ऐसा क्या गुनाह किया जो लुट गए: जिसके अपरहरण की कोर्ट ने दी सजा वो आज है पत्नी

“ना उम्र की सीमा हो,
 न जन्म का हो बंधन,
 जब प्यार करे कोई
 तो देखे केवल मन”
    मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की इन पंक्तियों को यदि आप वास्तविक जीवन में उतारते हैं तो आपको जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है. भारतीय क़ानून आपको उम्र देखकर ही प्यार करने की इजाजत देता है. यदि ऐसा नहीं होता तो एकडरहा, सिंहेश्वर के कैलाश मंडल और सिंटू मंडल को आज सलाखों के पीछे नहीं रहना पड़ता.
    मधेपुरा की एक न्यायालय ने कैलाश मंडल को नाबालिग विवाहिता को भगाने के जुर्म में छ: साल की सजा सुना दी है. जिस सोनी देवी को कैलाश ने मोटरसायकिल पर बिठाकर सोनी के ननिहाल ग्वालपाड़ा के जयराम परसी से भगा लिया था वह सोनी आज भी कैलाश के घर रह रही है. पिता ने वर्ष 2012 में सोनी की शादी अपनी पसंद से एक स्वजातीय लड़के से सुपौल जिला कर दी थी जब सोनी की उम्र 17 साल थी. बताया जाता है कि कैलाश पहले से ही सोनी से छेड़छाड़ करता था. जब कैलाश ने सिंटू की मदद से सोनी को भगाया तो सोनी के पिता अमोल पासवान ने न्यायालय में कैलाश और सिंटू के खिलाफ परिवाद पत्र दायर कर दिया था. कई महीने सोनी को भगाकर रखने के बाद कैलाश और सिंटू की गिरफ्तारी हुई और केश ग्वालपाड़ा थाना काण्ड संख्यां 08/2012 के रूप में दर्ज होकर सत्रवाद संख्यां 154 (A)/2012 में परिणत हुआ. मामले में अभियुक्तों ने जब जमानत के लिए पटना हाई कोर्ट का रूख किया तो हाई कोर्ट ने निम्न न्यायालय के लिए इस केस ने निष्पादन की समय सीमा तय कर दी और दोनों अभियुक्तों को जेल में ही रखा.
    मामला नाबालिग विवाहिता को भगाने का और साथ ही लड़की के पिता को जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने का था. मधेपुरा के अपर सत्र न्यायाधीश श्री प्रभु दयाल गुप्ता ने कैलाश और सिंटू को भारतीय दंड विधान की धारा 366/34 तथा हरिजन अत्याचार अधिनियमों की धाराओं के तहत छ: वर्ष की सजा सुना दी है. बताया गया कि कथित अपहृता कैलाश के घर ही उसकी पत्नी के रूप में रह रही है.
(वि.सं.)
ऐसा क्या गुनाह किया जो लुट गए: जिसके अपरहरण की कोर्ट ने दी सजा वो आज है पत्नी ऐसा क्या गुनाह किया जो लुट गए: जिसके अपरहरण की कोर्ट ने दी सजा वो आज है पत्नी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 10, 2015 Rating: 5

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