सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था सुधरने के
लाख दावे किये जा रहे हों, पर अभी तक सरकारी अस्पतालों में दवा कम और दर्द ही अधिक मिलता
नजर आ रहा है. कम से कम मधेपुरा में तो यही लागू होता दीख रहा है.
मधेपुरा के सरकारी अस्पताल की बात करें
तो जिले के सिंहेश्वर सीएचसी बनने के बाद लोगों को लगा कि अब मरीजों को कम से कम मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रखंड से बाहर का रूख नही करना पड़ेगा. परंतु सिंहेश्वर सीएचसी (कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर) की बात करें तो यहाँ अब भी मरीजों का इलाज परेशानी का सबब बना हुआ है.
बीती रात 30 बेड के सीएचसी सिंहेश्वर में मात्र 19 परिवारों का परिवार नियोजन का ऑपरेशन
किया गया. ऑपरेशन के बाद मरीजों को ठंड में फर्श
पर ही छोड़ दिया गया और किसी भी मरीज को बेड की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई. लिहाजा सभी मरीज
की रात फर्श पर ही करवटें बदलते गुजारनी पड़ी. रात करवटें
बदलने वाली लालपुर सरोपटटी पंचायत की रंजन देवी, अनिता देवी, संजना देवी, नीतू देवी, कविता देवी और सोनी देवी तथा सिंहेश्वर
पंचायत के रमानी टोला की मिलन देवी, सोनी देवी, निशा देवी, ईटहरी गोहमनी पंचायत के एकडहरा निवासी सोनी कुमारी, दुलार पीपराही पंचायत के दुलार निवासी हंसा देवी और उनके परिजन ने बताया कि रात भर ठंड के कारण काफी परेशानियों
का
सामना करना पड़ा. यही नहीं उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के समय कई दवा बाहर मेडिकल स्टोर से खरीद कर लाना पड़ा है.
वही बता दें कि सीएचसी के प्रथम तल्ले पर स्थित हॉल में कई बेड खाली पड़े हुऐ थे. नीचे के तल्ले पर भी एक्का-दुक्का मरीज ही नजर आ रहे थे. लापरवाही का आलम यह था कि मरीजों के कमरे के आसपास जहां-तहां गंदगी बिखरे
हुए थे. प्रथम तल पर सीवर का गंदा पानी पूरे
कॉरिडोर में स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत का मखौल उड़ा रहा था. वहीं सरकार के द्वारा मरीजों को नास्ता और खाना की लगातार शिकायत मिलने के बावजूद केयर टेकर के कानों पर जू नहीं रेंगती है और मरीजों के खाना-नास्ता के नाम पर लाखो रूपये का चूना सरकार को लगाया जा रहा है. पिछले माह डीएम के आदेश पर बीडीओ ने पीएचसी का निरीक्षण किया. निरीक्षण में भी नास्ता नही देने की बात पाई गई
थी.
हद तो उस समय हो गई जब ऑपरेशन के बाद लगभग 11 बजे रात 1 बजे तक बिजली कटने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, मगर आउटसोर्सिंग वालो ने जेनरेटर चलाना लाजमी नही समझा. लगातार आउटसोर्सिंग वालो की मनमानी के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नही किया जाना जिले के बडे अधिकारी के कार्यशैली पर प्रश्न खड़ा कर रहा है. वहीँ सुबह 4 बजे से ही एक प्रसूता पीएचसी के बरामदे पर बैठे हुए डाक्टर साहब का इंतजार कर रही
थी. ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सक जय कृष्ण प्रसाद उस मरीज को भगाने की कोशिश कर रहे थे. उनकी इस हरकत को देख जब मधेपुरा टाइम्स ने डॉक्टर से इसका कारण पूछा तो वे सफाई देने की कोशिश करने
लगे.
पीएचसी में फैले कुव्यवस्था के बावत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आनंद भगत ने बताया कुछ दिन पहले ही हमने यहां का चार्ज लिया है, जल्द ही सभी व्यवस्था को दुरुस्त कर दिया जायेगा. प्रथम तल्ले पर के हॉल में ही 20 बेड लग जायेगा. पीएचसी परिसर भी पूरी तरह साफ और स्वच्छ दिखेगा. वहीँ अस्पताल के आउटसोर्सिंग के बदहाली पर बीडीओ अजीत कुमार ने बताया कि इससे पूर्व डीएम साहब के निर्देश पर पीएचसी का निरीक्षण किया था. उस समय भी मरीजों को नास्ता नही दिया गया था, जिसकी रिपोर्ट डीएम साहब को दी गई
थी.
आज भी डीएम साहब को आउटसोर्सिंग वालों के मनमानी की शिकायत पहुंचा दी
जायेगी ताकि उनके स्तर से इस पर कार्रवाई की जा सके.
सिंहेश्वर सीएचसी: कई बेड खाली पर मरीजों को सुलाया गया फर्श पर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 03, 2016
Rating: