‘फिर से नीतीशे’: सक्सेस स्टोरी (6): बचपन में चाचा के आलमीरा से नागार्जुन की किताब चुरा कर पढ़ने और ‘बिहार में बहार हो’ गीत लिखने वाले गीतकार राजशेखर के मधेपुरा से बॉलीवुड तक की जिन्दगी रही उतार-चढ़ाव से भरी (भाग-2)
फिल्म ‘तनु वेड्स मनु, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ समेत बॉलीवुड में कई फिल्मों में हिट गानों को लिखकर गीतकार के रूप में देश भर में चर्चित हो जाने वाले मधेपुरा के राजशेखर मधेपुरा में अपने सीधे-सरल स्वभाव के कारण पहले से ही लोकप्रिय थे, पर उनकी अद्भुत क्षमता जब लोगों के सामने निखर कर आने लगी तो राजशेखर के प्रति मधेपुरा व बिहार के लोगों का स्नेह बढ़ता ही चला गया. और आज जब राजशेखर के लिखे गीत ‘बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो’ नीतीश कुमार की जीत के साथ लोगों की जुबान पर और ज्यादा चढ़ गया तो फिर से राजशेखर भी बड़ी चर्चा में आ गए.
राजशेखर की सक्सेस स्टोरी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह मधेपुरा के एक गाँव के राजशेखर ने बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए लिखे गीत से भारत के सभी बड़े न्यूज चैनल और अखबारों की सुर्खी बन गए. आइए, इस अंक में हम जानते हैं राजशेखर के बचपन से जुडी यादें और उनके आगे बढ़ने की संघर्ष-कथा.
गाँव और मधेपुरा से बहुत कुछ सीखा: कहते हैं कोई भी व्यक्ति जन्म के बाद सबसे अधिक उसी जगह से सीखता है, जहाँ उसके बचपन और किशोरावस्था के समय गुजरते हैं. ये वो समय होता है जब कई कोई व्यक्ति अपने आसपास के कई लोगों से प्रभावित होता है और उनके गुणों को अपनाना चाहता है. मधेपुरा टाइम्स से हुई लम्बी बातचीत में राजशेखर बचपन के दिनों को याद करते कहते हैं कि रामलीला में परशुराम का प्रभावशाली रोल करते मनोज चाचाजी (मनोज झा) को जब मेकअप से बाहर देखा तो ये लगा था कि कोई व्यक्ति मेहनत से कुछ भी कर सकता है. कहते हैं बचपन में शिवनेश्वरी बाबू, डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह जैसे दर्जनों बड़ी शख्सियत को मधेपुरा में देखकर मधेपुरा की बेहतरीन छवि दिमाग में तैयार हुई और लगता है कि मधेपुरा अपने आप में एक छोटा सा इंडिया है, जहाँ हर तरह के लोग पाए जाते हैं. 22 सितम्बर 1980 को जन्मे राजशेखर की 5 वीं तक की शिक्षा अपने गाँव भेलवा के ही राजकीय मध्य विद्यालय में हुई. 7 वीं तक विद्या मंदिर मधेपुरा में
पढ़ने के बाद राजशेखर ने मैट्रिक तक की पढाई जेनरल हाई स्कूल मधेपुरा से ही की. राजशेखर में कविता के प्रति रुचि बचपन में ही पैदा हो गयी थी. बचपन को याद करते हैं कि एक बार उन्होंने अपने चाचा शशिशेखर यादव की आलमीरा से नागार्जुन की किताब उग्रतारा चुरा कर पढ़ा था. उस समय ये मात्र चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे. दादा स्व० तेजनारायण यादव, नाना स्व० नन्द किशोर मंडल के अलावे बड़े दादा स्व० जयनारायण मंडल, बालम गढिया के परमेश्वरी बाबू से भी इन्हें इस क्षेत्र में कुछ करने की प्रेरणा मिली. बार लाइब्रेरी मधेपुरा में कवि गोष्ठी आदि होते रहते थे जिससे ये प्रभावित होते रहे थे.
‘टर्निंग प्वाइंट’: पर राजशेखर की जिन्दगी में एक सफल मोड़ तब आया जब ये टीएनबी कॉलेज भागलपुर से इंटर करने के बाद उच्चतर अध्ययन के लिए किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली आए. यहाँ इन्हें जब एनडीटीवी में लेखन का काम करने का अवसर मिला तो लगा कि जिन्दगी जगह पकड़ रही है और फिर किरोड़ीमल कॉलेज की नाट्य संस्था 'द प्लेयर' ने तो इन्हें एक नयी जीवनदृष्टि ही दे दी. इस समय को राजशेखर अपनी जिन्दगी का ‘टर्निंग प्वाइंट’ मानते हैं. दिल्ली युनिवर्सिटी से एम०ए० करने के बाद राजशेखर को एक अमेरिकन फिल्म 'बॉम्बे स्काई' में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने का मौका मिला और ये वो वक्त था जब श्री राजशेखर की प्रतिभा का लोहा लोगों ने मानना शुरू कर दिया था. फिल्म 'जाने तू जाने ना', होम डिलीवरी' समेत कुछ अन्य फिल्म व डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करते लगातार आगे बढ़ने का सिलसिला अचानक से तब थमता दिखा जब वर्ष 2008 में कोसी में अचानक भीषण बाढ़ आ गई. बाढ़ ने श्री राजशेखर को भी प्रभावित कर दिया और इन्हें अपने पिता की खराब तबियत को सुनकर गाँव आ जाना पड़ा. राजशेखर बताते हैं कि ये वक्त मेरी जिंदगी की सबसे परेशानी का वक्त था. पर इन्होने हिम्मत नही हारी और संघर्षपथ पर चलते रहे.
घर पर सबकुछ ठीक होने पर फिर वापस मुंबई गए और फिल्म 'तनु वेड्स मनु' में बतौर गीतकार राजशेखर ने जब पूरे भारत में पहचान बना ली तो फिर इन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस बड़े ब्रेक के बारे में याद कर और टीम के प्रति एहसान जताते राजशेखर कहते हैं कि इस फिल्म के लेखक हिमांशु शर्मा उनके दोस्त
हैं. फिल्म के डायरेक्टर आनंद एल राय ने मेरी कुछ कवितायें पहले सुनी थी. उन्होंने अचानक मुझसे पूछा कि लिखोगे इस फिल्म का एक गीत? मैंने जब एक गीत लिखकर उन्हें दिया तो फिर उन्होंने फिल्म के पांच गीत मुझे लिखने को दिया. किस्मत अच्छी थी, सभी गाने हिट रहे थे. दरअसल किसी नए गीतकार को इस तरह बड़ा ब्रेक देना बहुत बड़ा रिस्की काम था जिसके लिए मैं जीवन भर के लिए उनका एहसानमंद हूँ. फिर फिल्म ‘इशक’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ आदि फिल्मों ने राजशेखर को बॉलीवुड में स्थापित कर दिया. और इन दिनों राजशेखर पूरे भारत में खासे चर्चित ‘बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो’ गीत लिखकर हैं. राजशेखर के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चुनावी प्रचार के दौरान लिखे गाने हिट रहे और नीतीश कुमार ने भी पांचवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ ले ली है.
मधेपुरा के सबसे सफल व्यक्तियों में एक राजशेखर अपनी सफलता के पीछे मधेपुरा का भी आभार व्यक्त करना नही भूलते हैं, जहाँ के लोग इनकी बचपन की प्रेरणा बने और परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों का बड़ा सहयोग मिला. मधेपुरा से ही इनमें लेखन कला विकसित होनी शुरू हुई और आज न सिर्फ राजशेखर देश भर में चर्चित हैं बल्कि इनके साथ एक बार फिर बिहार का ये छोटा सा जिला मधेपुरा देश भर में सुखद चर्चा में है.
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(रिपोर्ट: राकेश सिंह)
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Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 21, 2015
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