
वन विभाग व स्थानीय पुलिस द्वारा भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है. लकड़ी माफिया बेखौफ
होकर नहर किनारे लगे महंगे वृक्षों की कटाई कर मालामाल हो रहे हैं.
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के सिगयान पंचायत स्थित मनहरा चौक से उत्तर कोसी जे बी सी नहर के पूर्वी तटबंघ पर वृक्ष की कटाई का अवैध कारोबार चल रहा है. इस बात की सूचना रात में ग्रामीणों द्वारा मधेपुरा टाइम्स को फोन पर सूचना दी गई. नहर पर से अवैध लकड़ियों की कटाई एवं ढुलाई चल रही है और देखते ही देखते नंगा हो गया नहर. दिन रात पेड़ गायब करने का खेल चल रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि जब इसकी सूचना थाना को भेजी गई पर उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया यह मामला वन विभाग का है. सिंगयान पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बबलू कुमार ने बताया कि नहर पर रात में अवैध कटाई का कारोबार चलता है. वह 2:00 से 3:00 बजे के बीच रात में आते हैं और कटाई कर 4:00 बजे तक निकल जाते हैं. शीशम एवं सेमल की महँगी लकड़ियों की अवैध कटाई का कारोबार पिछले 1 वर्ष से चल रहा है. सूत्र बताते हैं कि बीच में कुछ शिथिलता आई थी परंतु यह अब जोर शोर से चल रहा है और वन विभाग खामोशी से तमाशा देखते हैं.
नहरों पर शीशम के गिने चुने पेड़ ही रह गए हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रखंड में लकड़ी माफिया सक्रिय हैं. रात के अंधेरे में अवैध रुप से वृक्षों की कटाई की जाती है. क्षेत्र में अवैध रूप से कई आरा मिल भी संचालित किया जा रहा है, जिन्हें लायसेंस तक प्राप्त नहीं हैं और जिनके पास भारी मात्रा में लकड़ियों के आने के स्रोत के कोई हिसाब तक नहीं हैं. वन विभाग मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कह रहा है. लेकिन वृक्षों की अवैध कटाई बेरोक टोक जारी है.
ग्रामीणों का कहना है कि नहर लगभग शून्य सा हो चुका है. पहले वह लकड़ी काटते हैं फिर उसे मिट्टी से ढक देते हैं. कहीं-कहीं लकड़ी काटने के निशान अभी भी हैं और मिट्टी से उसे भी ढकने का प्रयास भी किया गया है जिससे लगे कि वह पहले की कटाई है. वहाँ मनहरा चौक पर भी एक दुकान में भी लड़की का एक मोटा जड़ पड़ा देखने में आया है.
एक तरफ जहां विश्व के पर्यावरण संतुलन को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस पर समूचे विश्व में वृक्ष लगाने की कवायद की जा रही है वही वन एवं पर्यावरण विभाग के तमाम पदाधिकारियों के उदासीनता के कारण पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है. उनके होने या ना होने का कोई तात्पर्य नहीं रह जाता जब किस प्रकार की अवैध कटाई का गोरखधंधा उनके आंखों के नीचे चल रहा हो.
मधेपुरा जिले में अवैध लकड़ी मिलों की बाढ़ लगी हुई है. चौसा से लेकर के मुरलीगंज मधेपुरा बिहारीगंज मैं बहुत से ऐसे बिना अनुज्ञप्तिधारी लकड़ी मिल फैले हैं जिनके बदौलत वन पर्यावरण को क्षति पहुंचाई जा रही है.
सुनील कुमार सिन्हा रेंजर कोशी क्षेत्र सहरसा मधेपुरा ने बताया कि हमें जानकारी नहीं थी, आपने जानकारी दी हम जांच करवाते हैं. कुछ घंटे के उपरांत उन्होंने बताया कि पेड़ कटने की बात सही है, हम बारीकी से जांच कर रहे हैं कि किन लोगों द्वारा इस तरह के गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है और उस पर कार्रवाई भी कराएंगे.

