देश या राज्य स्तर की बात यदि छोड़ दें तो आज के समय में जिले और पंचायत में राजनीति करने वाले अधिकाँश लोगों को यदि सरकारी नौकरी मिल जाय तो बिना वक्त गँवाए वो राजनीति को सदा के लिए गुड-बाय कर दें. पर सरकारी नौकरी छोड़कर जिले, प्रखंड और पंचायत की सेवा का मन बनाकर चुनावी मैदान में कूदने वालों की संख्यां नहीं के बराबर ही है.
बाल विकास परियोजना के तहत महिला पर्यवेक्षिका की अच्छी-भली नौकरी छोड़कर जब गाँव की सेवा करने करने का मन मधेपुरा जिले के घैलाढ प्रखंड के झिटकिया पंचायत की नीतू ने बनाया तो अधिकाँश लोगों को ये बात आश्चर्यजनक लगी. लेकिन मधेपुरा के बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. जयकृष्ण यादव की पुत्री नीतू कुमारी को महिला पर्यवेक्षिका की नौकरी से त्यागपत्र देने का जरा भी
मलाल नहीं है. झिटकिया पंचायत से मुखिया पद की उम्मीदवार नीतू मधेपुरा टाइम्स से कहती है कि भारत गांवो का देश है और जबतक गाँव समृद्ध नहीं होगा तबतक किसी तरह के विकास की बात करना बेमानी है और अपने पंचायत की सेवा करने का इससे बेहतर रास्ता कुछ नहीं हो सकता.
वैसे नीतू का ससुराल भी वर्षों से पंचायत की राजनीति में अपना असर दिखाता रहा है. पति अशोक कुमार झिटकिया पंचायत के निवर्तमान मुखिया हैं तो ससुर डॉ. गजेन्द्र प्रसाद यादव भी पूर्व मुखिया रहे हैं. नीतू का कहना है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि पंचायत की सेवा से जुडी हुई है इसलिए उन्हें पंचायत राजनीति समझने और लोगों की सेवा करने में और आसानी होगी. विभिन्न योजनाओं में बिचौलियों की भूमिका को पंचायत के विकास में सबसे बड़ा बाधक मानते हुए नीतू कहती है कि भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत बनाने की दिशा में उनके पति ने भी मुखिया रहते काफी मेहनत किया है और उसे भी इस बात का भरोसा है कि नौकरी को छोड़कर पंचायत की सेवा का फैसला उन्हें काम के प्रति और भी जिम्मेवार बनाएगा.
बाल विकास परियोजना के तहत महिला पर्यवेक्षिका की अच्छी-भली नौकरी छोड़कर जब गाँव की सेवा करने करने का मन मधेपुरा जिले के घैलाढ प्रखंड के झिटकिया पंचायत की नीतू ने बनाया तो अधिकाँश लोगों को ये बात आश्चर्यजनक लगी. लेकिन मधेपुरा के बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. जयकृष्ण यादव की पुत्री नीतू कुमारी को महिला पर्यवेक्षिका की नौकरी से त्यागपत्र देने का जरा भी

वैसे नीतू का ससुराल भी वर्षों से पंचायत की राजनीति में अपना असर दिखाता रहा है. पति अशोक कुमार झिटकिया पंचायत के निवर्तमान मुखिया हैं तो ससुर डॉ. गजेन्द्र प्रसाद यादव भी पूर्व मुखिया रहे हैं. नीतू का कहना है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि पंचायत की सेवा से जुडी हुई है इसलिए उन्हें पंचायत राजनीति समझने और लोगों की सेवा करने में और आसानी होगी. विभिन्न योजनाओं में बिचौलियों की भूमिका को पंचायत के विकास में सबसे बड़ा बाधक मानते हुए नीतू कहती है कि भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत बनाने की दिशा में उनके पति ने भी मुखिया रहते काफी मेहनत किया है और उसे भी इस बात का भरोसा है कि नौकरी को छोड़कर पंचायत की सेवा का फैसला उन्हें काम के प्रति और भी जिम्मेवार बनाएगा.
(वि.सं.)
सरकारी नौकरी छोड़कर चुनावी मैदान में उतरी नीतू: करेंगी अपने पंचायत की सेवा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 02, 2016
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