मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड के
चिरौरी पंचायत के फ़र्दा पारी में माँ और बेटी
की डूबने से मौत हो गई है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते जान
गई है.
चिरौरी पंचायत के फ़र्दा पारी में माँ और बेटी
की डूबने से मौत हो गई है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते जान
गई है.
बताया जाता है कि मधेपुरा जिला के आलमनगर प्रखंड के बजराहा निवासी सिलेंदर
मंडल बाढ़ के पानी के भय से अपनी पत्नी और बच्चे एवं बकरी लेकर पूर्णियाँ जिला के
रूपौली प्रखंड के पिपरा अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ जा रहे थे कि चौसा प्रखंड के
चिरौरी पंचायत के फ़र्दा पारी के पास सड़क पर पानी के तेज धार ने पहले उसकी पुत्री
लहरी कुमारी (11 वर्षीय) को खींच लिया तथा उसकी पत्नी सीता देवी ने अपनी बच्ची को बचाना
चाहा तो बचा नहीं सकी और बचाने के क्रम में खुद भी पानी की चपेट में आ गई. जिससे
माँ और बेटी दोनों ही पानी की रेत में बह गए. यह पूरा मंजर बेबस
सिलेंद्रर देखता रहा जिसके पीठ पर भारी भरकम सामनों का बोझ,
कंधों
पर एक नन्हा सा बच्चा, एक हाथ में दूसरा नन्हा बच्चा और एक हाथ में बकरी की रस्सी
संभाल कर चिल्लाता रहा कोई उसकी विवाहिता और लक्ष्मी को बचा लो।
शोरगुल सुन कर आस-पास के लोग इकट्ठे हुए लेकिन दूर-दूर तक
दोनों का कोई अता पता नहीं था. इस की सूचना चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी मोहम्मद
इरफ़ान अकबर, अंचलाधिकारी अजय कुमार, थाना अध्यक्ष सुमन कुमार
सिंह, फुलौत ओपी अध्यक्ष सुनील कुमार भगत को दी गई. सूचना
मिलते ही सभी घटना स्थल पर पहुंच कर एनडीआरएफ के टीम को बुला कर शव की तलाशी शुरू
कर दिया. एनडीआरएफ के चार टीम के अलावे दर्जनों ग्रामीणों एवं गोताखोर लगे हुए थे.
समाचार लिखे जाने तक शव नहीं मिला था. उधर ग्रामीणों का कहना था की यह घटना
प्रशासन की लापरवाही के वजह से हुई है. कई बार चौसा अंचलाधिकारी को कहा गया था कि
चिरौरी से फ़र्दा पारी और धनेशपुर चौक तक के लिए सरकारी नाव दिया जाए लेकिन
ग्रामीणों की एक न सुनी गई. इस में कुछ प्रतिनिधियों का भी हाथ है जो सिर्फ मनमानी
करते हैं. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि चिरौरी के पोखर के पास भी इस तरह की घटना
कभी भी घट सकती है क्योंकि वहाँ पर बाढ़ शिविर लगाया गया है और लोग शौच के लिए पोखर
के किनारे जाते हैं. जहां पर फिसलन वाली मिट्टी है. जरा-सा भी चूक होने से लोग
गहरे पानी में चले जाएंगे. इसलिए वहाँ समुचित इंतजाम किया जाए.
मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में अंचलाधिकारी चौसा ने बताया कि इस होकर लोगों का
आवागमन नहीं होना था, फिर भी लोग चलने को मानते नहीं हैं. दूसरे शिविर के लिए पंचायत के मुखिया
को आदेश दिया गया है एवं वहाँ टेम्परोरी शौचालय का निर्माण करने का आदेश भी दिया
गया है.
आँखों के सामने डूबते बेटी और पत्नी को पति गोद में बच्चे होने के कारण नहीं बचा सका
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 19, 2017
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