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के सिगयान पंचायत स्थित मनहरा चौक से उत्तर कोसी जे बी सी नहर के पूर्वी तटबंघ पर वृक्ष की कटाई का अवैध कारोबार चल रहा है. इस बात की सूचना रात में ग्रामीणों द्वारा मधेपुरा टाइम्स को फोन पर सूचना दी गई. नहर पर से अवैध लकड़ियों की कटाई एवं ढुलाई चल रही है और देखते ही देखते नंगा हो गया नहर. दिन रात पेड़ गायब करने का खेल चल रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि जब इसकी सूचना थाना को भेजी गई पर उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया यह मामला वन विभाग का है. सिंगयान पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बबलू कुमार ने बताया कि नहर पर रात में अवैध कटाई का कारोबार चलता है. वह 2:00 से 3:00 बजे के बीच रात में आते हैं और कटाई कर 4:00 बजे तक निकल जाते हैं. शीशम एवं सेमल की महँगी लकड़ियों की अवैध कटाई का कारोबार पिछले 1 वर्ष से चल रहा है. सूत्र बताते हैं कि बीच में कुछ शिथिलता आई थी परंतु यह अब जोर शोर से चल रहा है और वन विभाग खामोशी से तमाशा देखते हैं.
नहरों पर शीशम के गिने चुने पेड़ ही रह गए हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रखंड में लकड़ी माफिया सक्रिय हैं. रात के अंधेरे में अवैध रुप से वृक्षों की कटाई की जाती है. क्षेत्र में अवैध रूप से कई आरा मिल भी संचालित किया जा रहा है, जिन्हें लायसेंस तक प्राप्त नहीं हैं और जिनके पास भारी मात्रा में लकड़ियों के आने के स्रोत के कोई हिसाब तक नहीं हैं. वन विभाग मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कह रहा है. लेकिन वृक्षों की अवैध कटाई बेरोक टोक जारी है.
ग्रामीणों का कहना है कि नहर लगभग शून्य सा हो चुका है. पहले वह लकड़ी काटते हैं फिर उसे मिट्टी से ढक देते हैं. कहीं-कहीं लकड़ी काटने के निशान अभी भी हैं और मिट्टी से उसे भी ढकने का प्रयास भी किया गया है जिससे लगे कि वह पहले की कटाई है. वहाँ मनहरा चौक पर भी एक दुकान में भी लड़की का एक मोटा जड़ पड़ा देखने में आया है.
एक तरफ जहां विश्व के पर्यावरण संतुलन को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस पर समूचे विश्व में वृक्ष लगाने की कवायद की जा रही है वही वन एवं पर्यावरण विभाग के तमाम पदाधिकारियों के उदासीनता के कारण पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है. उनके होने या ना होने का कोई तात्पर्य नहीं रह जाता जब किस प्रकार की अवैध कटाई का गोरखधंधा उनके आंखों के नीचे चल रहा हो.
मधेपुरा जिले में अवैध लकड़ी मिलों की बाढ़ लगी हुई है. चौसा से लेकर के मुरलीगंज मधेपुरा बिहारीगंज मैं बहुत से ऐसे बिना अनुज्ञप्तिधारी लकड़ी मिल फैले हैं जिनके बदौलत वन पर्यावरण को क्षति पहुंचाई जा रही है.
सुनील कुमार सिन्हा रेंजर कोशी क्षेत्र सहरसा मधेपुरा ने बताया कि हमें जानकारी नहीं थी, आपने जानकारी दी हम जांच करवाते हैं. कुछ घंटे के उपरांत उन्होंने बताया कि पेड़ कटने की बात सही है, हम बारीकी से जांच कर रहे हैं कि किन लोगों द्वारा इस तरह के गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है और उस पर कार्रवाई भी कराएंगे.
पर देखिये, क्या कार्रवाई होती है, हम उससे भी जल्द ही आपको अवगत कराएँगे.
नंगे हो रहे नहर, मालामाल हो रहे माफिया: रातों में चल रहा वृक्ष कटाई का अवैध खेल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 04, 2017
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