सक्सेस स्टोरी (3): संगीत के क्षेत्र में यदि प्रतिभा हो तो आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता कोई: 104 डिग्री बुखार में भी भारत के प्रसिद्ध जजों के सामने गाया था ताकि बरक़रार रहे बिहार की शान
(गतांक से आगे...)
मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के परसाही लक्षमिनियां के किसान अरूण कुमार सिंह और पूर्व जिला पार्षद रूबी देवी की बेटी प्रिया का जन्म भी मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र के स्टेट बैंक रोड स्थित नाना जगदीश प्रसाद यादव, अधिवक्ता और नानी नीलम देवी, अवकाशप्राप्त स्कूल निरीक्षिका के घर ही हुआ और माता-पिता ने भी पैतृक गाँव में पढ़ाई का बेहतर माहौल न देखकर प्रिया को नाना-नानी के पास ही मधेपुरा में छोड़ना उचित समझा. लक्ष्मीपुर मोहल्ला के रोज बड स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा शुरू कर प्रिया ने नवोदय विद्यालय की प्रवेश परिक्षा पास की और मैट्रिक तक की पढ़ाई मधेपुरा के मनहरा-सुखासन स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से करते हुए वर्ष 2008 में मैट्रिक पास की. उसके बाद इंटर और ग्रैजुएशन की पढ़ाई प्रिया ने मधेपुरा के पार्वती सायंस कॉलेज से भले ही पूरी की हो, पर ध्यान हमेशा कुछ अलग करने में लगा रहा. ऐसा कुछ अलग जो सिर्फ मधेपुरा ही नहीं बल्कि कोसी और बिहार को देश के पटल पर सर्वश्रेष्ठ साबित करे. ईश्वर ने जन्म के साथ ही सुरीली आवाज तो दे ही दी थी अब संगीत में छा जाने को दिल करने लगा.
मधेपुरा टाइम्स कार्यालय में अपने जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों को याद करते प्रिया ने बताया कि संगीत में आगे बढ़ने की प्रेरणा तो परिवार के लोगों से ही मिली, पर मधेपुरा के बच्चन सर, संजीव सर आदि से भी बहुत कुछ सीखा. पुराने दिनों को याद करते बताती है कि प्रोत्साहन तो छोटे-छोटे मंच से बचपन से ही मिलने लगा, पर मधेपुरा के टाउन हॉल में हुए एक कार्यक्रम में जब तत्कालीन डीएम रमैया साहब ने मेरे गानों को सराहा तो मनोबल ज्यादा बढ़ा. कला संस्कृति मंच हो या कोसी महोत्सव श्रोताओं की सराहना मानो पिता के आशीर्वाद जैसा लगा और आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहा. आकाशवाणी, भागलपुर में गाने लगी और राज्य स्तर तक पुरस्कृत होने लगी तो मन सातवें आसमान पर जाने लगा. मधेपुरा जिला प्रशासन ने भी प्रिया को चुनाव में भी ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. कहती है, मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ कि संतोष सबसे बड़ा धन है. अपने कार्य में हमेशा कमी देखिए ताकि आगे बढ़ने का जज्बा बरक़रार रहे. मनुष्य के जीवन में न तो नीचे गिरने का कोई अंतिम स्तर होता है और न उंचाई का कोई अंतिम स्तर. बेहतर बनने के लिए आप खुद से कॉम्पीटिशन रखें.
