

इस अवसर पर प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में सुधीर कुमार यादव ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में आज हज़ारों-लाखों व्यक्ति विकलांगता के शिकार हैं. विकलांगता अभिशाप नहीं है, क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाये तो विकलांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है. मेडम केलर कहती है कि विकलांगता हमारा प्रत्यक्षण है, देखने का तरीक़ा है. यदि सकारात्मक रहा जाये तो अभाव भी विशेषता बन जाते हैं. विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मजाक बनाना, उन्हें कमज़ोर समझना और उनको दूसरों पर आश्रित समझना एक भूल और
सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदराना व्यवहार है. हम इस बात को समझे कि उनका जीवन भी हमारी तरह है और वे अपनी कमज़ोरियों के साथ उठ सकते हैं.
पंडित श्रीराम शर्मा जी ने एक सूत्र दिया है,
किसी को कुछ देना है तो सबसे उत्तम है कि आत्म विश्वास जगाने वाला उत्साह व प्रोत्साहन दें. भारत के वीर धवल खाडे ने विकलांगता के बावजूद राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को तैराकी का स्वर्ण जीता था. आपके आस पास ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपनी विकलांगता के बाद भी बहुत से कौशल अर्जित किये है. प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते,
पढ़ते हैं,
लेकिन आज वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं. दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलेंगे,
जो बताते है कि सही राह मिल जाये तो अभाव एक विशेषता बनकर सबको चमत्कृत कर देती है.
इस अवसर पर विद्यालय के विज्ञान शिक्षक कृष्ण कुमार यादव ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का उद्देश्य आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है. इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है. भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास में,
सरकारी सेवा में आरक्षण देना,
योजनाओं में विकलांगो की भागीदारी को प्रमुखता देना
आदि को शामिल किया जाता रहा है.
‘पूर्वजन्म की नहीं मैं भूल, मैं हूं अलग तरह का फूल’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 03, 2016
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