'नामी गिरामी धर्म गुरु अनैतिकता व चरित्रहीनता के ज्वलंत उदाहरण बने दिखते हैं': रामचरित मानस एवं गीता ज्ञान का पांचवा दिन
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जिस प्रकार नदी सागर में समा जाती है उसी प्रकार जीव आत्मा परमात्मा में मिल जाना चाहता है। जब तक जीव आत्मा परमात्मा से नहीं मिल पाता तबतक वह दुखी एवं अशांत रहता है। गुरु के बिना परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं है।आज के परिवेश को देखे तो गुरूओं की दशा बहुत निंदनीय है. समाज के सभी नामी गिरामी, धर्म गुरु, अनैतिकता व चरित्र हीनता के ज्वलंत उदाहरण बने दिखते हैं. ऐसे में एक ईश्वर किस पिपाशु गुरु के पास जाएँ. यदि आपका बेटा अनजान में सोने के स्थान पर पीतल खरीद लेता है, तो क्या आप पूरे सोनार जाति को गलत बताऐंगे।
समापन के दौरान मुखिया प्रेमलता कुमारी, राजद प्रखंड अधिक किशोर कुमार यादव, पोस्टमास्टर सुबोध देवी, पूर्व मुखिया विष्णु देव यादव, ई. राहुल कुमार, वार्ड सदस्या अंजनी कुमारी, राजेश कुमार, महेश्वरी यादव आदि ने आरती में भाग लिया. वहीं स्वामी यादवेंद्रानंद जी महाराज, कैलाश भारती, साध्वी महामाया भारती, सुमति भारती, शौभा भारती, मनीष जी, रामचन्द्र जी के आरती बंधन के जयघोष के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।
'नामी गिरामी धर्म गुरु अनैतिकता व चरित्रहीनता के ज्वलंत उदाहरण बने दिखते हैं': रामचरित मानस एवं गीता ज्ञान का पांचवा दिन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 20, 2018
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