टीवी के ऑडिशन से पूरे भारत के गायकों के बीच असली संघर्ष शुरू हुआ जहाँ लगने लगा कि अबतक जो तालियाँ मिलती रही, उसकी इज्जत बरक़रार रखनी है. सुर संग्राम जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के एक एपिसोड को याद करते प्रिया कहती है कि 104 डिग्री बुखार में स्टेज पर गाना गाया ताकि बिहार की शान बरक़रार रहे. सुर संग्राम-2 में चौथा स्थान और भारत की शान में टॉप टेन में स्थान बनाया तो लगा कि जैसे पूरे देश की नजर बिहार की बेटी पर हो. भोजपुरी फिल्म ‘बंधन टूटे न’ में पहली बार बतौर पार्श्व गायिका अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला तो फिर अन्य फिल्म तथा कई एलबम में भी करीब चार दर्जन गानों को प्रिया ने अपनी आवाज दी है. अपनी ताजा तरीन एलबम ‘प्यार की सच्चाई’ के गाने ‘प्यार में दिल केहू, केहू तोड़ जाला, बेवफा बेवफा, बेवफा उ कहाला’ और ‘दर्दे दिल हम त मुहब्बत में अब सहि कैसे, प्यार कितना बा तोहरा से हम कही कैसे’ मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में प्रिया सुनाती है. सुरीली आवाज के जादू हमारे स्टूडियो में बैठे सहयोगियों को सुध-बुध खो जाने को मजबूर कर देता है. हम इस बेटी को थैंक्स कहते हैं तो प्रिया कहती है मैं तो 2010 से ही मधेपुरा टाइम्स की फैन हूँ, जब सुर-संग्राम में मेरी सफलता को इस ऑनलाइन अखबार में मेरे इलाके में बिखेरा था. कहती है कि मुंबई में भी मेरी रोज की आदतों में मधेपुरा टाइम्स पढ़ना शामिल है. अपनी सफलता का श्रेय तमाम परिजनों और गुरुओं को देती प्रिया कहती है कि बड़े भाई प्रिंस के मार्गदर्शन ने इतनी उंचाई पर पहुँचाया. पर अभीबड़ी प्लेबैक सिंगर का सपना पूरा होना बाकी है.
हमारे पूछने पर एक महत्वपूर्ण बात प्रिया बताती है कि सगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पहुँच की आवश्यकता नहीं है. बेसुरे आवाज को लोग अधिक झेल नहीं पाते हैं. आपकी क्षमता ही आपकी पहुँच है. प्रिया की कहानी अपने आप में बिहार की बेटियों के लिए एक बडी मिसाल है जो यह बताने के लिए काफी है कि उंचाई पर चढ़ने के लिए जगह कोई मायने नहीं रखती है. बस जरा सी जूनून तो पैदा कीजिए, प्रिया राज की तरह. आप भी लाखों दिलों पर राज करेंगे.
सुनें प्रिया राज का गाना: 1. ‘दर्दे दिल हम त मुहब्बत में अब सहि कैसे, प्यार कितना बा तोहरा से हम कही कैसे’
2. ‘प्यार में दिल केहू, केहू तोड़ जाला, बेवफा बेवफा, बेवफा उ कहाला’
(SUCSESS STORY: Concept, Writing & Interview by: Rakesh Singh)
मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के परसाही लक्षमिनियां के किसान अरूण कुमार सिंह और पूर्व जिला पार्षद रूबी देवी की बेटी प्रिया का जन्म भी मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र के स्टेट बैंक रोड स्थित नाना जगदीश प्रसाद यादव, अधिवक्ता और नानी नीलम देवी, अवकाशप्राप्त स्कूल निरीक्षिका के घर ही हुआ और माता-पिता ने भी पैतृक गाँव में पढ़ाई का बेहतर माहौल न देखकर प्रिया को नाना-नानी के पास ही मधेपुरा में छोड़ना उचित समझा. लक्ष्मीपुर मोहल्ला के रोज बड स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा शुरू कर प्रिया ने नवोदय विद्यालय की प्रवेश परिक्षा पास की और मैट्रिक तक की पढ़ाई मधेपुरा के मनहरा-सुखासन स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से करते हुए वर्ष 2008 में मैट्रिक पास की. उसके बाद इंटर और ग्रैजुएशन की पढ़ाई प्रिया ने मधेपुरा के पार्वती सायंस कॉलेज से भले ही पूरी की हो, पर ध्यान हमेशा कुछ अलग करने में लगा रहा. ऐसा कुछ अलग जो सिर्फ मधेपुरा ही नहीं बल्कि कोसी और बिहार को देश के पटल पर सर्वश्रेष्ठ साबित करे. ईश्वर ने जन्म के साथ ही सुरीली आवाज तो दे ही दी थी अब संगीत में छा जाने को दिल करने लगा.
