'सीखने वालों के लिए प्रशंसा ज़हर है: मिलिए एक मँजे हुए चित्रकार अजित प्रकाश से, जिनकी कला आपको हैरान कर देगी


सीखने वालों के लिए प्रशंसा ज़हर है। अत्यधिक व छद्म प्रशंसा कला प्रशिक्षुओं की कमी को ढंककर उनकी सीखने की प्रवृत्ति में बाधा पहुँचाती हैं, इसलिए किसी कलाकार को कभी प्रशंसा की चाह नहीं रखनी चाहिए। 


बेहतर करने की चाह रखने वालों को अपनी प्रशंसा सुनने की बजाए अपनी कमी बताने वालों के लिए प्रयासरत रहें अन्यथा कलाकार के कला की मौत अवश्यमभावी है। ऐसा मानना है अजित प्रकाश का जो देश के ख्यातिप्राप्त सॉफ्टवेयर इंटरफेस डिजाइनर के साथ-साथ एक मंजे हुए चित्रकार भी हैं।

हिन्दी व मैथिली के महान साहित्यकार सहरसा निवासी स्व महाप्रकाश के द्वितीय सुपुत्र अजित प्रकाश को बचपन से ही चित्रकारी का शौक था। बचपन में लालटेन की रौशनी में पढ़ाई करते वक्त इनके पिताजी ने इन्हें उसी लालटेन का चित्र बनाते देख लिया और इनकी प्रतिभा को पहचान लिया था। तब से वो इन्हें चित्रकारी करने के लिए प्रेरित करते रहे। सहरसा से स्कूली शिक्षा समाप्त करने के पश्चात विख्यात सिने कलाकार श्री पंकज झा जो इनके पिता से मिलने अक्सर इनके घर आते रहते थे उन्होंने इनके पिताजी को इन्हें पटना स्थित आर्ट & क्राफ्ट कॉलेज में दाखिला दिलवाने की सलाह दी और इनके पिताजी ने भी इनके शौक को देखते हुए अपनी सहमति दे दी। वहाँ से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की पढ़ाई पूरी कर इन्होंने दिल्ली का रूख किया और इस क्षेत्र में जम के मेहनत की। अभी ये दिल्ली स्थित एक मल्टीनेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी में इंटरफेस डिजाइनिंग का काम करते हैं। अपने क्लाइंट की जरूरतों के हिसाब से डिजिटल डिजाइन तैयार करने के साथ-साथ पोर्ट्रेट बनाने में इनकी गहरी रूचि है। चित्रकला का हर माध्यम चाहे वो डिजिटल पैड हो अथवा वाटर कलर, ऑयल पेंट, चारकोल पेंसिल हो या बॉल पॉइन्ट पेन ये हर माध्यम की चित्रकारी में दक्ष हैं। चित्रकारी के अलावा ये फोटोग्राफी, बाईक राइडिंग, अडवेंचर टूर इत्यादि के भी शौकीन हैं।

चित्रकारी एक महंगा शौक है। शुरूआती दौर में चित्रकारी में प्रयोग होने वाले महंगे-महंगे टूल्स ख़रीदना इनके घर के कमज़ोर आर्थिक हालात के कारण इनके लिए इतना सुलभ भी नहीं था परंतु अपनी माँ के बेहद दुलारे अजित प्रकाश को इनकी माँ ने हरसंभव मदद कर इनकी प्रतिभा को निख़ारने में पूर्ण सहयोग दिया। कैरियर बनाने के क्रम में ही इनके पिता का स्वर्गवास हो गया फिर माँ के साथ-साथ इनके बड़े भैया ने इनको इनको यथासंभव सहयोग कर इन्हें अपनी राह से विचलित नहीं होने दिया। अपनी माँ के बारे में ये कहते बेहद भावुक भी हो उठते हैं कि आज यदि माँ न होती तो मैं एक चित्रकार नहीं बल्कि कुछ और होता। 

करीब दो दशक से घर से बाहर रहने के कारण कोसी क्षेत्र के सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी इन्हें मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से मिलती रही है। पिछले कुछ रिपोर्ट के माध्यम से कोसी में चित्रकारी के क्षेत्र में पनप रहे प्रतिभाओं को देखकर ये अत्यंत उत्साहित हैं। मधेपुरा टाइम्स पर प्रियंका सिंह, अर्चना मिश्रा, श्वेताभ सुमन, आकृति झा, मिनाक्षी दास इत्यादि को देखकर अब अपने कोसी के नवोदित कलाकरों को और बेहतर करने तथा पेशेवर तौर-तरीके की पेंटिंग प्रशिक्षण देने की मंशा पाल रहे हैं।

नवोदित कलाकरों को विशेष सलाह देते हुए इनका कहना है कि ललितकला में पूर्णता प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन अभ्यास करना अत्यंत आवश्यक है। उन्हें चाहिए कि रोज़मर्रा करने वाले अन्य कामों के साथ-साथ प्रतिदिन एक तस्वीर अवश्य बनाएं।

आप इनकी बनायी हुई पेंटिंग्स को इनके पेज पर जाकर भी देख सकते हैं लिंक यहाँ है: https://www.facebook.com/pageshiningajit/?ti=as

नीचे इनकी पेंटिंग्स पर गौर फरमाइए.














'सीखने वालों के लिए प्रशंसा ज़हर है: मिलिए एक मँजे हुए चित्रकार अजित प्रकाश से, जिनकी कला आपको हैरान कर देगी 'सीखने वालों के लिए प्रशंसा ज़हर है: मिलिए एक मँजे हुए चित्रकार अजित प्रकाश से, जिनकी कला आपको हैरान कर देगी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 07, 2019 Rating: 5

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