बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के राज्यव्यापी आवाहन पर 15 सूत्री मांगों के समर्थन में चरणबद्ध आंदोलन कार्यक्रम के अंतर्गत सेविका सहायिका संघ की जिला अध्यक्ष अर्चना कुमारी के नेतृत्व में जिला मुख्यालय के कर्पूरी चौक एवं बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की जिलाध्यक्ष पल्लवी कुमारी के नेतृत्व में जिला मुख्यालय के बस स्टैंड चौक पर सड़क जाम किया गया.
मालूम हो कि बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के राज्यव्यापी आवाहन पर सेविका सहायिका अपनी 15 सूत्री मांगों के समर्थन में पांच दिसंबर 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. मौके पर उपस्थित सेविका सहायिका ने कहा कि इस भीषण महंगाई में बिहार सरकार के द्वारा सेविका सहायिका को न्यूनतम मानदेय दी जाती है. छह आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त विभिन्न तरह के कार्य में मौखिक किसी प्रोत्साहन राशि के बिना सरकार एवं पदाधिकारी के द्वारा कार्य करने को बाध्य की जाती है. इस न्यूनतम मानदेय में घर एवं बच्चों की पढ़ाई करवाना कठिन है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के प्रतिनिधि मंडल से राज्य संघ के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई सकारात्मक वार्ता के शत प्रतिशत एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को लागू किया जाए. वहीं उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं देखती है, तब तक हम लोग चरणबद्ध आंदोलन करते रहेंगे. आज जिस तरह हम लोगों ने जिला मुख्यालय की सड़कों को जाम किया है. उसी तरह बुधवार को सभी आंगनबाड़ी सेविका सहायिका अपने-अपने प्रखंड मुख्यालय में धरना तथा सड़क जाम करेगी.
अपनी मांगों से अवगत कराते हुए जिला अध्यक्ष अर्चना कुमारी ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए सेविका को क्लास iii एवं सहायिका को क्लास iv के रूप में समायोजित किया जाए. जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता सेविका को 18 हजार रूपए एवं सहायिका को 12 हजार रुपए मानदेय राशि दिया जाए. 54 दिन हड़ताल के उपरांत 16 मई 2017 को हुए समझौते के आलोक में लंबित मांगों का शीघ्र निष्पादन किया जाए. गोवा तेलंगाना एवं अन्य राज्यों की भांति बिहार सरकार द्वारा भी सात हजार रुपए सेविका एवं 45 सौ रुपए साहिका को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दिया जाए. सेविकाओं को पर्यवेक्षिका एवं सहायिकाओं को सेविका के पद पर शत प्रतिशत पदों पर पदोन्नति दी जाए तथा उम्र सीमा समाप्त किया जाए. सेवानिवृत्ति के पश्चात पांच हजार रुपए मासिक पेंशन या एकमुश्त पांच लाख रुपए सहायता राशि एवं बीमा का लाभ सुनिश्चित किया जाए. आंगनबाड़ी सेविका सहायिका चयन मार्गदर्शिका एवं दंडनिरूपण की प्रक्रिया कानून सम्मत बनाया जाए.
जाम के दौरान भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने पहुंचकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के 15 सूत्री मांगों को जायज ठहराते हुए अपना समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को अपनी मांगों को लेकर मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ता है और दूसरी तरफ बिहार में कानून की नहीं अपराधियों की सरकार है. सुशासन बाबू के संरक्षण में बिहार के अंदर रोज हत्या और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. आम लोग आतंक के छाया में जीने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि अगर बिहार को बचाना है तो एकजुट होकर संघर्ष तेज करना होगा.
मौके पर कुमारी नीलम, बेबी कुमारी, विभा कुमारी, किरण कुमारी, मंजू कुमारी, भारती कुमारी, रेनू कुमारी, संतोष कुमारी, रंजू कुमारी, मंजुला कुमारी, पुष्पलता कुमारी, किरण भारती, अनुराधा रानी, किरण कुमारी, रुबी कुमारी, निशी सरोज, पूनम कुमारी, अमिता किशोर, कुमारी प्रमिला, नूतन कुमारी, गीता कुमारी, विनीता झा, मंजूलता, ब्यूटी कुमारी, रेनू कुमारी, शारदा कुमारी, सुनैना कुमारी सहित हजारों की संख्या में सेविका सहायिका उपस्थित थी.
