मधेपुरा में एक ऐसा मामला का उजागर हुआ है जिसमें पुलिस ने घटना के आठ माह
बाद न तो आरोपी को गिरफ्तार
किया,
न ही दुर्घटना को अंजाम देने वाला गाड़ी को जप्त किया जिसके कारण पीडित व्यक्ति को
दुर्घटना का मुआवजा
नहीं मिल रहा है ।
मामला भर्राही ओपी कांड सं०
504/2017 से जुड़ा है जिसमें पीड़ित की पत्नी शान्ति देवी ने एसपी को 8
माह बाद
आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है जिसमें पुलिस की कारगुजारी का खुलासा हुआ
है । भीमपुर वार्ड 9 निवासी शान्ति देवी ने एसपी को
लिखे आवेदन मे कहा कि मेरे पति महेश्वरी शर्मा 20
जुलाई 17 को अपने ट्रैक्टर मालिक के घर परडिया गांव
जा रहे थे कि चांदनी चौक के पास एक तेज रफ्तार से जा रही महिन्द्रा
ट्रक जिसका
नम्बर बीआर 11
एस 8480 था, ठोकर मार दी जिसमे वे बुरी तरह घायल हो
गए. स्थानीय
लोगों ने घटना को अंजाम देकर भाग रहे ट्रक को पकड़ने के लिए पीछा किया लेकिन ट्रक
चालक गाड़ी लेकर फरार हो गया.
लोगों ने घायल को इलाज के सदर अस्पताल मे भर्ती कराया
जहां डॉक्टर ने बेहतर इलाज
के लिए बाहर भेज
दिया. फिर
इलाज के स्थानीय एक निजी अस्पताल मे भर्ती किया गया. डॉक्टर ने जान बचाने के
लिए मेरा एक पैर काटने की सलाह दी. आखिरकार पैर काटने से पीड़ित की जान बची ।
घटना की क्षतिपूर्ति को लेकर पीड़ित न्यायालय गये तब
पता चला कि ट्रक का बीमा नही है, जिसके कारण दुर्घटना की क्षतिपूर्ति बीमा राशि नहीं मिल रही है ।
मजेदार
बात यह है कि आठ माह में पुलिस ने मामले का कैसा अनुसंधान किया कि यह भी पता नहीं किया कि ट्रक
का बीमा भी
है या नही. न ही ट्रक जप्त किया न
ही चालक को गिरफ्तार कर सका,
जिसके कारण पीडि़त विकलांग को मुआवजा नही मिल सका है. मधेपुरा पुलिस की कार्य शैली यहाँ पूरी तरह संदेह के घेरे में है, जब
कि एसपी हर क्राइम मिटिंग में
बार-बार थानाध्यक्ष को मामले का निष्पादन के लिए चेतावनी
के बाद कारवाई
भी करते रहे,
लेकिन ताजा मामले में पुलिस
की लापरवाही स्पष्ट प्रतीत होती है
।
एसपी ने आवेदन को सदर थानाध्यक्ष को भेज कर मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
मधेपुरा पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान, एसपी ने दिए जांच के आदेश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 15, 2018
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