
इन लोगो की माँग है कि कुलपति ने हमें 10 दिनों तक चले पिछले आमरण अनशन के दौरान हमारी मांगें पूरी करने का लिखित आश्वासन दिया पर अभी तक हमारी माँगे पूरी नहीं हुई है. लगातार दो महीने से धरना तथा आमरण अनशन के बावजूद कुलपति के अलावे जिला प्रशासन भी कोई सकरात्मक पहल नही कर रही है. छात्र नेताओं ने कुलपति की कार्य शैली पर सवाल खड़े करते हुए उनकी कार्यशैली को हिटलर शाही बताते हुए कहा कि वे बीएनएमयू में छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर उनकी जिन्दगी बरबाद कर रहे हैं. इस बार हमें आरपार का फैसला चाहिए.
इधर विश्वविद्यालय के अस्थायी कर्मचारी संघ भी कुलपति के खिलाफ 5 सितम्बर से से धरना पर बैठा है. उनकी माँग है कि 80 स्थाई कर्मचारी विश्वविद्यालय की स्थापना काल से संविदा के आधार पर कार्यरत है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आज तक उक्त कर्मियों की सेवा का स्थायीकरण नही किया गया है और रिक्त पदों की अलग से बहाली निकाल दी गई है, जो गलत है. इस लिये 80 रिक्त पदों की बहाली पर तत्काल रोक लगाईं जाए.
कुल मिलकर सारी परिस्थितियां छात्रों के हितों के विपरीत जा रही है और उन्हें मंडल विश्वविद्यालय अभिशाप से कम नही दिख रहा है. अब देखना बाकी है कि छात्रों और कर्मचारियों का अनशन-आन्दोलन क्या रंग लाता है?
बीएनएमयू प्रशासन से आजिज छात्र संगठन फिर बैठे आमरण अनशन पर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 19, 2016
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