मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड के पचरासी स्थल स्थित लोक देवता बाबा विशु राउत की प्रतिमा पर अब श्रद्धालु गांजा नहीं चढ़ा पायेंगे. बाबा विशु राउत मंदिर के स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब आमलोगों में प्रसन्नता देखी जा रही है वहीं गांजा विक्रेताओं में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है.
बता दें कि पचरासी का यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. बताते हैं कि मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला के समय 1719 ई० में बाबा विशु का उद्भव हुआ था. कोसी एवं अंग प्रदेश समेत पूर्वोतर बिहार में बाबा विशु ने काफी प्रसिद्धि पाई है. इनके अलौकिक प्रताप की वजह से ही पशुपालक अपने पशु के पहले दूध के साथ गांजा से बाबा का अभिषेक करते थे. बाबा विशु राउत मंदिर मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अन्तर्गत लौआलगान के पचरासी में अवस्थित है.
मंदिर परिसर में किसी भी तरह की नशीली सामग्री बेचने एवं प्रयोग करने पर प्रतिबंध को लेकर मंदिर परिसर में बाबा विशु राउत सर्वोच्च समिति,चरवाहा संघ, लौआलगान पूर्वी एवं लौआलगान पश्चिमी पंचायत के जनप्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित कर निर्णय लिया गया कि कोई व्यक्ति मंदिर परिसर में नशीली सामग्री का ना तो बिक्री कर सकता है और ना ही उपयोग कर सकता है. मंदिर परिसर को नशा मुक्त प्रतिबंधित क्षेत्र बनाया गया.
समिति द्वारा लिये गये निर्णय का कई गांजा विक्रेताओं ने जबरदस्त विरोध करते हुए कहा कि इसकी बिक्री तो मुगल बादशाह मुहम्मद शाह के समय से ही होती आई है. इस पर प्रतिबंध लगाना गलत होगा और इससे कई परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. लेकिन समिति के निर्णय के समक्ष किसी भी एक नही चली। समिति ने यह निर्णय लेकर एक इतिहास बना दिया है.
उधर थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने कहा कि संपूर्ण बिहार में नशा सेवन पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोई भी लोग सार्वजनिक स्थान पर नशीली सामान की बिक्री या फिर सेवन नहीं कर सकता है. यदि ऐसा कोई करता है तो उस पर उत्पाद अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी. वैसे भी बाबा विशु राउत मंदिर एक धार्मिक स्थल है यहां तो नशीली सामग्री की बिक्री नहीं ही होनी चाहिए.
बता दें कि पचरासी का यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. बताते हैं कि मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला के समय 1719 ई० में बाबा विशु का उद्भव हुआ था. कोसी एवं अंग प्रदेश समेत पूर्वोतर बिहार में बाबा विशु ने काफी प्रसिद्धि पाई है. इनके अलौकिक प्रताप की वजह से ही पशुपालक अपने पशु के पहले दूध के साथ गांजा से बाबा का अभिषेक करते थे. बाबा विशु राउत मंदिर मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अन्तर्गत लौआलगान के पचरासी में अवस्थित है.
मंदिर परिसर में किसी भी तरह की नशीली सामग्री बेचने एवं प्रयोग करने पर प्रतिबंध को लेकर मंदिर परिसर में बाबा विशु राउत सर्वोच्च समिति,चरवाहा संघ, लौआलगान पूर्वी एवं लौआलगान पश्चिमी पंचायत के जनप्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित कर निर्णय लिया गया कि कोई व्यक्ति मंदिर परिसर में नशीली सामग्री का ना तो बिक्री कर सकता है और ना ही उपयोग कर सकता है. मंदिर परिसर को नशा मुक्त प्रतिबंधित क्षेत्र बनाया गया.
समिति द्वारा लिये गये निर्णय का कई गांजा विक्रेताओं ने जबरदस्त विरोध करते हुए कहा कि इसकी बिक्री तो मुगल बादशाह मुहम्मद शाह के समय से ही होती आई है. इस पर प्रतिबंध लगाना गलत होगा और इससे कई परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. लेकिन समिति के निर्णय के समक्ष किसी भी एक नही चली। समिति ने यह निर्णय लेकर एक इतिहास बना दिया है.
उधर थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने कहा कि संपूर्ण बिहार में नशा सेवन पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोई भी लोग सार्वजनिक स्थान पर नशीली सामान की बिक्री या फिर सेवन नहीं कर सकता है. यदि ऐसा कोई करता है तो उस पर उत्पाद अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी. वैसे भी बाबा विशु राउत मंदिर एक धार्मिक स्थल है यहां तो नशीली सामग्री की बिक्री नहीं ही होनी चाहिए.
एतिहासिक फैसला, लोक देवता बाबा विशु राउत की प्रतिमा पर अब नहीं चढ़ेगा गांजा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 18, 2016
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