
ग्रामीण शैली पर आधारित नाटक ‘औका बौका तीन चरौका’ की प्रस्तुति
कर कलाकारों ने भारत की पुरानी सभ्यता और संस्कृति पर पाश्चात्य
सभ्यता के हावी होने से हो रहे खतरे को दिखाया. कलाकारों ने नाटक के माध्यम से गांव की खुशबू और भाईचारे को अक्षुण्ण
बनाये रखने का संकल्प दिलाया. कलाकार यह दिखाने में सफल रहे कि समाज में मूर्ख लोगों को कोई स्थान नहीं रहता है. उसे लोग गलत ढंग से व्यवहार कर फायदा उठाते हैं. अमित आनंद और मो. शहंशाह के निर्देशन में मिथुन गुप्ता द्वारा लिखित नाटक ‘औका बौका और तीन चरौका’ को कलाकारों ने जीवंत प्रस्तुति
की.
नाटक के पात्र सुनित साना, आतिफ, बमबम, कार्तिक, अमित आनंद, शहंशाह, इमरान, मिथुन गुप्ता, सुमन अंकित और मातृशक्ति का नेतृत्व करने वाली प्रीति कुमारी के
अभिनय को लोगों ने पसंद किया. नाटक की संगीत परिकल्पना दिलखुश
कुमार और सुनीत साना ने दी.
नाटक के उपरान्त
कलाकारों ने गजल तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया. रंगमंडल के संरक्षक संजय परमार ने रंगमंडल के उद्येश्यों
और आगे के कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर ही रंगमंडल के कलाकारों ने राज्य स्तरीय युवा उत्सव में दूसरा स्थान लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. समारोह का सफल संचालन पी यदुवंशी
ने किया.
(ए.सं.)
अलविदा 2016 का आयोजन: कलाकारों ने बाँधा शमा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 02, 2017
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