सीमित संसाधनों में और समुचित माहौल के अभाव के बीच यदि कोसी की बेटियां कुछ अलग करती हैं तो ये सुनना-सुनाना सुखद लगता है. ऐसी प्रतिभाओं को देखकर अपनी माटी की उर्वरता का भी पता चलता है और इनकी उर्जा का भी.
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चैनपुर, सहरसा में जन्मी अर्चना मिश्रा एक ऐसी ही उर्जावान प्रतिभा है जिनकी चित्रकारी देखकर लोग चकित हो जाते हैं. इनके पेंटिंग्स के माध्यम से कोसी को अब कला के क्षेत्र में एक विशेष पहचान मिल रही है.
ललितकला के क्षेत्र में लालित्य बिखेरती इनकी चित्रकारी के कारण अर्चना सोशल मिडिया पर भी आजकल काफी चर्चा में हैं. विभिन्न विषयों पर अलग अलग प्रकार की चित्रकारी कर इन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyvWvUufSZn2DCJl-b85nANLNi1mQ-JKrqLY9zG8mIDu313sjjnJfTLPskZNMIUIvx0XHu10TVsq1jKV4kLxq_t6E6tlc56-UZrT4M2wuN_K6CIcU3MUV6Xn1LNxBq1bCE-P17H6G-GHE/s320/Archana3.jpeg)
इससे पहले अर्चना ने जिला स्तर पर आयोजित होने वाली युवा उत्सव प्रतियोगिता में अनेकों बार हिस्सा लेकर फाईन आर्ट के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई. अर्चना पेंटिंग में सहायक हर माध्यम जैसे वाटर कलर, पोस्टर कलर, एक्रीलिक, सामान्य व चारकोल पेंसिल का इस्तेमाल कर कैनवस सजाने में माहिर हैं. अर्चना को फाईन आर्ट के सभी प्रकार में रूचि है चाहे पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, एब्सट्रैक्ट पेंटिंग्स इत्यादि हो अथवा मिथिला शैली की चित्रकारी, सभी प्रकार के पेंटिंग्स को बनाने में सिद्धहस्त हैं ये.
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अर्चना के दादा श्री भालचंद्र मिश्र सेवानिवृत्त विज्ञान शिक्षक हैं और उनकी इच्छा थी कि उनकी पोती विज्ञान विषय की ही पढ़ाई करे. वैसे भी अर्चना की रूचि गणित में थी और अपने दादा के इच्छानुसार गणित से ही स्नातकोत्तर कर रही हैं साथ ही अपने पेंटिंग के शौक को भी जारी रखा है.
अर्चना के पिता श्री मनोज मिश्र भी एक शिक्षक हैं और अपनी बेटी के संबंध में बताते हैं कि खेलने की उम्र से ही इसकी अभिरूची पेंटिंग में थी. स्कूल में आयोजित होने वाली पेंटिंग प्रतियोगिता में अर्चना को कई बार पुरस्कृत होते देख ये अपनी बेटी के शौक के प्रति गंभीर हुए. फिर पड़ोस में ही पेंटिंग का प्रशिक्षण केंद्र चलाने वाली मौसमी मैम से इसे पेंटिंग में प्रशिक्षण देने का आग्रह किया और वहाँ से इनके शौक को पंख मिले. बाद में सहरसा के जानेमाने पेंटिंग प्रशिक्षक श्री शिंकू आनंद और श्री योगेंद्र योगी के मार्गदर्शन में रहकर पेंटिंग के बारीकियों को सीखा.
मिथिला में जन्मी अर्चना को स्वभाविक रूप से मिथिला शैली की चित्रकारी भी खूब भाती है और इसके प्रशिक्षण पाने के लिए ये लगातार प्रयत्नशील रही हैं. महिलाओं के प्रशिक्षण हेतु काम कर रही राज्य सरकार की संस्था ‘उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना’ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्रवेश-परीक्षा में सफल होकर अर्चना आजकल मिथिला पेंटिंग में डिप्लोमा कर रही हैं.
देखा जाय तो कोसी की बेटियाँ उन क्षेत्रों में भी महारत हासिल कर उसे अपना कैरिअर बना रही हैं, जिन क्षेत्रों में इससे पहले लोग जाने से कतराते थे. अर्चना जैसी कोसी की बेटी ने यह साबित कर दिया है कि यदि मन में लगन हो तो प्रतिभा संपन्न होना बड़ी बात नहीं.
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चैनपुर, सहरसा में जन्मी अर्चना मिश्रा एक ऐसी ही उर्जावान प्रतिभा है जिनकी चित्रकारी देखकर लोग चकित हो जाते हैं. इनके पेंटिंग्स के माध्यम से कोसी को अब कला के क्षेत्र में एक विशेष पहचान मिल रही है.
ललितकला के क्षेत्र में लालित्य बिखेरती इनकी चित्रकारी के कारण अर्चना सोशल मिडिया पर भी आजकल काफी चर्चा में हैं. विभिन्न विषयों पर अलग अलग प्रकार की चित्रकारी कर इन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
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अर्चना के दादा श्री भालचंद्र मिश्र सेवानिवृत्त विज्ञान शिक्षक हैं और उनकी इच्छा थी कि उनकी पोती विज्ञान विषय की ही पढ़ाई करे. वैसे भी अर्चना की रूचि गणित में थी और अपने दादा के इच्छानुसार गणित से ही स्नातकोत्तर कर रही हैं साथ ही अपने पेंटिंग के शौक को भी जारी रखा है.
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मिथिला में जन्मी अर्चना को स्वभाविक रूप से मिथिला शैली की चित्रकारी भी खूब भाती है और इसके प्रशिक्षण पाने के लिए ये लगातार प्रयत्नशील रही हैं. महिलाओं के प्रशिक्षण हेतु काम कर रही राज्य सरकार की संस्था ‘उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना’ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्रवेश-परीक्षा में सफल होकर अर्चना आजकल मिथिला पेंटिंग में डिप्लोमा कर रही हैं.
देखा जाय तो कोसी की बेटियाँ उन क्षेत्रों में भी महारत हासिल कर उसे अपना कैरिअर बना रही हैं, जिन क्षेत्रों में इससे पहले लोग जाने से कतराते थे. अर्चना जैसी कोसी की बेटी ने यह साबित कर दिया है कि यदि मन में लगन हो तो प्रतिभा संपन्न होना बड़ी बात नहीं.
अर्चना मिश्रा: उम्दा पेंटिंग्स के माध्यम से कला के क्षेत्र में कोसी को दिला रही एक अलग पहचान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 15, 2018
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