मधेपुरा टाइम्स कार्यालय में अपने जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों को याद करते प्रिया ने बताया कि संगीत में आगे बढ़ने की प्रेरणा तो परिवार के लोगों से ही मिली, पर मधेपुरा के बच्चन सर, संजीव सर आदि से भी बहुत कुछ सीखा. पुराने दिनों को याद करते बताती है कि प्रोत्साहन तो छोटे-छोटे मंच से बचपन से ही मिलने लगा, पर मधेपुरा के टाउन हॉल में हुए एक कार्यक्रम में जब तत्कालीन डीएम रमैया साहब ने मेरे गानों को सराहा तो मनोबल ज्यादा बढ़ा. कला संस्कृति मंच हो या कोसी महोत्सव श्रोताओं की सराहना मानो पिता के आशीर्वाद जैसा लगा और आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहा. आकाशवाणी, भागलपुर में गाने लगी और राज्य स्तर तक पुरस्कृत होने लगी तो मन सातवें आसमान पर जाने लगा. मधेपुरा जिला प्रशासन ने भी प्रिया को चुनाव में भी ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. कहती है, मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ कि संतोष सबसे बड़ा धन है. अपने कार्य में हमेशा कमी देखिए ताकि आगे बढ़ने का जज्बा बरक़रार रहे. मनुष्य के जीवन में न तो नीचे गिरने का कोई अंतिम स्तर होता है और न उंचाई का कोई अंतिम स्तर. बेहतर बनने के लिए आप खुद से कॉम्पीटिशन रखें.
टीवी के ऑडिशन से पूरे भारत के गायकों के बीच असली संघर्ष शुरू हुआ जहाँ लगने लगा कि अबतक जो तालियाँ मिलती रही, उसकी इज्जत बरक़रार रखनी है. सुर संग्राम जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के एक एपिसोड को याद करते प्रिया कहती है कि 104 डिग्री बुखार में स्टेज पर गाना गाया ताकि बिहार की शान बरक़रार रहे. सुर संग्राम-2 में चौथा स्थान और भारत की शान में टॉप टेन में स्थान बनाया तो लगा कि जैसे पूरे देश की नजर बिहार की बेटी पर हो. भोजपुरी फिल्म ‘बंधन टूटे न’ में पहली बार बतौर पार्श्व गायिका अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला तो फिर अन्य फिल्म तथा कई एलबम में भी करीब चार दर्जन गानों को प्रिया ने अपनी आवाज दी है. अपनी ताजा तरीन एलबम ‘प्यार की सच्चाई’ के गाने ‘प्यार में दिल केहू, केहू तोड़ जाला, बेवफा बेवफा, बेवफा उ कहाला’ और ‘दर्दे दिल हम त मुहब्बत में अब सहि कैसे, प्यार कितना बा तोहरा से हम कही कैसे’ मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में प्रिया सुनाती है. सुरीली आवाज के जादू हमारे स्टूडियो में बैठे सहयोगियों को सुध-बुध खो जाने को मजबूर कर देता है. हम इस बेटी को थैंक्स कहते हैं तो प्रिया कहती है मैं तो 2010 से ही मधेपुरा टाइम्स की फैन हूँ, जब सुर-संग्राम में मेरी सफलता को इस ऑनलाइन अखबार में मेरे इलाके में बिखेरा था. कहती है कि मुंबई में भी मेरी रोज की आदतों में मधेपुरा टाइम्स पढ़ना शामिल है. अपनी सफलता का श्रेय तमाम परिजनों और गुरुओं को देती प्रिया कहती है कि बड़े भाई प्रिंस के मार्गदर्शन ने इतनी उंचाई पर पहुँचाया. पर अभीबड़ी प्लेबैक सिंगर का सपना पूरा होना बाकी है.
हमारे पूछने पर एक महत्वपूर्ण बात प्रिया बताती है कि सगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पहुँच की आवश्यकता नहीं है. बेसुरे आवाज को लोग अधिक झेल नहीं पाते हैं. आपकी क्षमता ही आपकी पहुँच है. प्रिया की कहानी अपने आप में बिहार की बेटियों के लिए एक बडी मिसाल है जो यह बताने के लिए काफी है कि उंचाई पर चढ़ने के लिए जगह कोई मायने नहीं रखती है. बस जरा सी जूनून तो पैदा कीजिए, प्रिया राज की तरह. आप भी लाखों दिलों पर राज करेंगे.
सुनें प्रिया राज का गाना: 1. ‘दर्दे दिल हम त मुहब्बत में अब सहि कैसे, प्यार कितना बा तोहरा से हम कही कैसे’
2. ‘प्यार में दिल केहू, केहू तोड़ जाला, बेवफा बेवफा, बेवफा उ कहाला’
(SUCSESS STORY: Concept, Writing & Interview by: Rakesh Singh)
सक्सेस स्टोरी (3): संगीत के क्षेत्र में यदि प्रतिभा हो तो आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता कोई: 104 डिग्री बुखार में भी भारत के प्रसिद्ध जजों के सामने गाया था ताकि बरक़रार रहे बिहार की शान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 13, 2015
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