मधेपुरा और आसपास में बढ़ते साइबर
क्राइम से आम लोग परेशान हैं और उससे
अधिक परेशानी स्थानीय थाने मे घटना का मामला दर्ज कराने में है, जहाँ पीड़ित को
यह कहकर वापस कर देते है कि
यह मामला साइबर क्राइम का है, वहां जाइये ।
सामने आये एक ताजा मामले में भर्राही मधुबन
गांव के एक मजदूर लुधियाना से अपने घर होली के पहले आया. लेकिन
घर आने पर एक दिन एटीएम से रूपये
निकाला फिर अचानक उनके खाते से 73 हजार रूपये अलग अलग जगहों से एटीएम के शॉपिंग से खरीदारी हो गयी । अनन फानन मे उन्होने
बैंक को सूचना देकर एकाउंट को बंद कराया
फिर बैंक ने मामले को स्थानीय थाना मे मामला दर्ज
कराने के लिए कहा. जब
मामला दर्ज कराने थाना पहुंचे तो थाना ने यह कहकर कर मामला दर्ज करने से इंकार कर
दिया कि जहां बैक मे खाता उस थाना मे मामला दर्ज होगा या साइबर क्राइम ब्रांच पटना
जाकर मामला दर्ज करावे । पीडि़त को एक तरफ रूपये जाने की परेशानी दूसरी तरफ मामला
दर्ज करने के थाना का चक्कर काटने
के बावजूद
नही हुआ मामला दर्ज ।
सवाल
उठता है क्या साइबर क्राइम का मामला साइबर क्राइम ब्रांच मे ही दर्ज होगा ?
सूत्र की माने तो बैंक पीडि़त को थाने मे मामला दर्ज कराने को कहकर मामला उलझा देते हैं, जबकि सभी बैंक को अपना साइबर सेल बना कर अगर पीडि़त घटना की जानकारी देते है तत्काल बैंक साइबर सेल भेज और करवाई शुरू करे तो पीड़ित की गायब राशि मिल सकती है ।
जानकार
यह भी बताते हैं कि बैंक में ग्राहक का पैसा इंश्योर्ड है, लेकिन
बैंक जानबूझकर ग्राहक को थाना और साइबर सेल को जाने कहती है ।
मालूम हो कि जिले दर्जनों साइबर क्राइम की घटित घटना को लेकर पीड़ित थाना इस उम्मीद पर जाते हैं कि पुलिस के प्रयास से लूटे पैसे मिल जायेंगे, लेकिन थाना में पीड़ित के अपनी समस्या रखते ही पुलिस बहाने बनाने लगती है. पीडि़त के लाख गुहार लगाने और कई दिन थाने की चक्कर काटने के बाद ही बड़ी मुश्किल से मामला दर्ज होता है। सूत्र की माने कमोबेश सभी थाना मे साइबर क्राइम की फाइल पर घूल जम चुकी है. आज तक पीडि़त द्वारा साक्ष्य उपलब्ध कराने के बावजूद कोई कारवाई नही हुई है । सिर्फ सदर थाना क्षेत्र मे दो दर्जन से अधिक साइबर क्राइम की घटना हुई जिसमे शिक्षक, पुलिस पदाधिकारी सिविल पदाधिकारी सहित अन्य शामिल हैं ।
मालूम हो कि जिले दर्जनों साइबर क्राइम की घटित घटना को लेकर पीड़ित थाना इस उम्मीद पर जाते हैं कि पुलिस के प्रयास से लूटे पैसे मिल जायेंगे, लेकिन थाना में पीड़ित के अपनी समस्या रखते ही पुलिस बहाने बनाने लगती है. पीडि़त के लाख गुहार लगाने और कई दिन थाने की चक्कर काटने के बाद ही बड़ी मुश्किल से मामला दर्ज होता है। सूत्र की माने कमोबेश सभी थाना मे साइबर क्राइम की फाइल पर घूल जम चुकी है. आज तक पीडि़त द्वारा साक्ष्य उपलब्ध कराने के बावजूद कोई कारवाई नही हुई है । सिर्फ सदर थाना क्षेत्र मे दो दर्जन से अधिक साइबर क्राइम की घटना हुई जिसमे शिक्षक, पुलिस पदाधिकारी सिविल पदाधिकारी सहित अन्य शामिल हैं ।
थाने मे दर्ज मामले साइबर क्राइम मामलों में अपराधी ने एक शिक्षक के खाते से 6 लाख, एक सेवानिवृत्त पुलिस पदाधिकारी से 3 लाख, एक शिक्षक की पत्नी के 50 हजार रूपये सहित लाखों का चुना लगा चुके हैं । इतना ही नही अपराधी ने कई साइबर क्राइम के जरिये एटीएम धारक के कार्ड से अलग अलग जगहों पर लाखों रूपये की खरीदारी की है ।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी: हालांकि मधेपुरा के एएसपी राजेश कुमार ने
कहा कि ऐसा नहीं है कि
साइबर क्राइम का केस सिर्फ थाना में
ही दर्ज होगा. थाना में मामले का त्वरित
कार्रवाई मे देरी होती है.
थाना की बजाय
पीड़ित साइबर सेल पटना के मेल
पर आवेदन करे तो त्वरित कार्रवाई होगी. साथ
ही सभी बैंक का भी साइबर सेल है,
घटना का त्वरित कार्रवाई के वहां भी कम्प्लेन दर्ज कर सकते हैं ।
जाएँ तो जाएँ कहाँ?: साइबर क्राइम के तहत घटित किसी मामले का उद्भेदन नहीं
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 07, 2018
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