


शिव विवाह के अवसर पर निकलती है बाबा की बारात: महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर से बाबा भोले नाथ की भव्य बारात निकलकर गाजे बाजे के साथ गौडीपुर स्थित माता पार्वती के यहाँ पहुँचती है. बारात की झाकी निराली होती है जिसमे लोग भूत, प्रेत और तरह तरह के वेश मे शामिल होते हैं. उस दिन सिंहेश्वर में बड़ी संख्यां मे श्रद्धालू पहुचते है और अहले सुबह भोले नाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर अपने को धन्य समझते हैं.
काफी पुराना है सिंहेश्वर मेला : कहा जाता है कि पहले मेले मे आकर अपने लोग साल भर की खरीददारी किया करते थे. 1892 मे भारत दर्शन के लेखक ने भारत भ्रमण के बाद लिखा था कि महाशिवरात्रि के अवसर पर सिंहेश्वर में एक बहुत बडा मेला लगता है जो दो सप्ताह तक चलता है. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि मेला काफी प्राचीन है. पूर्व मे यहा हाथी, घोड़ा, गाय, बैल, बकरी, तोता-मैना आदि की खरीद बिक्री ज्यादा तौर पर होती थी. आज कल मेला ज्यादातर मनोरंजन का साधन बन का रह गया है.
सज रही है मेले मे दुकानें: मेले मे ज्यादातर दुकानों, प्रदर्शनी स्थल, मीना बाजार और खासकर झूले की संख्यां मे बहुत ही इजाफा हुआ है. इस बार दो थियेटर, मौत का कुआँ और जादू की दुकान सजकर तैयार है. शिवगंगा में बैरिकेटिग और चूने का छिडकाव किया जा रहा है. साथ ही काफी फजीहत के बाद मंदिर के रंग रोगन का काम भी किया जा रहा है. पर जो भी हो यदि एक महीने के मेले के दौरान आप इस इलाके में हों तो हम आपको सलाह देना चाहेंगे कि बाबा की नगरी के मेले का आनंद जरूर लीजिये.
सिंहेश्वर मेला: तैयारी अंतिम चरण में, जाने मेले के बारे में कुछ ख़ास
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 04, 2016
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