अफवाहों का देश मत बनाएं: चाँद पर घर बनाएं या यहाँ पहले अंधविश्वास को दूर भगाएं?

आज भले ही हम चाँद पर घर बनाने और मंगल पर जाने की बात कर रहे हों । आज चाहे हमारा विज्ञान यह बता दे कि बच्चा कब पैदा होगा, गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है या लड़की ये भी बता दें । लेकिन अभी भी हमारे समाज में कुछ लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं ।


जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ अभी के हालात के बारे में, हमारे देश में महिलाओं के बाल काटने की घटना अफवाह नहीं तो क्या है? मुझे लगता है कि अब इस तरह के खबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, वेब मीडिया को प्रकाशित करना बंद कर देना चाहिए । जिसके बाद यह अफवाह खुद व खुद बंद हो जाएगा । कुछ लोगों का कहना है कि घटना तो सच में हो रही है न? मैं पूछता हूँ कि यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में ही क्यों देखने को मिल रही है?

पहली घटना हरियाणा की है जिसमें पता चला कि महिला बेहोश नहीं हुई थी वो तो बस रात में सोयी हुई थी । सुबह आँख खुली तो बाल कटा मिला । लेकिन अभी लोग कहते हैं कि बाल कटते ही बेहोश हो जाती है । जिसके साथ यह घटना हुई है डॉक्टर के हिसाब से वह पहले से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होती है और वह सदमे में होती है । जाहिर सी बात है कि अफवाह फैली हुई है कि कोई बुरी आत्मा बाल काट रही है । जिसकी वजह से कितनी विक्षिप्त महिला एवं पुरुष दोनों को ही लोगों ने बुरी तरह पीट डाला है । कईयों को तो अपनी जान भी गंवानी पड़ी है ।

इनके अलावे लोगों के ऊपर वहम और अंधविश्वास का इतना भूत चढ़ा हुआ था कि चौसा के घोषई पंचायत  में एक बकरे (बत्तु) को भी बुरी तरह पीटा और कहता था कि तुम अपने असली रूप में आओ । यह अंधविश्वास और मानसिक विक्षिप्तता है या नहीं?  जब भी किसी के बाल कटे हैं उनसे पूछा गया है तो सभी अलग-अलग मनगढ़ंत कहानियाँ बताते हैं । अभी कई लोग कहते है कि यह कोई कीड़ा है जो बाल काट रहा है । एक तो यह की अगर सर में एक छोटी सी जूँ रेंगती है तो पता चल जाता है कीड़ा बाल काटे पता नहीं चलेगा । दूसरी बात कि कीड़ा को सिर्फ महिलाओं के ही बाल दिखते हैं । तीसरी बात कि कीड़ा को सिर्फ कम पढ़ी लिखी महिला या अनपढ़ महिला के बाल ही पसंद है । जाहिर है, घटना कहीं शुरू हुई तो फिर मानसिक दिवालिया और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले आसामाजिक तत्वों ने ऐसी घटनाओं को जगह-जगह अंजाम देना शुरू किया और वैसे भी जिस देश में गणेश भगवान् को दूध पिलाने, चांद के उलटा होने आदि की अफवाहों पर पहले भी जब अच्छे-अच्छों ने भरोसा कर लिया हो तो वहाँ ऐसी किसी अफवाह को तूल दिलवाना कहाँ मुश्किल है?

सवाल उठता है कि आखिर जिसके साथ घटना घटित होती है उनमें से कुछ बेहोश क्यों हो जाते हैं? तो मुझे याद है जब हम छोटे थे और कोई कह देता था की वहां मत जाना वहां पर ‘लक्कड़सूंघा’ रहता है तो जब कभी भी उस होकर गुजरना होता था तो पूरा शरीर कांप उठता था। तो उसी तरह अभी कई पीड़ितों के दिल में बैठा है कि कोई बुरी आत्मा बाल काटती है। जब भी कोई आहट होती है शरीर कांप उठता है और कई कमजोर औरत या लड़की गिर पड़ती है और सदमे में चली जाती है।

इसलिए हम मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से अपने पाठकों से यह आह्वान करते हैं कि अपने आसपास के लोगों को जागरूक करें और फेसबुक तथा व्हाट्सअप के माध्यम से फैलाए जाने वाले अफवाह से दूर रहें ।
अफवाहों का देश मत बनाएं: चाँद पर घर बनाएं या यहाँ पहले अंधविश्वास को दूर भगाएं? अफवाहों का देश मत बनाएं: चाँद पर घर बनाएं या यहाँ पहले अंधविश्वास को दूर भगाएं? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 12, 2017 Rating: 5
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