'परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी है और बनी रहेगी': मुरलीगंज में चल रहे नौ दिवसीय "श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ" में श्री कृष्ण बाल लीला प्रसंग

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज स्थित मवेशी अस्पताल मैदान परिसर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय "श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ" का अद्भुत, भव्य व विशाल आयोजन किया जा रहा है। 


कथा के षष्ठम दिवस पर भगवान श्री कृष्ण की अनंत बाल लीलाओंं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हुए "दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान" के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री कालिन्दी भारती जी ने आज "बाल-लीला" प्रसंग प्रस्तुत करते हुए कहा कि-
"अवजानन्ति मां मूढा मानषी तनुमाश्रितम्।
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम।।"

इस संसार के मूढ़ बुद्धि वाले लोग मुझे मनुष्य शरीर में देखकर साधारण मनुष्य समझ लेते हैं,  वे मेरे परम भाव को नहीं जानते कि मैं ही सभी भूत प्राणियों का स्वामी हूं, गोकुल की गलियों में दौड़ते हुए इस गोप बालक को देखकर कौन कह सकता था कि वे परमात्मा है। वन में अपनी पत्नी के खो जाने पर विलाप करते हुए वृक्षों व लताओं से अपनी पत्नी के समाचार पूछने वाले वनवासी प्रभु श्री राम को देखकर भला कौन कह सकता है कि यही परमात्मा है। परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी है और बनी रहेगी हैं क्योंकि वह परमात्मा को अपनी बुद्धि के द्वारा समझना चाहता है जो संभव नहीं। (इसलिए रावण, कंस, दुर्योधन जैसे लोग भी प्रभु की लीलाओं से धोखा खा गए)। प्रभु की प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य है छिपा होता है, जिनका उद्देश्य मनुष्य को आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रेरित करना है। जब एक मनुष्य पूर्ण सतगुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करता है तब उसके अंदर में ही इन लीलाओं में छिपे आध्यात्मिक रहस्य प्रकट होते हैं तथा पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ही वह इन रहस्यों को समझ पाता है।

माखन चोरी का कुशल मार्मिक प्रवचन

भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की, इस घटना के पीछे आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार माखन है, उन्होंने गोपियों के घर से केवल मक्खन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और आसार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार संसार की नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ्य का अपव्यय करने की अपेक्षा हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।

 दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का सामाजिक प्रकल्प “मंथन – संपूर्ण विकास केंद्र” अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करता संपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत पूरे देश में 18 संपूर्ण विकास केंद्र चलाए जा रहे हैं जिसमें लगभग 2000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विविध स्तर जैसे शैक्षणिक, शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर पोषित कर उनमें नैतिक मूल्यों को उन्नत करना है। मंथन में पढ़ रहे छात्रों की अंतर्निहित प्रतिभाओं का विस्तार करने हेतु मंथन सदैव लक्षित रहता है । मंथन – संपूर्ण विकास केंद्र में बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ाये जाते हैं।

इसके अतिरिक्त स्वामी श्री कुलविंदर जी, गुरुभाई श्री सुनील जी, गुरुभाई श्री अमृत जी, स्वामी श्री विनयानंद जी, साध्वी सुश्री सर्वसुखी भारती, सुश्री किरण भारती, पूर्णिमा भारती, एवं सुश्री ममतामयी भारती जी ने मधुर भजनों का गायन किया। तथा सुश्री हरिप्रीता भारती जी, सुश्री हरिअर्चणा भारती जी, सुश्री निवृत्ति भारती जी, नीलम भारती जी, स्वामी श्री कुलवीरानंद जी, गुरुभाई सचिन जी एवं गुरुभाई दलजीत जी ने भजनों को ताल व लयबद्ध किया।

आज मुख्य अतिथि के रूप में माननीय विधायक नरेंद्र नारायण यादव आलमनगर, रुपेश कुमार उर्फ गुलटेन जिलाध्यक्ष युवा जदयू, मनोज कुमार साह प्रमुख मुरलीगंज, वृंदालाल, अनुमंडल पदाधिकारी,मधेपुरा,  शशीभूषण कुमार, अंचल अधिकारी, मुरलीगंज, सुरेंद्र यादव जदयू जिला महासचिव, मिथिलेश यादव पूर्व मुखिया, बाफना जी, पेट्रोल पंप मुरलीगंज, विजय कुमार यादव पूर्व पार्षद मिडिल चौक मुरलीगंज आदि मौजूद थे.
'परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी है और बनी रहेगी': मुरलीगंज में चल रहे नौ दिवसीय "श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ" में श्री कृष्ण बाल लीला प्रसंग 'परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी है और बनी रहेगी': मुरलीगंज में चल रहे नौ दिवसीय "श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ" में श्री कृष्ण बाल लीला प्रसंग Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 20, 2018 Rating: 5

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