मालूम हो कि बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के राज्यव्यापी आवाहन पर सेविका सहायिका अपनी 15 सूत्री मांगों के समर्थन में पांच दिसंबर 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. मौके पर उपस्थित सेविका सहायिका ने कहा कि इस भीषण महंगाई में बिहार सरकार के द्वारा सेविका सहायिका को न्यूनतम मानदेय दी जाती है. छह आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त विभिन्न तरह के कार्य में मौखिक किसी प्रोत्साहन राशि के बिना सरकार एवं पदाधिकारी के द्वारा कार्य करने को बाध्य की जाती है. इस न्यूनतम मानदेय में घर एवं बच्चों की पढ़ाई करवाना कठिन है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के प्रतिनिधि मंडल से राज्य संघ के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई सकारात्मक वार्ता के शत प्रतिशत एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को लागू किया जाए. वहीं उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं देखती है, तब तक हम लोग चरणबद्ध आंदोलन करते रहेंगे. आज जिस तरह हम लोगों ने जिला मुख्यालय की सड़कों को जाम किया है. उसी तरह बुधवार को सभी आंगनबाड़ी सेविका सहायिका अपने-अपने प्रखंड मुख्यालय में धरना तथा सड़क जाम करेगी.
अपनी मांगों से अवगत कराते हुए जिला अध्यक्ष अर्चना कुमारी ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए सेविका को क्लास iii एवं सहायिका को क्लास iv के रूप में समायोजित किया जाए. जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता सेविका को 18 हजार रूपए एवं सहायिका को 12 हजार रुपए मानदेय राशि दिया जाए. 54 दिन हड़ताल के उपरांत 16 मई 2017 को हुए समझौते के आलोक में लंबित मांगों का शीघ्र निष्पादन किया जाए. गोवा तेलंगाना एवं अन्य राज्यों की भांति बिहार सरकार द्वारा भी सात हजार रुपए सेविका एवं 45 सौ रुपए साहिका को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दिया जाए. सेविकाओं को पर्यवेक्षिका एवं सहायिकाओं को सेविका के पद पर शत प्रतिशत पदों पर पदोन्नति दी जाए तथा उम्र सीमा समाप्त किया जाए. सेवानिवृत्ति के पश्चात पांच हजार रुपए मासिक पेंशन या एकमुश्त पांच लाख रुपए सहायता राशि एवं बीमा का लाभ सुनिश्चित किया जाए. आंगनबाड़ी सेविका सहायिका चयन मार्गदर्शिका एवं दंडनिरूपण की प्रक्रिया कानून सम्मत बनाया जाए.
जाम के दौरान भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने पहुंचकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के 15 सूत्री मांगों को जायज ठहराते हुए अपना समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को अपनी मांगों को लेकर मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ता है और दूसरी तरफ बिहार में कानून की नहीं अपराधियों की सरकार है. सुशासन बाबू के संरक्षण में बिहार के अंदर रोज हत्या और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. आम लोग आतंक के छाया में जीने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि अगर बिहार को बचाना है तो एकजुट होकर संघर्ष तेज करना होगा.
मौके पर कुमारी नीलम, बेबी कुमारी, विभा कुमारी, किरण कुमारी, मंजू कुमारी, भारती कुमारी, रेनू कुमारी, संतोष कुमारी, रंजू कुमारी, मंजुला कुमारी, पुष्पलता कुमारी, किरण भारती, अनुराधा रानी, किरण कुमारी, रुबी कुमारी, निशी सरोज, पूनम कुमारी, अमिता किशोर, कुमारी प्रमिला, नूतन कुमारी, गीता कुमारी, विनीता झा, मंजूलता, ब्यूटी कुमारी, रेनू कुमारी, शारदा कुमारी, सुनैना कुमारी सहित हजारों की संख्या में सेविका सहायिका उपस्थित थी.
आंगनबाड़ी सेविका सहायिका उतरी सड़क पर, मांगों के समर्थन में बड़ा प्रदर्शन और सड़क जाम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 08, 2019
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