R.K. Singh)
‘भारत में मानवाधिकार के रास्ते में कई समस्याएं हैं जिनमें जातिवाद भी अहम है’: देबोलिना घोष ‘भारत में मानवाधिकार के रास्ते में कई समस्याएं हैं जिनमें जातिवाद भी अहम है’: देबोलिना घोष Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 29, 2019 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.