कहते हैं गौरवशाली बिहार की ये कोसी उस मंडन मिश्र की धरती है जिनके तोते भी संस्कृत बोला करते थे और जहाँ आकर शंकराचार्य को भी हार माननी पड़ी थी.
विभिन्न विधाओं में अद्भुत प्रतिभा की हमारी खोज के परिणाम में मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में 68वें गणतंत्र दिवस पर जब सुर की छटा बिखेरकर लोगों को सम्मोहित करने वाले मधेपुरा के एक गायक ने अपनी अद्भुत गायकी का नमूना पेश करना शुरू किया तो श्रोता ये भूल गए कि सामने भारत के महान भजन सम्राट अनूप जलोटा नहीं कोई और गा रहा है.
कोसी की धरती वर्तमान में जिन प्रतिभाओं पर गर्व करती है उनमें राजीव तोमर उर्फ़ भोला जी का नाम भी शान के साथ शुमार किया जा सकता है. 01 मार्च 1977 को जन्मे मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर प्रखंड के इटहरी गाँव के चन्द्र नारायण सिंह के पुत्र राजीव ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से संगीत में एम. ए. किया है और वर्ष 1996 से खुद को संगीत में ही समर्पित कर दिया है. जाहिर है

मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में आमंत्रित राजीव तोमर बताते हैं कि संजीव यादव और पंडित शैलेन्द्र नारायण सिंह यदि गुरु के रूप में न मिले होते तो शायद ये तपस्या सफल नहीं होती. महान भजन सम्राट अनूप जलोटा को अपना आदर्श मानने वाले राजीव तोमर की गायकी को मधेपुरा टाइम्स स्टूडियो में तबले की थाप से निखारने का

पिछले दिनों बॉलीवुड तथा गीत-संगीत से जुड़ी कई हस्तियों से बातचीत के आधार पर हमारा अनुभव ये कहता है कि संगीत जैसी कठिन विधा में महारत हासिल करना कहीं से आसान नहीं है. ऐसे में जब हमने राजीव तोमर का गाया अनूप जलोटा का एक भजन पाठकों के सामने प्रतिक्रिया के लिए रखा तो इनके लिए प्रशंसा के पुल बंध गए और ये आवाज आई कि “राजीव तोमर या भोला नहीं ‘राजीव जलोटा’ कहिये भाई साहब....”
तो आप भी सुनिए राजीव तोमर (जलोटा) से तीन गाने, लिंक नीचे है.
‘ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन...यहाँ क्लिक करें’
‘मेरे मन में राम तन में रोम-रोम में राम रे...यहाँ क्लिक करें’
‘मुझसे मिलने शमां जलाकर ताजमहल में आ जाना...यहाँ क्लिक करें’.
(रिपोर्ट: आर. के. सिंह, वीडियो रिकॉर्डिंग: मुरारी सिंह)
अद्भुत गायकी: “राजीव तोमर या भोला नहीं ‘राजीव जलोटा’ कहिये भाई साहब....”
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 27, 2017
Rating:
