हंगामे के जन्मजात रोग से पीड़ित मधेपुरा का बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय जो स्थापना काल से हीं विभिन्न समस्याओं के दौर से गुजरती रही है, वहीँ अस्थायी कर्मचारियों ने अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ते हुए अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन का एलान कर दिया है.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो उग्र आन्दोलन किये जाएंगें जिसकी सारी जिम्मेवारी विश्वविद्यालय प्रशासन एंव राज्य सरकार पर होगी. वहीँ दूसरी ओर कर्मचारी आन्दोलन के समर्थन में विभिन्न छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के सामने एन.एच.106 मुख्य मार्ग को जामकर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध जमकर की नारेबाजी. इस दौरान आज होने वाली प्री पी.एच.डी की परीक्षा भी आक्रोशित छात्रों ने बाधित कर दिया. छात्र तथा कर्मचारी संगठनों के नेताओं को पुलिस प्रशासन के द्वारा मनाने के घंटों प्रयास किये गए और कई घंटों के बाद सड़क जाम हटाया जा सका.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कर्मचारियों की मांगे जायज है और हम भी चाहते हैं कि इनकी सेवा का सामंजन हो. इसके लिए कमिटी बना दी गई है और जो कर्मचारी इतने सालों से यहाँ अपनी सेवा दे रहे हैं उन्हें कुछ न कुछ तो मिलना ही चाहिए. सामंजन की प्रक्रिया अतिम चरण में है लिहाजा कर्मचारियों को थोड़ा और धैर्य का परिचय देना चाहिए.
आज के आन्दोलन को लेकर प्री पी.एच.डी की मैथोडोलोजी की होने वाली परीक्षा भी बाधित हो गई और आज नहीं हो सकी. कटिहार, पूर्णियां, अररिया, खगड़िया, सुपौल, किशनगंज आदि जगहों से आये छात्र और छात्राओं को आज के आन्दोलन और हंगामे के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इन छात्रों ने भी आज परीक्षा नहीं लिए जाने के कारण सड़क जाम कर दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. परीक्षा नियंत्रक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि परीक्षा को तत्काल स्थगित कर दिया गया है और मधेपुरा के टी.पी. कॉलेज में सेंटर बनाया है जहाँ 26 नवम्बर से परीक्षा संचालित की जायेगी. आज मौके पर ए.एस.पी.राजेश कुमार, अनुमंडलाधिकारी संजय कुमार निराला और थानाध्यक्ष मनीष कुमार आदि अधिकारियों ने भी कुलपति डॉ. विनोद कुमार से मिलकर समस्याओं के निदान के लिए बातचीत की.
क्या है मांगें?:
1. विश्वविद्यालय मुख्यालय में आउट्सोर्सिंग के माध्यम से बहाली बंद की जाय.
2. विभिन्न विभागों में कार्यरत कुल 81 अस्थायी कर्मचारियों की सेवा का सामंजन किया जाय.
3. विश्वविद्यालय के पत्रांक जीएस. 1961/15 तथा 1690/15 दिनांक 06.11.2015 को निरस्त किया जाय.
4. पृथ्वीराज यदुवंशी, पुस्तकालयाध्यक्ष को मारवारी कॉलेज, किशनगंज से विश्वविद्यालय मुख्यालय वापस किया जाय.
5. परिसम्पदा समेत कई विभागों के पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार को पैतृक महाविद्यालय रमेश झा महिला कॉलेज वापस किया जाय.
विश्वविद्यालय में लगातार हो रहे कर्मचारी और छात्र नेताओं के आन्दोलन से जहाँ छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है वहीँ विश्वविद्यालय की साख पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव जरुर पड़ रहा है और विश्वविद्यालय का चेहरा बदरंग नजर आता है. बार-बार निर्धारित तिथि पर परीक्षा नहीं होने की वजह से खासकर राज्य ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर के शोधार्थियों को आर्थिक और मानसिक परेशानी की मार झेलनी पड़ रही है.
आज के हंगामे के सम्बंधित इस वीडिओ को देखें. यहाँ क्लिक करें.
(रिपोर्ट: कुमार शंकर सुमन के साथ मुरारी सिंह)
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो उग्र आन्दोलन किये जाएंगें जिसकी सारी जिम्मेवारी विश्वविद्यालय प्रशासन एंव राज्य सरकार पर होगी. वहीँ दूसरी ओर कर्मचारी आन्दोलन के समर्थन में विभिन्न छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के सामने एन.एच.106 मुख्य मार्ग को जामकर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध जमकर की नारेबाजी. इस दौरान आज होने वाली प्री पी.एच.डी की परीक्षा भी आक्रोशित छात्रों ने बाधित कर दिया. छात्र तथा कर्मचारी संगठनों के नेताओं को पुलिस प्रशासन के द्वारा मनाने के घंटों प्रयास किये गए और कई घंटों के बाद सड़क जाम हटाया जा सका.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कर्मचारियों की मांगे जायज है और हम भी चाहते हैं कि इनकी सेवा का सामंजन हो. इसके लिए कमिटी बना दी गई है और जो कर्मचारी इतने सालों से यहाँ अपनी सेवा दे रहे हैं उन्हें कुछ न कुछ तो मिलना ही चाहिए. सामंजन की प्रक्रिया अतिम चरण में है लिहाजा कर्मचारियों को थोड़ा और धैर्य का परिचय देना चाहिए.
आज के आन्दोलन को लेकर प्री पी.एच.डी की मैथोडोलोजी की होने वाली परीक्षा भी बाधित हो गई और आज नहीं हो सकी. कटिहार, पूर्णियां, अररिया, खगड़िया, सुपौल, किशनगंज आदि जगहों से आये छात्र और छात्राओं को आज के आन्दोलन और हंगामे के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इन छात्रों ने भी आज परीक्षा नहीं लिए जाने के कारण सड़क जाम कर दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. परीक्षा नियंत्रक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि परीक्षा को तत्काल स्थगित कर दिया गया है और मधेपुरा के टी.पी. कॉलेज में सेंटर बनाया है जहाँ 26 नवम्बर से परीक्षा संचालित की जायेगी. आज मौके पर ए.एस.पी.राजेश कुमार, अनुमंडलाधिकारी संजय कुमार निराला और थानाध्यक्ष मनीष कुमार आदि अधिकारियों ने भी कुलपति डॉ. विनोद कुमार से मिलकर समस्याओं के निदान के लिए बातचीत की.
क्या है मांगें?:
1. विश्वविद्यालय मुख्यालय में आउट्सोर्सिंग के माध्यम से बहाली बंद की जाय.
2. विभिन्न विभागों में कार्यरत कुल 81 अस्थायी कर्मचारियों की सेवा का सामंजन किया जाय.
3. विश्वविद्यालय के पत्रांक जीएस. 1961/15 तथा 1690/15 दिनांक 06.11.2015 को निरस्त किया जाय.
4. पृथ्वीराज यदुवंशी, पुस्तकालयाध्यक्ष को मारवारी कॉलेज, किशनगंज से विश्वविद्यालय मुख्यालय वापस किया जाय.
5. परिसम्पदा समेत कई विभागों के पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार को पैतृक महाविद्यालय रमेश झा महिला कॉलेज वापस किया जाय.
विश्वविद्यालय में लगातार हो रहे कर्मचारी और छात्र नेताओं के आन्दोलन से जहाँ छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है वहीँ विश्वविद्यालय की साख पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव जरुर पड़ रहा है और विश्वविद्यालय का चेहरा बदरंग नजर आता है. बार-बार निर्धारित तिथि पर परीक्षा नहीं होने की वजह से खासकर राज्य ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर के शोधार्थियों को आर्थिक और मानसिक परेशानी की मार झेलनी पड़ रही है.
आज के हंगामे के सम्बंधित इस वीडिओ को देखें. यहाँ क्लिक करें.
(रिपोर्ट: कुमार शंकर सुमन के साथ मुरारी सिंह)
हंगामे से बदरंग हुआ बीएनएमयू का चेहरा: विधि-व्यवस्था बेकाबू, पठन-पाठन बाधित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 23, 2015
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