
प्रतियोगिता में छात्रों को दो में से एक विषय पर हिन्दी मे 1 घंटे में लिखने को कहा गया. सैकड़ों छात्रों ने इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. पहले टॉपिक "यदि मैं प्रधानमंत्री होता/होती तो...” में प्रथम स्थान: प्रिया कुमारी, पिता- सुनील कुमार चौधरी, द्वितीय स्थान: मधु कुमारी, पिता- हेमंत कुमार और तृतीय स्थान: मोना कुमारी, पिता: चन्द्र भूषण कुमार, सिंहेश्वर ने प्राप्त किया. वहीं दूसरे विषय "मधेपुरा में शिक्षा व्यवस्था: समस्या और समाधान” में प्रथम स्थान पवन कुमार, पिता- परमेश्वर शर्मा, द्वितीय स्थान: जाग्रति प्रिया, पिता- हृदय नारायण मिश्र, तृतीय स्थान पर शिखा सरगम, पिता डॉ महेश प्रसाद सिंह रही.
व्यवहार न्यायालय में कार्यरत और हिन्दी -अंग्रेजी भाषा के जानकार राकेश सिंह ने बेहतर लेखन के आधार पर सफल छात्रों का चुनाव किया. सभी छात्रों ने इस प्रयास का सराहना करते हुए बराबर ऐसे आयोजन पर जोर दिया. साथ ही शुद्ध, सामाजिक सरोकार और तर्कपूर्ण खबरों के लिए मधेपुरा टाइम्स का आभार भी व्यक्त किया.
समिधा ग्रुप के सचिव संदीप शांडिल्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शायद ये शर्म की बात है कि अपने ही देश हिंदुस्तान में अपनी ही मातृभाषा को बचाने और संभालने की बाते होने लगी हैं. राजनीतिक कारणों से 90 के दशक में सरकार ने युवाओ को झूठी ख़ुशी देने के लिए अंग्रेजी की महत्ता को समाप्त कर दिया. ख़त्म ही करना था तो उसी समय बिहार से कान्वेंट और सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूल को ही समाप्त कर देना चाहिए था. अंग्रेजी पढ़ने की चाहत ने छोटे शहरों मे बेकार घिसीपिटी कान्वेंट व्यवस्था को जन्म दिया जहाँ बच्चे न हिन्दी के ही रह सके और न अंग्रेजी में ही धुरंधर रह पाए. साहित्य लेखन, कविता लेखन आदि से युवा दूर होने लगे और जो बुजुर्ग थे वे साहित्य को अपने हिस्से का चीज समझने लगे. उन्होंने कहा कि ठीक करनी होगी इस व्यवस्था को और युवा ही ठीक भी कर सकते हैं.
(नि.सं.)
मधेपुरा: हिन्दी दिवस पर लेखन प्रतियोगिता में प्रिया और पवन रहे प्रथम स्थान पर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 14, 2016
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